नई दिल्ली। करवा चौथ पर महिलाएं अपने पति के लिये लंबी उम्र के लिये व्रत रखती हैं। देश के अलग अलग शहरों में चंद्रमा के दर्शन के बाद महिलाओं ने व्रत पूरा किया। इस दौरान उन्होंने विधि विधान से पूजा की और चंद्रमा को अर्घ्य दिया। ये दिन सुहागिन स्त्रियों को लिए काफी अहम होता है।


करवा चौथ 'शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है, 'करवा' यानी 'मिट्टी का बरतन' और 'चौथ' यानि 'चतुर्थी'। इस बार करवा चौथ पर कई विशेष संयोग बन रहे हैं। महिलाएं सुबह सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक बिना कुछ खाए ये व्रत रखती हैं। महिलाओं ने करवा चौथ का चांद देख लिया है।


करवाचौथ व्रत की परम्परा पुराने समय से चली आ रही है। कभी करवा चौथ पत्नी का पति के प्रति समर्पण का प्रतीक हुआ करता था, लेकिन आज यह पति-पत्नी के बीच के सामंजस्य और रिश्ते से महक रहा है। पति के स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए किया जाने वाला यह व्रत हर विवाहिता के जीवन में एक नई उमंग लाता है। महिलाएं सुबह से रात तक निर्जला व्रत रही तथा रात को चंद्रमा को दूध से अर्ध्य देकर उसके दर्शन के बाद भोजन ग्रहण की। हर महिला अपने सुहाग की रक्षा के लिए व्रत रखती है। महिलाओं को इस पर्व का बेसब्री से इंतजार रहता है। उन्होंने श्रृंगार कर शाम को चांद और पति के दर्शन के बाद व्रत तोड़ा। यह महिलाओं के लिए सबसे बड़ा व्रत है। पूजा अर्चना के बाद पति के स्वस्थ्य, दीर्घायु जीवन के लिए चंद्रदेव से प्रार्थना की।