हल्द्वानी, एबीपी गंगा। कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों के परिवारों को आज भी वो सुविधाएं नहीं मिल पाई हैं जिनके लिए उनसे वादे किए गए थे। उत्तराखंड के बागेश्वर के लांस नायक मोहन सिंह ने भी दुश्मनों से लड़ते हुए अपने प्राण गंवा दिए थे। लांसनायक मोहन सिंह का परिवार अब हल्द्वानी में बस गया है। कुमाऊं रेजिमेंट के मोहन सिंह कारगिल की लड़ाई में शहीद होने के बाद अपने पीछे तीन बच्चे और पत्नी को छोड़ गए हैं। मोहन सिंह की पत्नी उमा देवी आज भी जब उन्हें याद करती हैं तो उनकी आंखें नम हो जाती है।


उमा देवी बताती हैं कि कारगिल युद्ध का आगाज हो गया था... मेरी पति जम्मू-कश्मीर में पोस्टेड थे। युद्ध की लड़ाई से 18 दिन पहले मेरी बात मेरी पति से हुई, लेकिन हमको नहीं पता था की वह आखिरी बात होगी। उमा देवी ने यह भी कहा कि उस समय सरकार की तरफ से सरकारी नौकरी का वादा किया गया था, लेकिन सरकार ने अब तक अपना वादा पूरा नहीं किया। उमा देवी ने मांग की है कि जिस तरह से हरियाणा सरकार शहीदों के परिवार में से एक को सरकारी नौकरी देती है उसी तरह उत्तराखंड सरकार भी ऐसे कदम उठाए।