Kasganj News: कासगंज जनपद में स्वास्थ्य सेवाएं किस कदर बदहाल हैं इसकी बानगी हम बताते हैं. 2008 में जनपद के रूप में अस्तित्व में आए कासगंज के स्वास्थ्य विभाग (Health Department) में डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की भारी कमी है. कासगंज जनपद में डॉक्टरों की कमी का आंकड़ा अपने आप में चौंका देने वाला है. यहां स्थाई रूप से डॉक्टरों के लिए 93 पद सृजित है इसके एवज में महज 34 डॉक्टर ही कासगंज में उपलब्ध है. वहीं अगर नर्सिंग स्टाफ की बात करें तो 22 स्थाई नर्सिंग स्टाफ के एवज में महज 12 नर्सिंग स्टाफ ही उपलब्ध हैं.
डॉक्टरों की भारी कमी
मायावती सरकार में कासगंज को कांशीराम नगर जिले के तौर पर अस्तित्व में लाया गया. एटा जनपद से अलग हुए इस जिले में स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह चरमराई हुई हैं. 14 साल से जिले को अच्छे चिकित्सकों की दरकार है. सरकारी अस्पतालों की बात करें तो कासगंज के मुख्य चिकित्सा अधिकारी के अधीन आने वाले स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों की भारी कमी है. कासगंज के मुख्य चिकित्सा अधिकारी अनिल कुमार बताते हैं कि जनपद में 93 चिकित्सकों के पद सृजित हैं जिसमें महज 34 चिकित्सक ही उपलब्ध हैं.
कहां कितनी कमी
इसमें 32 चिकित्सक साधारण एमबीबीएस हैं जबकि दो चिकित्सक हाल ही में स्पेशलाइजेशन में भर्ती हुए हैं. यहां चिकित्सकों के पद रिक्त हैं. नर्सिंग स्टाफ की बात करें तो स्थाई नर्सिंग स्टाफ के सापेक्ष नर्सिंग स्टाफ पूरे जनपद में हैं. संविदा पर भर्ती की बात करें तो कुल 665 पदों में से 464 पदों पर स्वास्थ्य कर्मी भर्ती हुए हैं लेकिन सविंदा के 201 पद अभी भी खाली हैं. इसमें 3 पद संविदा पर भर्ती होने वाले चिकित्सकों के भी हैं जो खाली चल रहे हैं. जिला अस्पताल के आंकड़ों पर नजर डालें तो 32 चिकित्सकों की जरूरत है लेकिन यहां महज 6 चिकित्सक ही उपलब्ध हैं.
इलाज के अभाव में दम तोड़ते लोग
कासगंज जनपद में कासगंज, सोरों, गंजडुंडवारा, पटियाली और सहावर पांच सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं. त्रिपुरा और अमापुर ब्लॉक स्तरीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं. 2 शहरी प्राथमिक स्वस्थय केन्द्र हैं और 29 ग्रामीण पीएचसी हैं. इन स्वास्थ्य केंद्रों पर बिल्डिंग और अन्य चिकित्सीय संसाधन तो उपलब्ध हैं लेकिन इन चिकित्सा केंद्रों को चिकित्सकों की दरकार है. चिकित्सकों के अभाव में स्थानीय लोग इलाज कराने के लिए दूसरे शहरों की तरफ रुख करते हैं. जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं वे इलाज के अभाव में ही दम तोड़ देते हैं.
जिलाधिकारी ने क्या कहा
वहीं अगर सड़क दुर्घटनाओं की बात करें तो यहां हर रोज सड़क हादसों में घायल होने वाले अधिकतर मरीजों को कासगंज से तुरंत अलीगढ़ या फिर आगरा रेफर किया जाता है. इनमें से अधिकतर गंभीर घायल इलाज के अभाव में रेफरल के बाद रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. कासगंज में वेंटीलेटर पर पड़ी स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में जब कासगंज की जिलाधिकारी हर्षिता माथुर से बात की गई तो उन्होंने आंकड़े रखते हुए बताया कि उन्होंने शासन से चिकित्सकों की मांग की है. जल्द ही इस कमी को पूरा करने की कोशिश की जा रही है.
किसी ने ध्यान नहीं दिया
4 साल पहले बसपा सरकार में कासगंज का नाम बदलकर जिले के रूप में काशीराम नगर हुआ और जब 2012 में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी तो काशीराम नगर का नाम बदलकर फिर से कासगंज कर दिया गया. कासगंज में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली पर किसी भी सरकार ने ध्यान नहीं दिया. 14 साल से दम तोड़ती स्वास्थ्य सेवाओं को उत्तर प्रदेश की नई सरकार से ऑक्सीजन की दरकार है. अब देखने वाली बात होगी कि कासगंज जिला प्रशासन की इस मांग को शासन के नए मंत्री किस हद तक पूरा कर पाते हैं.