UP Assembly Election 2022: यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य कौशाम्बी जिले की सिराथू सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं. सिराथू में इस बार प्रमुख उम्मीदवारों द्वारा रिश्तों की दुहाई देकर लोगों से वोट मांगे जा रहे हैं. बीजेपी प्रत्याशी केशव मौर्य जहां खुद को सिराथू का बेटा बताकर अपनी जीत का दावा कर रहे हैं, तो वहीं सपा गठबंधन की उम्मीदवार पल्लवी पटेल यहां की बहू होने का दावा करते हुए अपने लिए मुंह दिखाई में वोट मांग रही हैं. रिश्तों की दुहाई देने के चलते सिराथू की सियासी लड़ाई बेहद दिलचस्प हो गई है. ऐसे में यहां के वोटर इलेक्शन में बेटे और बहू में किसका चुनाव करते हैं ये कहना फिलहाल मुश्किल है. 


सिराथू सीट पर दिलचस्प हुई लड़ाई


केशव प्रसाद मौर्य के चुनाव लड़ने की वजह से कौशाम्बी की सिराथू सीट वीआईपी हो गई है. समाजवादी पार्टी गठबंधन ने केशव मौर्य के खिलाफ अपना दल कमेरवादी की उपाध्यक्ष डॉ पल्लवी पटेल को मैदान में उतारा है. पल्लवी अपनी पार्टी के सिम्बल के बजाय समाजवादी पार्टी के साइकिल निशान पर चुनाव लड़ रही हैं. सिराथू में रिश्तों की दुहाई देने की शुरुआत पहले डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने की थी। उन्होंने खुद को सिराथू का बेटा बताकर लोगों से खुद ही प्रचार करने की अपील की थी. केशव प्रसाद मौर्य की दलील थी कि सिराथू में ही उनका जन्म हुआ है, यहीं वो पले- बढे हैं. यहीं से उन्होंने पढ़ाई की है और सिराथू रेलवे स्टेशन के बाहर चाय बेचते हुए यहां के लोगों के दुख-दर्द को करीब से महसूस किया है.


केशव प्रसाद मौर्य ने खुद को बताया बेटा 


केशव मौर्य के बेटे होने की दुहाई जब तक यहां के वोटरों पर पूरी तरह असर करती, तब तक यहां की सियासी जंग में डॉ. पल्लवी पटेल कूद पड़ीं. पल्लवी खुद को यहां की बहू बता कर लोगों से वोट मांग रही हैं. उनका दावा है कि उनके पति पंकज निरंजन सिराथू से कुछ दूरी पर स्थित कौशाम्बी जिले के ही एक गांव के रहने वाले हैं. ऐसे में वो यहां की बहू हैं. 


सिराथू में बेटे बनाम बहू की टक्कर


केशव मौर्य का दावा है कि सिराथू की जनता बेटे और बहू के बजाय विकास के मुद्दे पर उनके साथ है. डिप्टी सीएम रहते हुए उन्होंने सिराथू में विकास के जो काम कराए हैं, उससे लोग कमल का साथ कतई नहीं छोड़ना चाहते. वह भविष्य के सिराथू के लिए बड़ा रोडमैप तैयार रखने का दावा भी कर रहे हैं. दूसरी तरफ पल्लवी पटेल का दावा है कि सिराथू का बेटा बड़ी कुर्सी पर काबिज़ होने के बावजूद कारगर नहीं साबित हुआ. यहां विकास की जितनी ज़्यादा ज़रुरत थी, उसके मुकाबले कुछ ख़ास नहीं हुआ. ऐसे में परिवार के लोग अब बहू को घर संवारने की ज़िम्मेदारी देने की तैयारी में हैं.


मौर्य या पल्लवी कौन मारेगा बाजी


सिराथू में केशव मौर्य को जहां बड़ा चेहरा होने का फायदा मिल सकता है तो वहीं पल्लवी जातीय समीकरणों के सहारे मैदान मारने की फिराक में हैं. बीजेपी कार्यकर्ता केशव मौर्य को भविष्य का सीएम बताकर जाति का चक्रव्यूह चकनाचूर करने की कोशिश कर रहे हैं तो वहीं पल्लवी निजी हमले करने के बजाय योगी सरकार पर सवाल उठाते हुए वोटरों को अपने पाले में लाने की कवायद में हैं. बीजेपी कार्यकर्ताओं का दावा है कि सिराथू की जनता अपने बेटे को जांच- परख चुकी है और इसी वजह से उसी पर भरोसा करने वाली है तो दूसरी तरफ पल्लवी का खेमा बेटे के बजाय अब बहू को बागडोर सौंपने के लिए तैयार करने का प्रयास कर रहा है. 


सिराथू की जंग में किसे मिलेगी जीत


वैसे बेटे और बहू के बीच छिड़ी दिलचस्प जंग में वोटर रूपी परिवार फिलहाल चुप्पी साधे हुआ है. वह बहुत खुलकर तो कुछ नहीं बोल रहा है, लेकिन दबी ज़ुबान यह ज़रूर कहता है कि इस बार वह अपनी बेहतरी के लिए वोट करेगा. वह मुंह नहीं खोलेगा, बल्कि अपना फैसला सीधे ईवीएम पर सुनाएगा. हालांकि बेटे और बहू के फेर में मतदाता पूरी तरह एकजुट भी नहीं है. परिवार के दो खेमे में कौन भारी पड़ेगा, इसे लेकर चायख़ानों से सियासी गलियारों तक खूब कयासबाजियां हो रही हैं. वैसे अगर बहू पल्लवी की बात करें तो उसे सिर्फ केशव प्रसाद मौर्य से ही नहीं बल्कि दूसरे बेटे बीएसपी उम्मीदवार मुनसब अली, एमआईएम प्रत्याशी शेर मोहम्मद और कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रही भाभी सीमा देवी से भी जूझना है. ये तीनों उम्मीदवार भी कौशाम्बी के ही हैं और यहां की सियासत में ख़ासा दखल भी रखते हैं.


बेटे और बहू के बीच छिड़ी सियासी जंग में दोनों तरफ से जमकर जुमलेबाजी भी हो रही है. पल्लवी का खेमा जहां बेटे पर परिवार की अनदेखी का आरोप लगाकर बागडोर अब बहू को सौंपने की बात कर रहा है तो वहीं बीजेपी के लोग साफ तौर पर कह रहे हैं पल्लवी सिर्फ वोट मांगने के लिए बहू होने का दिखावा कर रही हैं. शादी के बाद उन्होंने कभी यहां कदम तक नहीं रखा और चुनाव ख़त्म होने के बाद फ़िर से यहां से मुंह मोड़ लेंगी.


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