Uttarakhand News: केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) में रक्षाबंधन (Rakshabandhan) से एक दिन पहले अन्नकूट मेला (Annakut Mela) शुरू हो गया है. आज दोपहर से ही बाबा केदार के कपाट खुले हुए हैं और रात भर कपाट खुले रहेंगे. रात के समय त्रिकोणीय आकार के शिवलिंग पर पके हुए चावलों का लेप लगाया जाएगा. केदारघाटी और केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहितों की आराध्य देवी मां दुर्गा (Goddess Durga) भी केदारनाथ पहुंच चुकी हैं. देवी की डोली ने मंदाकिनी नदी (Mandakini River) में स्नान किया और फिर एक दिन के लिए बाबा केदार के गर्भ गृह में विराजमान हो गईं. मेले में शामिल होने के लिए केदारघाटी से हजारों की संख्या में भक्त केदारनाथ पहुंचे हैं. आज भक्त मां दुर्गा और भगवान केदारनाथ के दर्शन एक साथ कर रहे हैं.


अन्नकूट मेले का यह है महत्व
हर साल रक्षाबंधन से एक दिन पहले केदारनाथ धाम में अन्नकूट मेला मनाया जाता है. इस दौरान रात के समय बाबा केदार के लिंग पर पके हुए चावल का लेप लगाया जाता है और फिर दूसरे दिन इसे मंदाकिनी नदी में प्रवाहित किया जाता है. केदारघाटी के लोग और तीर्थ पुरोहित सालों से इस परंपरा को निभाते आ रहे हैं. आज रात भर मंदिर के कपाट खुले रहेंगे और भक्त बाबा केदार के दर्शन करेंगे. साथ ही बाबा केदार को नए अनाज का भोग भी लगाया जाएगा. अन्नकूट मेला लगने के पीछे मान्यता है कि नए अनाज में होने वाले सारे विष को भगवान शिव धारण कर लेते हैं. भगवान शिव के विष को धारण करने के बाद मनुष्य फिर नया अनाज खा सकते हैं. केदारनाथ के अलावा अन्नकूट मेले का आयोजन विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी में भी किया जाता है.


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11 क्विंटल गेंदे के फूल से सजा मंदिर


अन्नकूट मेले को लेकर केदारनाथ मंदिर को 11 क्विंटल गेंदे के फूलों से भव्य तरीके से सजाया गया है. साथ ही भगवान केदारनाथ पर सवा टन चावल का लेप लगाया जाएगा. केदारनाथ के तीर्थ पुरोहित अंकित सेमवाल ने बताया कि पूर्वजों द्वारा निभाई जा रही परंपरा के अनुसार अन्नकूट मेले का आयोजन किया जाता है. साथ ही इस पावन पर्व पर भगवान शिव और मां दुर्गा का मिलन होता है. उन्होंने बताया कि केदारनाथ धाम में रक्षा बंधन से पहले अन्नकूट मेला आयोजित किया जाता है. हजारों की संख्या में भक्त अन्नकूट मेले को लेकर केदारनाथ पहुंचे हैं. इस अवसर पर भगवान शिव को नए अनाज का भोग लगाया जाता है, जिसे अन्नकूट या स्थानीय भाषा में भतूज मेला कहा जाता है. उन्होंने बताया कि सायंकाल को पूजा आरती के बाद मध्य रात्रि को ज्योतिर्लिंग को पके चावलों के भोग से ढक दिया जाएगा. रात्रि को 2 बजे से सुबह 4 बजे सुबह तक श्रद्धालु दर्शन करेंगे. इसके बाद चावल के भोग को मंदाकिनी नदी में प्रवाहित किया जाएगा. मान्यता है कि भगवान शिव जनकल्याण के लिए नए अनाजों से जहर को स्वयं में समाहित कर लेते हैं.


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