केदारनाथ उपचुनाव में BJP और कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई, निर्दलीय उम्मीदवार भी बन रहे चुनौती
Uttarakhand News: केदारनाथ उपचुनाव में बीजेपी और कांग्रेस की साख दांव पर है. बीजेपी प्रधानमंत्री मोदी के विकास कार्यों पर भरोसा कर रही है, जबकि कांग्रेस स्थानीय मुद्दों को भुनाने की कोशिश कर रही है.
Kedarnath By Election 2024: उत्तराखंड के केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव ने प्रदेश की राजनीति को गरमा दिया है.यह चुनाव दोनों प्रमुख दलों, भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस, के लिए न केवल महत्वपूर्ण है, बल्कि उनकी साख का सवाल भी बन चुका है. जहां कांग्रेस इस सीट को जीतकर अपनी हालिया जीत की लहर को जारी रखना चाहती है. वहीं BJP इस सीट पर विजय हासिल कर यह साबित करना चाहती है कि विकास और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के सहारे वह प्रदेश में अपराजेय है.
BJP के लिए यह चुनाव बेहद अहम है क्योंकि केदारनाथ विधानसभा को धार्मिक और राजनीतिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण क्षेत्र माना जाता है.पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने इस क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए विकास कार्यों को चुनावी मुद्दा बनाया है.BJP को विश्वास है कि मोदी के नेतृत्व में किए गए केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण और यात्रा सुविधाओं में सुधार से लोग प्रभावित हैं.
चुनाव प्रचार में जुटे कई दिग्गज
पार्टी ने इस सीट को जीतने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है.पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत के साथ मौजूदा कैबिनेट मंत्री भी चुनाव प्रचार में जुटे हैं.पौड़ी से सांसद और BJP के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी ने कहा कि कांग्रेस द्वारा यात्रा प्रबंधन को लेकर फैलाए जा रहे "झूठ" का जवाब दिया जा रहा है.उनका दावा है कि अगले साल की केदारनाथ यात्रा पिछली सभी यात्राओं से अधिक भव्य होगी.
कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती
कांग्रेस के लिए यह चुनाव अपनी जमीन मजबूत करने का मौका है.पार्टी के उम्मीदवार मनोज रावत स्थानीय मुद्दों को उठाकर जनता का समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं.उन्होंने क्षेत्र में टूटी सड़कों, पलायन, रोजगार, और यात्रा प्रबंधन जैसे मुद्दों को चुनावी मंच पर रखा है.कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस चुनाव में मोर्चा संभाला है.उनके साथ पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत भी सक्रिय हैं.
स्थानीय जनता की क्या है राय
चुनाव प्रचार के दौरान स्थानीय जनता से बातचीत में यह सामने आया कि क्षेत्र के लोग राज्य सरकार के प्रति नाराजगी जाहिर कर रहे हैं.टूटी सड़कों, रोजगार के अवसरों की कमी, और पलायन जैसी समस्याओं को लेकर लोगों ने राज्य सरकार पर सवाल उठाए.हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता इस नाराजगी को कम करने का काम कर रही है. स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रधानमंत्री ने केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण और यात्रा प्रबंधन में अभूतपूर्व कार्य किया है.
मुख्यमंत्री धामी का वादा
प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी क्षेत्र में जनसभाएं की और स्थानीय लोगों को भरोसा दिलाया कि केदारनाथ क्षेत्र में विकास की नई इबारत लिखी जाएगी.धामी ने कहा कि उनकी सरकार पलायन रोकने और स्थानीय लोगों को रोजगार देने के लिए पर्यटन और यात्रा से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास करेगी.
निर्दलीय उम्मीदवार भी बने चुनौती
इस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी प्रमुख दलों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं.कई निर्दलीय उम्मीदवार क्षेत्र के स्थानीय मुद्दों को उठाकर जनता के बीच अपनी जगह बना रहे हैं.इससे BJP और कांग्रेस दोनों को अपने वोट बैंक पर असर पड़ने की चिंता है.
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