Uttar Pradesh News: यूपी में कौशांबी (Kaushambi) के एक युवक की लगभग 43 दिन पहले खाड़ी देश सऊदी (Saudi Arabia) में हार्ट अटैक की वजह से मौत हो गई थी. मौत से पहले युवक ने अपने परिजनों को वीडियो कॉल कर सीने में दर्द होने की जानकारी दी. इसके बाद उसका फोन दोबारा नहीं आया हालांकि परिजनों ने भी कई बार फोन लगाने की कोशिश की लेकिन संपर्क नहीं हो सका था. किसी रिश्तेदार को फेसबुक के जरिए युवक की मौत की खबर हुई तो उसने युवक के परिजनों को मौत की जानकारी दी. परिजनों की काफी जद्दोजहद और भागदौड़ के बाद आखिरकार गुरुवार को युवक का शव घर पहुंचा. शव देख परिजनों में कोहराम मच गया. युवक लगभग 8 महीने पहले कमाई करने के लिए सऊदी गया हुआ था. वह वहां एक प्राइवेट कंपनी में काम कर रहा था. गमगीन माहौल में परिजनों ने युवक के शव का अंतिम संस्कार कर दिया. भुखमरी के कगार पर पहुंचे परिजनों ने प्रशासन ने आर्थिक मदद की गुहार भी लगाई है.


गरीबी के कारण गया सऊदी
करारी थाना क्षेत्र के चक सैयदअलीपुर अमुरा निवासी राममिलन (27) पुत्र इंद्रजीत सरोज चार भाई थे. राममिलन की शादी वर्ष 2018 में कोखराज थाना क्षेत्र के बालक मऊ गांव की राजवंती देवी से हुई थी. शादी के बाद उनकी दो बेटियां हुईं. इनके पिता 70 वर्षीय इंद्रजीत सरोज प्रयागराज में रिक्शा चलाते थे. इंद्रजीत दमा के मरीज हो गए, लगभग 8 सालों से वह अपने घर पर ही हैं. ऐसे में परिवार की जिम्मेदारी राममिलन के ऊपर आ गई थी. राममिलन पहले ईट-भट्टे में मजदूरी का कार्य करता था. इतना ही नहीं दिल्ली और मुंबई शहर में भी प्राइवेट कंपनी में काम किया लेकिन इससे परिवार का भरण पोषण ठीक से नहीं हो पाता था. ऐसे में कुछ रिश्तेदारों ने उसे खाड़ी देश सऊदी कमाई करने के लिए सलाह दी. 


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पत्नी ने बेच दिए थे गहने
राम मिलन ने परिवार को सऊदी जाने की बात कही. परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण उसकी पत्नी राजवंती ने अपने गहने बेच दिए ताकि पति को वीजा और पासपोर्ट बनवाने के लिए पैसे दे सके. सऊदी भेजने के लिए लगभग 1 लाख 30 हजार खर्च हुए जिसमें रिश्तेदारों से 80 हजार कर्ज लिया गया था. राम मिलन लगभग 8 महीने पहले वीजा और पासपोर्ट बनवाने के बाद 27 फरवरी 2022 को सऊदी के जद्दाह शहर के लिए रवाना हो गया. वहां पर उसने एक हजार रियाल में मैन पावर सप्लाई कंपनी में नौकरी कर लिया. पहले महीने में उसने लगभग 15 दिन तक काम किया और सैलरी भी लिया लेकिन फिर 3 महीने तक उसका काम बंद रहा. हालांकि इस दौरान कंपनी उसे खाने के लिए 300 रियाल देती रही. 


फोन पर क्या बताया था
जून महीने में राम मिलन की कंपनी ने उनको दम्माम भेज दिया. दम्माम पहुंचने के बाद उसे प्रिंस मोहम्मद बिन फहद यूनिवर्सिटी में सफाई कर्मचारी की नौकरी मिल गई और वह मेहनत और ईमानदारी से  काम करने में जुट गया. जून और जुलाई काम किया. इस दौरान परिवार के लोगों से बातचीत भी होती रहती थी. मरने से पहले राममिलन ने परिजनों को बताया था कि वह जून, जुलाई और अगस्त महीने की सैलरी सितंबर महीने में भेज देगा. आखिरी बार राम मिलन ने 18 अगस्त को वीडियो कॉल किया. बातचीत के दौरान उसने अपनी माता नत्थी देवी को बताया कि उसके सीने में बहुत तेजी से दर्द हो रहा है. शरीर से पसीना निकल रहा है. 


कैसे पता चला मौत के बारे में
राम मिलन की मां ने कहा कि आज काम पर मत जाना और घर में रहकर आराम करना. जरूरत पड़े तो डॉक्टरों को बुला लेना और इलाज भी करवा लेना. इसके बाद राम मिलन ने फोन काट दिया. परिजनों ने जब दोबारा राम मिलन से संपर्क करना चाहा तो उसका फोन नहीं लगा. इस दौरान परिजन कई दिन तक फोन लगाते रहे. बावजूद इसके फोन नहीं मिला. पुणे में रहने वाले राम मिलन के एक रिश्तेदार को फेसबुक में मौत की खबर मिली तो उसने राममिलन के परिजनों को फोन कर मौत की खबर दी. राममिलन की मौत की जानकारी होते ही परिजनों में कोहराम मच गया. 


लगा रहे मुआवजे की गुहार
परिजन राम मिलन के शव को वतन वापस लाने के लिए इधर-उधर भाग दौड़ करने लगे. इस दौरान लगभग 10 दिनों तक घर में चूल्हा तक नहीं जला. आसपास के लोग और रिश्तेदारी के लोग दुखी परिजनों के लिए भोजन आदि की व्यवस्था करने में जुट गए. परिवार के लोगों ने कौशांबी सांसद विनोद सोनकर के अलावा डीएम से भी मुलाकात की. कागजी प्रक्रिया में काफी लंबा वक्त लग गया. समाज सेवी अमान रिजवी की मदद से लगभग 43 दिन बाद राममिलन का शव घर पहुंचा तो परिजन दहाड़े मारकर रोने लगे. उसके शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया. अब परिवार के लोग प्रशासन से मुआवजे की गुहार लगा रहे हैं.


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