नई दिल्ली, एबीपी गंगा। राजस्थान के सवाई माधोपुर में स्थित चौथ माता का मंदिर प्राचीन और सुप्रसिद्ध है। इस मंदिर की स्थापना 1451 में राजा भीम सिंह ने की थी। चौथ माता के दर्शन के लिए श्रद्धालु केवल राजस्थान से नहीं, बल्कि विदेशों से भी आते हैं। यहां करवा चौथ, भाद्रपद चौथ, माघ चौथ और लक्खी मेले पर लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए करते हैं।


कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है। इस दिन चौथ माता के मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया जाता है। चौथ माता गौरी देवी का ही एक रूप हैं। मान्यता है कि करवा चौथ के दिन चौथ माता की पूजा करने से अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है और दांपत्य जीवन में भी सुख बढ़ता है।



करवा चौथ पर देश-विदेश से कई विवाहित जोड़े यहां आते हैं और व्रत रखते हैं। यह मंदिर राजपूताना शैली में सफेद संगमरमर का बना हुआ है। इस मंदिर में चौथ माता के साथ भगवान गणेश और भैरवनाथ की मूर्ति भी विद्यमान है। मंदिर तक पहुंचने के लिए 700 सीढि़यां चढ़नी पड़ती हैं। इस मंदिर की ऊंचाई लगभग 1100 फुट है। माता में आस्था होने की वजह से बूंदी राजघराने में आज तक इन्हें कुल देवी के रूप में पूजा जाता है।


शहर से 35 किमी दूर पहाड़ी की चोटी पर स्थित यह मंदिर जयपुर शहर के आसपास का एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है। मंदिर सुंदर हरे वातावरण और घास के मैदान के बीच स्थित है। सफेद संगमरमर के पत्थरों से स्मारक की संरचना तैयार की गई है। दीवारों और छत पर शिलालेख के साथ यह वास्तुकला की परंपरागत राजपूताना शैली के लक्षणों को प्रकट करता है। मंदिर तक पहुंचने के लिए 700 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं।



देवी माता के नाम पर चौथ माता बाजार भी है। कोई संतान प्राप्ति तो कोई सुख-समृद्धि की कामना लेकर चौथ माता के दर्शन को आता है। मान्यता है कि माता सभी की इच्छा पूरी करती हैं। इस मंदिर की यात्रा साल में कभी भी की जा सकती है, लेकिन नवरात्र और करवा चौथ के समय यहां जाने का विशेष महत्व माना जाता है। नवरात्र में यहां मेल लगता है। इसके अलावा किसी भी समय यहां अपने पति की लंबी उम्र और सुखी दाम्पत्य जीवन की कामना के लिए जा सकते हैं।