Kasganj News: कासगंज में बाढ़ का खतरा, गंगा के तटवर्ती इलाकों में पहुंच रहा पानी, लोग परेशान
Kasganj Flood: मानसून आते ही कासगंज जिले में गंगा के तटवर्ती गांवों में बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है. ग्रामीणों का कहना है कि हमें अपना गांव छोड़कर गांव से करीब चार-पांच किलोमीटर दूर जाकर रहना पड़ता है.
Kasganj Flood News: कासगंज जिले में गंगा के तटवर्ती गांव मानसून के दौरान बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं. कासगंज जनपद के करीब 100 से ज्यादा गांव हर वर्ष लो फ्लड में भी बाढ़ ग्रस्त रहते हैं. इनमें कुछ गांव को बचाने के लिए तो तटबंध का निर्माण किया जाता है. वहीं 40 से ज्यादा गांव ऐसे हैं जो हर वर्ष मानसून के दौरान गंगा का जलस्तर बढ़ने के बाद गंगा की बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं.
गंगा का जल स्तर बढ़ते ही इन गांवों में पानी घुसना शुरू हो जाता है. कई बार ग्रामीण गंगा के पानी को आगे बढ़ाने के लिए पक्की सड़कों को काट देते हैं जिससे पानी को रास्ता मिले और वह आगे की तरफ बढ़ जाए. बाढ़ ग्रस्त इलाकों में एबीपी गंगा संवाददाता रंजीत गुप्ता ने ग्राउंड जीरो पर जाकर लोगों से बातचीत की है लोगों के मुताबिक उन्हें हर वर्ष बाढ़ का दंश झेलना पड़ता है.
ग्रामीणों को छोड़ना पड़ता है गांव
गंगा का जलस्तर बढ़ते ही गांव में पानी घुस जाता है. इस वजह से उनकी फसलें जलमग्न हो जाती हैं और खराब हो जाती हैं. वहीं पशुओं को बांधने की जगह भी उनके पास नहीं होती है. यहां तक की शौच आदि क्रिया के लिए भी स्थान नहीं बचते है. गांव के कई घर तो ऐसे होते हैं जिन्हें पूरी तरह से खाली कर उस जगह को छोड़ना पड़ता है. ग्रामीण बताते हैं कि वह अपना गांव छोड़कर गांव से करीब चार-पांच किलोमीटर दूर अन्य गांव के बाहर अपना डेरा जमाते हैं.
क्या कहा ग्रामीणों ने
सहावर तहसील के गांव उलाई खेड़ा के नगला अजीत में लोगों ने बताया कि बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र होने के कारण उन्हें शादी संबंधों में भी दिक्कत आती है. लड़के और लड़कियों की शादियां आसानी से नहीं होती हैं वह बताते हैं कि प्रशासन की ओर से आज तक उनकी जो फसलें बाढ़ में खराब हुई है उनका कोई मुआवजा नहीं मिला है, न ही प्रशासन गंगा किनारे तट बांधों का निर्माण करा रही है.
सिंचाई विभाग में की बात
इस मामले में इलाके के सिंचाई विभाग के जूनियर इंजीनियर दिगंबर सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि शासन द्वारा जिन स्थानों को चयनित कर के बजट भेजा गया है उन पर तटबंध का निर्माण किया जाता है. लिहाजा पैसे के अभाव में प्रत्येक गांव तटबंध बनाना मुमकिन नहीं है.