मेरठ: उत्तर प्रदेश के 18 जिलों में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में छात्रों के भोजन, दवा और किताबों के लिए 9 करोड़ रुपये निकाले गए. इन 18 जिलों में मेरठ, गाजियाबाद, व बिजनौर शामिल हैं. आरोप ये है कि, ये रकम जब निकाली गई उस समय बच्चे स्कूल व छात्रावास में मौजूद नहीं थे. तो ऐसे में सवाल उठता है कि आखिरकार इतनी मोटी रकम निकालने के पीछे क्या मकसद था. इसकी पड़ताल के लिए एबीपी गंगा की टीम मेरठ व बिजनौर पहुंची और वहां अधिकारियों और अभिभवकों से सच जानने की कोशिश की. 


एबीपी गंगा ने की पड़ताल


एबीपी गंगा की टीम सबसे पहले मेरठ के पूर्वा अहिरान कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय छात्रावास पर पहुंची. जहां पर मौजूद सुरक्षाकर्मी से हमारी टीम ने बात कर ये जानने की कोशिश की कि, आखिरकार यह स्कूल कब से बंद है और जो छात्राएं हैं वो यहां पर हैं या नहीं. तो गार्ड ने हमारे कैमरे पर कुछ भी बताने से मना कर दिया लेकिन जब हमने उससे दोबारा पूछा तो वो काफी डरा हुआ से दिखा. मानो वो हमसे कुछ छुपा रहा हो. इसके बाद वहां मौजूद एक अभिभावक से बात की जिसकी दो बेटियां इसी स्कूल में पढ़ती हैं. उसने बताया कि पिछले सात महीने से उनकी बेटी छात्रावास में नहीं रह रही और स्कूल भी बंद है और कोई भी बच्चा छात्रावास में नहीं है. उनकी बेटियों को ना किताब दी गई ना कोई मेडिसिन और ना ही कोई भोजन दिया गया. 


जांच की बात कही


यह जानकारी होने के बाद हमारी टीम सीधे मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक ( बेसिक ) के पास पहुंची और उनसे इस प्रकरण के बारे में बात कर जानने की कोशिश की कि, आखिरकार यह पूरा माजरा है क्या? उन्होंने कहा कि अभी हमें इसके बारे में पूरी जानकारी नहीं है. जांच की जा रही है. जांच में जो भी तथ्य निकलकर आएंगे उसी के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी. लेकिन उन्होंने एक बात स्पष्ट कर दी कि अगर कोई दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. किसी को छोड़ा नहीं जायेगा.


बीएसए ने कहा-कोई गड़बड़ी नहीं हुई


एबीपी गंगा से बातचीत के दौरान मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक बेसिक राजेश कुमार ने कहा कि इस मामले की पूरी जानकारी आपको जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ही दे सकते हैं. इसके बाद हमारी टीम जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सत्येंद्र कुमार के पास पहुंची और उनसे इस पूरे प्रकरण पर बात कर सच जानने की कोशिश की. हमारी खास बातचीत में बेसिक शिक्षा अधिकारी ने बताया कि, किसी प्रकार का कोई भी स्कैम नहीं हुआ है. सभी कार्य नियमों के तहत किए गए हैं. मेरठ में 26. 44 लाख रुपया निकाला गया था. एक एक पैसे का हिसाब उनके पास है और जो ये पूरा मामला सामने निकल कर आया है वह सिर्फ छात्राओं की अटेंडेंस प्रेरणा पोर्टल पर ना लगने की वजह से यह बखेड़ा खड़ा हुआ है. लेकिन स्कूल खुला है. छात्राएं स्कूल में थी. उन्हें किताबें, भोजन मेडिसिन दी गई है. किसी प्रकार की कोई त्रुटि नहीं हुई है. सिर्फ उस दौरान भूलवश प्रेरणा पोर्टल पर छात्राओं की अटेंडेंस नहीं लगाई गई. जिसकी वजह से उपस्थिति शून्य दिखी, जिसके कारण ये जांच शुरू हुई है. जिसकी एप्लीकेशन उन्होंने अधिकारियों और शासन को दे दी है और जितनी छात्राएं छात्रावास व स्कूल में मौजूद थी उनकी भी लिस्ट संलग्न की गई है. 


अगर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सत्येंद्र कुमार की माने तो यह घोटाला नहीं बल्कि एक छोटी सी त्रुटि है और उसे सही करने के लिए उन्होंने सीनियर अधिकारियों और शासन को पत्र लिखकर अवगत कराया है. लेकिन जब हमने उनसे यह पूछा कि एक लाख से ऊपर रकम का भुगतान करने पर जिला अधिकारी व मुख्य विकास अधिकारी का अनुमोदन लेना जरूरी होता है तो उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने एक लाख की पेमेंट कभी की ही नहीं और हमेशा पेमेंट हजारों में हुई है इसलिए अनुमोदन का कोई सवाल ही नहीं उठता. 


सच क्या है


सच क्या है यह तो जांच के बाद ही पता चल पाएगा लेकिन अगर कुछ गड़बड़ ना होता तो हमारी टीम से बातचीत करने के बाद ही मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक बेसिक कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय पहुंचकर अपनी जांच शुरू न करते. क्योंकि हमारी टीम से बातचीत के तुरंत बाद ही राजेश कुमार कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय पहुंचे और वहां पर उन्होंने निरीक्षण शुरू ही किया था कि हमारी टीम को इसकी जानकारी मिली और हमारी टीम भी स्कूल पहुंच गई लेकिन हमारी टीम को देखते ही राजेश कुमार वहां से निकल गये.


फिलहाल एक बात तो तय है कि योगी सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति से काम कर रही है. अगर ऐसे में इन 18 जिलों में छात्राओं को भोजन व सामग्री वितरण के नाम पर कुछ गड़बड़ झाला हुआ जांच में पाया गया तो कार्रवाई निश्चित है.


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