Kargil Vijay Diwas: कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे उत्तराखंड के राम प्रसाद ध्यानी, अब बेटे ने उठाया देश की सुरक्षा का जिम्मा
Uttarakhand के रामनगर में शहीद पिता राम प्रसाद ध्यानी को अपनी प्रेरणा मानकर उनके बेटे अजय ध्यानी भी सेना में शामिल हुए और देश की सेवा कर रहे हैं.
Ramnagar News: मंगलवार को देश भर में कारगिल विजय दिवस मनाया जाएगा. इस मौके पर कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि देने का कार्यक्रम जगह-जगह किया जायेगा. देश के कई जवान कारगिल युद्ध में देश की सेवा करते हुए शहीद हुए. ऐसे ही एक सैनिक पीरूमदारा निवासी शहीद राम प्रसाद ध्यानी थे. शहीद रामप्रसाद के बेटे अजय ध्यानी भी पिता के नक्शे कदम पर चलकर सेना में शामिल हुए और देश की सेवा कर रहे हैं. अजय के सेना में होने से उनका परिवार और क्षेत्र को लोग काफी खुश हैं.
कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे राम प्रसाद ध्यानी
आपको बता दें कि 17 जुलाई 1971 ग्राम डांडा तोली नैनीडांडा ब्लॉक तहसील धूमाकोट जिला पौढ़ीगढ़वाल में जन्मे शहीद राम प्रसाद ध्यानी गढ़वाल रायफल में पिथौरागढ़ में तैनात थे. वह 18 साल के थे तभी फौज में शामिल हो गए थे. उनका विवाह गढ़वाल की ही रहने वाल जयंती देवी से हुआ था. शहीद के परिवार के अनुसार कारगिल युद्ध छिड़ते ही उनके बटालियन को लद्दाख के धरास में बुला लिया गया.
आदेश आते ही वह परिवार को सूचना देकर कारगिल युद्ध के लिए चले गए. तब उनकी चार साल की बेटी ज्योति, बेटा अंकित दो साल का और छोटा बेटा अजय एक साल का था. युद्ध में कई फौजियों की रेडियो पर मौत होने की खबरें आ रही थी. शहीद राम प्रसाद की पत्नी जयंती देवी और उनका परिवार भी राम प्रसाद ध्यानी को याद करता था. वह अपने बच्चों को फौज के बारे में जानकारी देती थी. परिवार के अधिकांश लोग रामनगर के हाथीगडर में रहते थे. इस युद्ध में पति शहीद राम प्रसाद ध्यानी की मौत की खबर से जयंती देवी पूरी तरह से टूट गई थीं.
पत्नी ने भी किया कड़ा संघर्ष
शहीद रामप्रसाद की पत्नी जयंती देवी ने बताया कि कारगिल युद्ध के दौरान 25 जुलाई को नैनीडांडा लैंसडाउन के दो फौजी घर आए. उन्होंने रामप्रसाद ध्यानी के शहीद होने की जानकारी दी. जिसके एक सप्ताह बाद उनके पति का पार्थिक शरीर उनके घर पंहुचा. उन्होंने बताया कि उस समय उनके तीनो बच्चें काफी छोटे थे. जिन्हें उन्होंने कड़ी संघर्ष से बड़ा किया.
वहीं शहीद रामप्रसाद के बड़े बेटे अंकित ने बताया कि उन्हें अपने पिता की शहादत पर गर्व है. उन्होंने कहा की उनका भी मन आर्मी में जाने का था, लेकिन किसी कारण वह आर्मी में नहीं जा सके. उन्होंने बताया कि अब वह रामनगर में रहकर अपना व्यापार देखते हैं.
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