Kedarnath Bypoll Election 2024: उत्तराखंड की प्रतिष्ठित केदारनाथ विधानसभा सीट भारतीय जनता पार्टी की विधायक शैलारानी रावत के निधन के बाद खाली हो गई. इस सीट अगले 20 नवंबर को उपचुनाव होगा. केदारनाथ सीट पर दोबारा जीत दर्ज करना बीजेपी के एक बड़ी चुनौती बन गई है, पार्टी आलाकमान ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है. 


दूसरी तरफ कांग्रेस भी केदारनाथ विधानसभा सीट पर जीत हासिल करने के लिए कमर कस चुकी है. ऐसे में केदारनाथ क्षेत्र के सर्द मौसम में सियासी पारा तेजी से बढ़ने लगा है. यहां पर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच सीधी टक्कर मानी जा रही है. 


बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा की जंग
बीजेपी के लिए केदारनाथ सीट का महत्व सिर्फ इसलिए नहीं है कि यह सीट पहले से उसके पास थी, बल्कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं से भी जुड़ी हुई है. केदारनाथ धाम का पुनर्निर्माण प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट्स में से एक है.


बीते कुछ समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केदारपुरी का पुनर्निर्माण करके इसे नए कलेवर में निखारा गया है. ऐसे में बीजेपी के लिए यह सीट सिर्फ एक विधानसभा सीट नहीं, बल्कि प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है. 


उपचुनाव की हार से बीजेपी निराश
हालांकि, बदरीनाथ और मंगलौर सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजों ने बीजेपी की भारतीय जनता पार्टी की टेंशन बढ़ा दी है. पार्टी को इन दोनों सीटों पर हार का सामना करना पड़ा, लेकिन बीजेपी के लिए यह संतोषजनक था कि ये सीटें पहले से ही उसके पास नहीं थीं. 


बदरीनाथ में हार के पीछे प्रत्याशी चयन को लेकर पार्टी कैडर में नाराजगी बड़ी वजह बताई जा रही है. दूसरी तरफ मंगलौर में भारतीय जनता पार्टी का प्रदर्शन अपेक्षाकृत बेहतर रहा, यहां पर बीजेपी ने दूसरा स्थान हासिल किया था.


बदरीनाथ उपचुनाव से सबक लेते हुए, बीजेपी ने केदारनाथ सीट के खाली होते ही अपनी चुनावी रणनीति पर काम शुरू कर दिया. पार्टी डबल इंजन सरकार की ताकत को भुनाने की कोशिश कर रही है.


प्रधानमंत्री मोदी के नाम और केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण की सफलता को अपनी रणनीति का हिस्सा बना रही है. इसके अलावा बीजेपी स्थानीय मुद्दों पर भी फोकस कर रही है, ताकि मतदाताओं के साथ सीधा जुड़ाव कायम किया जा सके.


कांग्रेस को जीत की उम्मीद
कांग्रेस भी केदारनाथ उपचुनाव में जीत के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रही है. हाल में मंगलौर और बदरीनाथ सीट पर कांग्रेस को मिली जीत ने पार्टी को आत्मविश्वास से भर दिया है. हालांकि, हरियाणा में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है, लेकिन उत्तराखंड में कांग्रेस अपनी चुनावी रणनीति पर ध्यान केंद्रित कर रही है. 


कांग्रेस की रणनीति केंद्र और राज्य सरकारों के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी फैक्टर को भुनाने की है. पार्टी को उम्मीद है कि बीजेपी के खिलाफ मतदाताओं के बीच असंतोष उसकी जीत की राह आसान करेगी. हालांकि, कांग्रेस को अपने भीतर की अंतर्कलह और संसाधनों की कमी जैसी चुनौतियों का सामना भी करना होगा. 


कांग्रेस-बीजेपी में सीधा मुकाबला
केदारनाथ सीट के उपचुनाव को लेकर जहां बीजेपी अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है, तो दूसरी तरफ कांग्रेस इस मौके को अपने पक्ष में करने के लिए संघर्षरत है. दोनों ही दल इस सीट को जीतने के लिए अलग-अलग रणनीतियों पर काम कर रहे हैं. 


बीजेपी प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता और केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण के जरिये वोटर्स को साधने में लगी है, जबकि कांग्रेस एंटी इनकंबेंसी और स्थानीय मुद्दों को आधार बनाकर मतदाताओं को साधने की कोशिश में है.


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