Martyr Narendra Kumar Diwakar: यूपी के कौशांबी (Kaushambi) का एक लाल औरंगाबाद (Aurangabad) में जनवरी महीने में नक्सली हमले (Naxal Attack) में घायल हो गया था. घायल जवान की 23 अगस्त को इलाज के दौरान मौत हो गई थी. आज शहीद जवान का पार्थिव शरीर गांव आया तो परिजनों में कोहराम मच गया. आसपास के तमाम ग्रामीणों के अलावा डीएम, एसपी सहित जनप्रतिनिधियों की भारी भीड़ श्रद्धांजलि देने के लिए गांव में जुट गई. अंतिम यात्रा में भारत माता की जय और नरेंद्र दिवाकर (Narendra Kumar Diwakar) अमर रहें के नारे लगते रहे. राजकीय सम्मान के साथ शहीद (Martyr) के शव को मुखाग्नि दी गई. क्षेत्रीय विधायक शीतला प्रसाद (Sheetla Prasad) ने घोषणा करते हुए कहा कि विधायक निधि से जितना भी हो सकेगा वो शहीद के परिजनों के लिए करेंगे. 


नक्सलियों ने किया हमला 
मोहब्बतपुर पइंसा थाना क्षेत्र के रामसहायपुर निवासी लल्लू राम दिवाकर के बेटे नरेंद्र कुमार दिवाकर ने बचपन से ही देश की सेवा करने का सपना देखा था. उन्होंने भारतीय सेना के 72 टास्क फोर्स (स्पेशल ऑपरेशन) में सिपाही के पद पर नौकरी की. तेलंगाना के औरंगाबाद में उनकी तैनाती थी. 3 जनवरी की रात वो जवानों के साथ कॉबिंग करने के बाद कैंप वापस लौट रहे थे. तभी नक्सलियों ने उन पर हमला बोल दिया था. उनके सीने में दो गोली लग गई थी. घायल जवान का सेना के हॉस्पिटल में ही इलाज चल रहा था.


परिवार में मचा कोहराम 
तकरीबन एक हफ्ते बाद जब तबीयत में थोड़ा सुधार हुआ तो उन्होंने खुद ही अपने मोबाइल से फोन कर परिजनों को घटना के बारे में जानकारी दी. इसके बाद शहीद नरेंद्र की मां, भाई, बहन और पत्नी उन्हें देखने के लिए औरंगाबाद गए थे. इस बीच उनकी सेहत में कोई सुधार नहीं हो रहा था और 23 अगस्त की सुबह तकरीबन 7 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली. मौत की खबर सेना के अफसरों ने परिजनों को दी. खबर मिलने के बाद परिजन औरंगाबाद के लिए रवाना हो गए. आज शहीद नरेंद्र का पार्थिव शरीर पैतृक गांव रामसहायपुर पहुंचा तो परिजनों में कोहराम मच गया.


अंतिम यात्रा में शामिल हुए सैकड़ों लोग 
पार्थिव शरीर गांव पहुंचने की जानकारी जनप्रतिनिधियों, डीएम और एसपी को हुई तो वो भी श्रदांजलि देने के लिए गांव पहुंच गए. इसके बाद देखते ही देखते आसपास के तमाम ग्रामीण भी शहीद के घर के पहुंचे. सम्मान के साथ उनकी अंतिम यात्रा भी निकाली गई. घर से लेकर अंतिम यात्रा में सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल रहे और शहीद नरेंद्र दिवाकर अमर रहें के नारे भी लगाते रहे. अंतिम संस्कार स्थल पर पहुंचने के बाद सेना के जवानों ने सलामी दी. इसके बाद राजकीय सम्मान के साथ शहीद के बड़े भाई ने मुखाग्नि दी. हर किसी की आंखों में गम के आंसू दिखाई दे रहे थे. शहीद की पत्नी और तीन बेटियों का भी रो-रोकर बुरा हाल है. 



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