अलीगढ़: करगिल युद्ध मे शहीद प्रेमपाल परिवार के लिए आज भी जिंदा! मां रोज रखती हैं भोजन
UP News: करगिल युद्ध में अलीगढ़ के प्रेमपाल को आज भी उनका घर जिंदा मानता है. उनकी मां 1999 से आज भी प्रेमपाल की मां वीरमति अपने बेटे की प्रतिमा के पास भोजन रखती हैं.
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Aligarh News: देश के लिए शहीद हुए सैनिक की वीरगति को आज भी याद किया जाता है. देश की रक्षा करते-करते हंसते-हंसते अपने प्राणों की आहुति वीर सपूतों के द्वारा दे दी गई जिन पर पूरा देश गर्व करता है. लेकिन अगर उनके परिवारजनों की बात कही जाए तो उनका परिवार अपने वीर सपूतों को आज भी जिंदा मानता है. वजह है वीर सपूतों के वह कार्य जिनकी वजह से आज देश भर में वीर सपूत के साथ-साथ उनके परिवार को भी लोग पहचानते हैं.
दरअसल पूरा मामला जिला अलीगढ़ के तहसील इगलास के गांव खेमका बास का है जहां किसान के परिवार में जन्मा एक लाल जो हर दिल में गर्व की भावना जगाता है. वह है प्रेमपाल सिंह था, जिनके परिवारीजन अपने अनमोल सपूत को गर्व से याद करते है.आसपास के गांव के लोग भी शहीद की बहादुरी व गर्व के किस्से बड़े फक्र के साथ याद करते हैं. प्रेमपाल की जांबाजी की कहानी न केवल उनके गांव के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनी है, बल्कि पूरे जिले के साथ देश के युवाओं के लिए गर्वित करने वाली है जो सैनिक प्राणों की आहुति देकर देश की रक्षा करना हैं.
बेटे की प्रतिमा के पास रोज खाना रखती है मां
यही कारण है कि 1999 से आज भी प्रेमपाल की मां वीरमति अपने बेटे की प्रतिमा के पास भोजन रखती हैं. उनके लिए बिस्तर लगाते हैं. चारपाई के सिरहाने पानी आदि रखतीं हैं. वीरमति कहतीं हैं कि देश पर मर मिटने वाले कभी मृत्यु को प्राप्त नहीं होते, मेरा बेटा बलिदान हुआ है आज भी वो मेरे आसपास ही है. प्रेमपाल सिंह की शिक्षा का सफर शुरू होने के साथ ही 12वीं कक्षा पर खत्म हो गया, उनके जीवन का उसके बाद अहम मोड़ आया, क्योंकि उन्होंने शिक्षा के बाद सीधे सेना की मोर्चे पर जाने का निर्णय लिया.
16 दिसंबर 1979 को शिव सिंह वीरमति देवी के यहां दो बेटियों के बाद बेटे जन्म लिया. घर में खुशियां छा आई और प्रेम से बेटे का नाम प्रेमपाल सिंह रखा गया. 1999 में बॉर्डर पर कारगिल में जब दुश्मन के साथ युद्ध छिड़ा हुआ था तो प्रेमपाल के माता-पिता बेटे की शादी की तैयारी कर रहे थे. युद्ध में बहादुरी से लड़ते हुए प्रेमपाल वीरगति को प्राप्त हो गए. बेटा के शव को देखकर मां का बुरा हाल था तो हर आंख नम थी. मां ने सीने पर पत्थर रखकर उस समय कहा भी कि मुझे गर्व है अपने बेटे पर उसने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए.
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