Varanasi News : धर्म नगरी काशी के बारे में कहा जाता है कि सात वार नौ त्यौहार यहां का हर दिन एक उत्सव के समान होता है. कल काशी में धूमधाम से रंग भरी एकादशी मनाई गई. मान्यता है कि इस दिन बाबा भोलेनाथ माता गौरा का गौना लेकर काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर पहुंचते हैं और इस दिन से ही काशी में रंग उत्सव होली का त्योहार शुरू हो जाता है. यह काशी की प्राचीन परंपराओं में से एक है. इस दिन काशी के अलग-अलग शिवालियों पर भी बाबा के शिवलिंग का श्रृंगार किया जाता है और भक्त भोलेनाथ के गौना के रूप में इस दिन को धूमधाम से  मानते हैं.


शिव की नगरी काशी में भगवान भोलेनाथ से जुड़े अनेक ऐसी मान्यताएं और परंपराएं हैं जो काशी वालों का विशेष तौर पर भगवान शंकर से अटूट रिश्ता बनाए हैं. बसंत पंचमी के बाद से ही बाबा काशी विश्वनाथ का तिलकोत्सव शुरू हो जाता है और यह  रंगभरी एकादशी तक बाबा के गौना के रूप में मनाया जाता है. 


होली खेलने श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़
20 मार्च को भी रंग भरी एकादशी के दिन पूर्व महंत आवास से जैसे ही बाबा की पालकी बनारस के गलियों में होकर गुजरी भक्त निहाल हो गए. बनारस के छोटी संकरी गलियों में बाबा के दर्शन करने के लिए और उनके साथ होली खेलने के लिए लाखों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. बाबा की झांकी देखकर श्रद्धालु काफी उत्साहित हो रहे थे. लोगों का कहना था कि मानो स्वयं भोलेनाथ माता गौरा के साथ बनारस की गलियों में निकल पड़े हो.


जमकर उड़े अबीर और गुलाल 
रंगभरी एकादशी पर गोदौलिया से लेकर काशी विश्वनाथ धाम मंदिर गेट नंबर 4 ज्ञानवापी तक अबीर गुलाल उड़ रहे थे. लोग हर हर महादेव के उद्घोष के साथ रंगभरी एकादशी में शामिल हो रहे थे. इस दौरान लोगों ने बाबा भोलेनाथ पर पुष्प वर्षा अबीर गुलाल भी उड़ाई. एक दूसरे को भी रंग लगाकर रंग भरी एकादशी की शुभकामनाएं दी. बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर में प्रवेश करके भी रंगभरी एकादशी पर उनके पालकी का स्वागत किया. इस प्राचीन परंपरा के अनुसार रंगभरी एकादशी के बाद से ही काशी में होली का त्योहार शुरू हो जाता है.


ये भी पढ़ें: Congress Candidate List: यूपी में कांग्रेस की लिस्ट का खत्म होगा इंतजार! इन सीटों पर हो सकता है ऐलान