बदलते वक्त में बदला है करवा चौथ का स्वरूप, तकनीक ने मिटाईं दूरियां
सुहागिनों के लिए व्रत तभी सफल माना जाता है जब उनका सुहाग उनके सामने हो। हालांकि, कई बार ऐसी भी स्थितियां आ जाती है जब महिलाओं के पति इस खास दिन पर उनके साथ नहीं रह पाते हैं।
हिंदू धर्म में सुहागिनों के लिए करवा चौथ सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। जितना बड़ा ये पर्व है उतना ही कठिन इसका व्रत। कठिन इसलिए क्योंकि सुहागिनों को पूरे दिन बिना कुछ खाए पिए निर्जला व्रत रहना पड़ता है। यह व्रत सूर्योदय से शुरू होता है और रात में चंद्रमा के दर्शन तक रखा जाता है। शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही महिलाएं यह व्रत खोलती हैं। सुहागिने ये व्रत अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। सुहागिनों के लिए व्रत तभी सफल माना जाता है, जब उनका सुहाग उनके सामने हो। हालांकि, कई बार ऐसी भी परिस्थितियां आ जाती हैं जब महिलाओं के पति इस खास दिन पर उनके साथ नहीं रह पाते हैं।
मसलन, कई पति ऐसे होते हैं जो नौकरी के सिलसिले में अन्य शहर में रहते हैं जिसकी वजह से वो घर नहीं आ पाते हैं। कई ऐसे भी होते हैं जिन्हें जरूरी काम से घर से बाहर जाना पड़ता है। ऐसे में करवाचौथ का व्रत रखने वाली महिलाओं को मुश्किलें भी आती हैं। हालांकि कई महिलाएं रात में चंद्रमा को अर्घ्य देते समय महिलाएं अपने पति का स्मरण करती हैं और छलनी से पति की फोटो को देखती हैं। पति की फोटो देखने के बाद ही महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं। हालांकि, आधुनिक तकनीक के जमाने में सुहागिनें अपने सुहाग की फोटो देखे बिना भी काम चला लेती हैं। महिलाएं स्मार्टफोन से अपने पति को वीडियो कॉल करती हैं जिससे वो अपना व्रत खोलती हैं।
क्या है शुभ मुहुर्त पूरे दिन निर्जला व्रत रख कर महिलाएं शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत को तोड़ती हैं। इस बार चंद्रमा 8:18 पर निकलेगा। अगर आपव्रत की कहानी सुनना चाहती हैं और पूजा करना चाहती हैं तो शाम 5:50 से 7:06 तक कर सकती हैं। पूजा के लिए यह शुभ मुहूर्त है। कुल मिलाकर एक घंटे 15 मिनट का मुहूर्त है।