Karnprayag News: काश्तकारों की आजीविका बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा सिमली में खोली गई दूध डेयरी (Milk Dairy) में काम करने वाले कर्मचारियों ने प्रबंधक पर बिना बोर्ड बैठक के बाइस लाख रुपये निकालने का आरोप लगाते हुए उसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. उनका आरोप है कि टिहरी में चल रही दूध डेयरी घाटे में चलने के कारण प्रबंधक को वेतन नहीं मिला पाया था. जिसके बाद उनका तबादला सिमली हुआ तो उन्होंने अध्यक्ष के अनुमोदन पर सिमली दुग्ध संघ से अपनी पुरानी वेतन का बाइस लाख रुपये ले लिया है. जिससे यहां के कर्मचारियों में उन पर वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाया है. वहीं दुग्ध संघ के प्रबंधक का कहना है कि ये किसी भी तरह की वित्तीय अनियमितता नहीं है. अध्यक्ष के अनुमोदन पर वेतन निकाला गया है.


डेरी प्रबंधक पर लगा ये आरोप


उत्तखण्ड सरकार की पहल पर गाय पालन करने वाले काश्तकारों की आजीविका बढ़ाने और गौ पालन को प्रोत्साहित करने के लिए दूध की डेरी खोल कर रोजगार दिया जा रहा है. कर्मचारियों की मेहनत और ईमानदार अधिकारियों की योजनाओं से आज दुग्ध संघ काफी मुनाफा कमा रहा है. वावजूद इसके कि यहां के कर्मचारियों को कई महीनों से बेतन नहीं मिल पा रहा है. लेकिन बड़े अधिकारी है कि दुग्ध संघ के अध्यक्ष व अन्य कर्मचारियों की मिली भगत से अपनी पुरानी रुकी हुई लाखों रुपये की भारी भरकम बेतन की राशि को निकाल रहे है.


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कर्मचारियों ने की जांच की मांग


ये पूरा मामला सिमली दुग्ध संघ से जुड़ा है. यहां के प्रबन्धक पर आरोप है कि जब वो टिहरी दुग्ध संघ में थे तो डेरी के घाटे में चले जाने के कारण उनका कई महीनों की वेतन नहीं मिल पाया था. जिसके बाद उनका तबादला सिमली दुग्ध संघ में हुआ , यहां बतौर प्रबधंक का कार्यभार संभालने के बाद उन्होंने अध्यक्ष और अन्य कमर्चारियों की मिली भगत से अपनी रुकी हुई पुरानी सैलरी का बाइस लाख रुपये निकाल लिया है. इस बात की भनक जब यहां काम करने वाले कर्मचारियों को लगी तो उन्होंने प्रबंधक के खिलाप हंगामा खड़ा कर दिया है. कर्मचारियों ने कहा कि, दिन रात मेहनत कर हम डेरी को घाटे से उभार रहे है लेकिन बड़े अधिकारी वेतन को बाहर से आकर यहां से निकाल रहे है. जबकि उनकी पुराना वेतन उन्हें टिहरी दुग्ध संघ से मिलनी चाहिए था. कर्मचारियों ने कहा कि ये घोर वित्तीय अनियमितता है इसकी जांच होनी चाहिए.


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