Kashi Vishwanath-Gyanvapi Case: हाईकोर्ट में हुई सुनवाई, मंदिर ने कहा- विवादित संपत्ति पर नहीं लागू होता वक्फ कानून
इलाहाबाद हाई कोर्ट में काशी विश्वनाथ मंदिर- ज्ञानवापी मस्जिद मुद्दे पर सुनवाई के दौरान मंदिर की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि विवादित संपत्ति वक्फ की संपत्ति नहीं है.
Kashi Vishwanath- Gyanvapi Case: इलाहाबाद हाई कोर्ट में काशी विश्वनाथ मंदिर- ज्ञानवापी मस्जिद मुद्दे पर बृहस्पतिवार को आगे की सुनवाई के दौरान मंदिर की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि विवादित संपत्ति वक्फ की संपत्ति नहीं है और वक्फ कानून के प्रावधान यहां लागू नहीं होते. अधिवक्ता ने आगे कहा, ‘‘जब 1995 का वक्फ कानून अस्तित्व में आया तो इस कानून में एक प्रावधान था कि वक्फ की संपत्ति को फिर से पंजीकृत कराया जाए, लेकिन विवादित संपत्ति को वक्फ कानून, 1995 के तहत कभी पुनः पंजीकृत नहीं कराया गया. इसलिए विवादित संपत्ति वक्फ की संपत्ति नहीं है और इस कानून के प्रावधान यहां लागू नहीं होते.’’
इससे पूर्व, 12 अप्रैल को मंदिर के वकील ने दलील दी थी कि भगवान विश्वेश्वर का यह मंदिर प्राचीनकाल से अस्तित्व में रहा है और भगवान विवादित ढांते के भीतर विराजमान हैं. यदि किसी भी तरह से मंदिर नष्ट किया भी गया है तो इसका धार्मिक चरित्र कभी नहीं बदला है. इसलिए पूजास्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 की धारा 4 यहां लागू नहीं होती क्योंकि यहां एक प्राचीन मंदिर था और इसका निर्माण 15वीं शताब्दी से पूर्व कराया गया था . पूजास्थल अधिनियम की धारा 4, 15 अगस्त, 1947 को मौजूद स्थिति के मुताबिक किसी भी पूजास्थल के धार्मिक चरित्र के परिवर्तन के संबंध में कोई वाद दायर करने या अन्य कानून कार्यवाही से रोकती है.
अब 10 मई को होगी सुनवाई
वाराणसी की अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद और अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने इस मामले की सुनवाई 10 मई तक के लिए टाल दी. मूल वाद 1991 में वाराणसी कि जिला अदालत में दायर किया गया था जिसमें प्राचीन मंदिर के उस स्थान को जहां वर्तमान में ज्ञानवापी मस्जिद मौजूद है, बहाल करने की मांग की गई थी.
वाराणसी की फास्ट ट्रैक अदालत के न्यायाधीश ने आठ अप्रैल, 2021 को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण कर यह पता लगाने का निर्देश दिया था क्या काशी विश्वनाथ मंदिर के पास खड़ी मस्जिद का निर्माण करने के लिए मंदिर को ध्वस्त किया गया था. इसके बाद, हाई कोर्ट ने नौ सितंबर, 2021 को वाराणसी की अदालत के आठ अप्रैल, 2021 के आदेश पर रोक लगा थी.
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