अक्टूबर में करवा चौथ, संकष्टी गणेश चतुर्थी समेत व्रत-त्योहारों का सप्ताह, ये है पूरा कार्यक्रम
अक्टूबर में दिवाली का बड़ा त्योहार है। साथ ही इस महीने करवा चौथ समेत कई व्रत-त्योहार हैं, जिनकी हिंदू धर्म में बड़ी मान्यता है। हम आपको इनके बारे में विस्तार से बता रहे हैं किस दिन कौन सा व्रत या त्योहार है
अक्टूबर महीने में कई व्रत और त्योहार हैं। जिनका हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है। इनमें करवा चौथ या करक चतुर्थी महिलाओं के लिए विशेष महत्व वाला होता है। करवा चौथ के दिन ही संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत और दशरथ चतुर्थी भी है। इसके अलावा इस सप्ताह में रोहिणी व्रत, स्कंद षष्ठी व्रत और अहोई अष्टमी व्रत भी है। आनेवाले सप्ताह में व्रत और त्योहार की तिथि इस प्रकार है,
15 अक्टूबर: अशून्य व्रत।
17 अक्टूबर: संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत, करवा चौथ, करक चतुर्थी व्रत, दशरथ चतुर्थी।
संकष्टी गणेश चतुर्थी: कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं, इसे सकट चौथ भी कहा जाता है। इस दिन गणेश जी की आराधना होती है।
दशरथ चतुर्थी: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को ही दशरथ चतुर्थी होती है, इस दिन दशरथ जी और मां दुर्गा की मिट्टी की मूर्ति की पूजा होती है।
18 अक्टूबर: रोहिणी व्रत
27 नक्षत्रों में शामिल रोहिणी नक्षत्र के दिन यह व्रत होता है, इस कारण से इसे रोहिणी व्रत कहा जाता है। रोहिणी व्रत का जैन समुदाय में खास महत्व है।
19 अक्टूबर: स्कंद षष्ठी व्रत
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी को स्कन्द षष्ठी कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के बड़े पुत्र कार्तिकेय की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। कार्तिकेय को स्कंद देव, मुरुगन, सुब्रह्मन्य नामों से भी जाना जाता है।
करवाचौथ का व्रत पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है। इस व्रत में सूर्योदय होने के साथ व्रत शुरू हो जाता है और से चांद निकलने के बाद इस व्रत को खोला जाता है। निर्जला व्रत होने के कारण इस व्रत को करने में खास सावधानी भी बरतनी होती है। व्रत खोलने के बाद खानपान को लेकर खास ध्यान देना होता है। ऐसा इसलिए कि करीब 14 से 15 घंटे तक बिना पानी के रहने के बाद एकाएक पानी पीना या कुछ भी खा लेने से आपका स्वास्थ्य खराब हो सकता है।