देहरादून, एबीपी गंगा। विश्वप्रसिद्ध केदारनाथ धाम के कपाट मंगलवार सुबह भैयादूज के पावन पर्व पर शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। सुबह साढ़े 8 बजे विधि विधान व पूजा अर्चना के साथ कपाट बंद कर दिए गए। मुख्य पुजारी केदार लिंग ने कपाट बंद होने की पूजा संपन्न करायी। इस मौके पर मंदिर परिसर में करीब 1200 श्रद्धालुओं के साथ ही मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह, रूद्रप्रयाग के पुलिस अधीक्षक अजय सिंह भी मौजूद रहे।


कपाट बंद होने के बाद केदारनाथ की पंच मुखी चल विग्रह उत्सव डोली लिनचोली, जंगलचट्टी, गौरीकुण्ड, सोनप्रयाग, सीतापुर समेत दूसरे यात्रा पड़ावों से होते हुए पहले रात्रि प्रवास रामपुर के लिए रवाना हो गई। 30 अक्टूबर को भगवान केदारनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली रामपुर से रवाना होकर अलग-अलग यात्रा पड़ावों से होते हुए विश्वनाथ मन्दिर गुप्तकाशी पहुंचेगी। 31 अक्टूबर को भगवान केदारनाथ की उत्सव डोली विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी से दोपहर को अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मन्दिर में विराजमान हो जाएगी। एक नवंबर से भगवान केदारनाथ की शीतकालीन पूजा उखीमठ के ओंकारेश्वर मन्दिर में विधिवत शुरू हो जाएगी।


यमुनोत्री धाम के भी कपाट बंद
यमुनोत्री धाम के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। दोपहर 12 बजकर 25 मिनट पर विधि विधान के साथ कपाट बंद हुए। 6 महीने के लिए मां यमुना के दर्शन उनके शीतकालीन प्रवास खुशीमठ (खरसाली) में कर सकेंगे।