Kashi Vishwanath Temple: बाबा शिव और मां गौरा का गौना, आज लगाई जाएगी हल्दी, 20 मार्च को मनाई जाएगी रंगभरी एकादशी
Shri Kashi Vishwanath Temple: वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में 20 मार्च को रंगभरी एकादशी मनाई जाएगी. इसको लेकर महंत परिवार की तरफ से धूमधाम से तैयारी की जा रही है.
Kashi Vishwanath Mandir Parisar: काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर से लेकर पूर्व महंत परिवार के आवास तक 20 मार्च को पालकी यात्रा के माध्यम से रंगभरी एकादशी मनाई जाएगी. इसको लेकर पूर्व महंत परिवार की तरफ से धूमधाम से तैयारी पूरी की जा रही है. वहीं रंगभरी एकादशी के अवसर पर बाबा काशी विश्वनाथ के गौना को लेकर आज यानी सोमवार (18 मार्च) से ही सभी रस्म शुरू हो जाएंगे. 18 मार्च को माता गौरा को महंत आवास पर हल्दी और तेल लगाई जाएगी.
माता गौरा को महंत आवास पर मंगल गीत गायन होगा उसके बाद अगले दिन महंत आवास पर बाबा के बारात का आगमन होगा. यह सभी रस्म रंग भरी एकादशी से ठीक पूर्व निभाई जाने की परंपरा है. काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत परिवार की तरफ से एबीपी लाइव को दी गई जानकारी के अनुसार आज 18 मार्च को शाम 6:45 बजे माता गौरा के हल्दी रसम को पूर्ण किया जाएगा. इस दौरान मौजूद महिलाएं बाबा और माता गौरा के लिए मंगल गीत गाते हुए मां गौरा को हल्दी-तेल लगाएंगी.
भजन गीत और सुगम संगीत का आयोजन किया जाएगा
भगवान शंकर के लिए भजन गीत भी गाया जाएगा. इसके बाद अगले दिन 19 मार्च को बाबा का बरात टेढ़ीनीम स्थित पूर्व महंत परिवार के आवास पर ससुराल के तौर पर तकरीबन 6:30 बजे पहुंचेगी, जहां पर उनका भव्य स्वागत किया जाएगा. बरात आगमन के दौरान पूर्व महंत आवास पर लोक और सुगम संगीत का आयोजन भी किया जाएगा.
बाबा के पालकी की हुई सफाई
20 मार्च को दोपहर बाद बाबा काशी विश्वनाथ सपरिवार माता गौरा के साथ टेढ़ीनीम स्थित पूर्व महंत आवास से काशी विश्वनाथ मंदिर तक पालकी में सवार होकर जाएंगे . इस दौरान उनकी यह पालकी यात्रा लाखों श्रद्धालुओं के बीच से गुजरेगी, जहां उन पर अबीर गुलाल की बौछार भी होगी. यह काशी की विशेष परंपराओं में से एक है और मान्यता है कि इस दिन काशी वाले बाबा काशी विश्वनाथ के साथ होली खेलते हैं.
इस दिन से ही काशी में रंग उत्सव की शुरुआत हो जाती है. इसको देखते हुए कारीगरों की तरफ से बाबा के पालकी की मरम्मत और सफाई कार्य को भी पूर्ण किया जा रहा है. इस विशेष आयोजन को लेकर बाबा काशी विश्वनाथ और माता गौरा के श्रृंगार, मुकुट, वस्त्र के साथ-साथ पालकी के साफ सफाई का भी ध्यान दिया जा रहा है.
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