कानपुर: बिकरू गांव में पुलिस के साथ कथित मुठभेड़ में मारे गये कुख्यात अपराधी विकास दुबे के साथी कार्तिकेय मिश्र की उम्र को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. कार्तिकेय के परिजनों का दावा है कि वो नाबालिग था. हालांकि पुलिस परिजनों के दावे से इनकार कर रही है. कार्तिकेय के परिवार ने उसकी हाईस्कूल की मार्कशीट और आधार कार्ड पेश करते हुए दावा किया है कि वह नाबालिग था. इन दोनों ही दस्तावेजों में उसकी जन्मतिथि 27 मई 2004 लिखी है. इस लिहाज से उसकी उम्र 16 साल थी.


कार्तिकेय की मां सुमन लता उर्फ गीता के मुताबिक, उनका बेटा निर्दोष था और उसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड भी नहीं था. वह मेधावी छात्र था और उसने हाईस्कूल और इंटरमीडियट की परीक्षाएं बहुत अच्छे अंकों के साथ पास की थी. गीता ने बिकरू कांड का जिक्र करते हुए गुरुवार को संवाददाताओं को बताया कि गोलियां चलने की आवाज सुनकर उनका पूरा परिवार जाग गया था. उस वक्त उसके पति गांव में नहीं थे.


'साजिश के तहत हुई हत्या'
उसने बताया कि गोलीबारी बंद होने के बाद परिजन घर से बाहर निकले तो लोगों को वहां से भागते देखा. उसने कार्तिकेय से भी कहा कि वह कुछ दिनों के लिये कहीं और चला जाए. गीता ने बताया कि अगले ही दिन उसे पता चला कि पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में कार्तिकेय मारा गया. गीता ने आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस ने सोची-समझी साजिश के तहत उसे मारा है.


'कार्तिकेय पर था 50 हजार का इनाम'
पुलिस ने दावा किया था कि कार्तिकेय ने 9 जुलाई को रिमांड पर कानपुर लाते वक्त रास्ते में पनकी इलाके में पुलिस का वाहन खराब होने का फायदा उठाते हुए एक पुलिसकर्मी से उसकी पिस्तौल छीन ली थी. इसके बाद उसने पुलिसकर्मियों पर फायरिंग कर भागने की कोशिश की थी. पुलिस की ओर से जवाबी फायरिंग में वो मारा गया. कार्तिकेय पर 50 हजार रुपये का इनाम घोषित था. पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने इस मामले में दर्ज मुकदमे में कार्तिकेय की उम्र 20 साल बतायी है. उन्होंने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि अपराधी बालिग है या नाबालिग। वह विकास दुबे गिरोह का सदस्य था, जिसने बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या की थी.


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