Kedarnath ByPolls 2024: केदारनाथ उपचुनाव के लिए दोनों प्रमुख राजनीतिक दल, भाजपा और कांग्रेस, अपनी-अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं. भाजपा पिछले दो महीनों से उपचुनाव की तैयारी में जुटी हुई है, जबकि कांग्रेस भी अपने उम्मीदवार को जीत दिलाने के लिए पूरी तरह से तैयार है. मंगलौर और बदरीनाथ उपचुनावों में हार के बाद भाजपा अब केदारनाथ उपचुनाव को जीतने के लिए किसी भी तरह की कसर नहीं छोड़ना चाहती है.
भाजपा की तैयारी और गोपनीय सर्वे
भाजपा ने केदारनाथ उपचुनाव में अपने उम्मीदवार को मजबूत बनाने के लिए गोपनीय सर्वे शुरू कराया है. पार्टी हाईकमान की ओर से एक विशेष टीम को केदारनाथ क्षेत्र में भेजा गया है, जो स्थानीय जनसमर्थन और राजनीतिक समीकरणों का आकलन कर रही है. भाजपा के सूत्रों के मुताबिक, पार्टी प्रत्याशी का चयन आधिकारिक रूप से चुनाव की तिथि घोषित होने के बाद शुरू होगा, लेकिन उससे पहले आंतरिक सर्वेक्षण और स्थानीय नेताओं की लोकप्रियता के आधार पर एक मजबूत चेहरे की तलाश की जा रही है.
सूत्रों के अनुसार, भाजपा के कई नेता उपचुनाव में अपनी दावेदारी जता चुके हैं, लेकिन पार्टी फिलहाल चार नेताओं के नामों पर गंभीरता से विचार कर रही है. इन नेताओं में महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व विधायक आशा नौटियाल, दिवंगत विधायक शैलारानी रावत की बेटी ऐश्वर्या रावत, कुलदीप रावत, और दायित्वधारी चंडी प्रसाद भट्ट शामिल हैं. इनमें से कुलदीप रावत ने पहले से ही जनता के बीच जाकर अपनी प्रचार गतिविधियां शुरू कर दी हैं, जिससे उनका नाम चर्चा में बना हुआ है.
कांग्रेस की रणनीति और विश्वास
वहीं, कांग्रेस भी इस उपचुनाव को लेकर पूरी तरह से तैयार है और उसे उम्मीद है कि भाजपा के सारे प्रयासों के बावजूद वह इस चुनाव में जीत हासिल करेगी. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने अपनी चुनावी रणनीति को लेकर खुलासा किया और कहा कि भाजपा सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद केदारनाथ में कांग्रेस की जीत तय है. माहरा ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार चुनाव को प्रभावित करने के लिए विभिन्न विभागों के पांच कैबिनेट मंत्रियों को क्षेत्र में तैनात कर चुकी है, लेकिन कांग्रेस के मजबूत संगठन और जनता के समर्थन से उनकी पार्टी विजयी होगी.
करण माहरा ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पिछले दो महीनों में केदारनाथ क्षेत्र में 38 घोषणाएं की हैं, लेकिन ये घोषणाएं केवल चुनावी रणनीति का हिस्सा हैं और इनसे भाजपा को कोई खास लाभ नहीं होगा. माहरा ने राज्य की कानून व्यवस्था पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि प्रदेश में कानून और व्यवस्था की स्थिति चिंताजनक है. उन्होंने केदारनाथ उपचुनाव को लेकर जनता के बीच कांग्रेस के पक्ष में माहौल होने का दावा किया.
स्थानीय मुद्दों पर कांग्रेस का फोकस
कांग्रेस ने अपने प्रचार में स्थानीय मुद्दों को प्रमुखता से उठाया है. माहरा ने कहा कि भारत से कैलास दर्शन यात्रा का जिम्मा पीढ़ियों से रह रहे स्थानीय ग्रामीणों को न देकर कुमाऊं मंडल विकास निगम को सौंपा गया है, जो गलत है. उन्होंने इसे स्थानीय लोगों के अधिकारों का हनन बताया और इस मुद्दे को लेकर जनता के बीच व्यापक समर्थन जुटाने का प्रयास किया जा रहा है.
चुनाव की रणनीति और भविष्य की संभावनाएं
केदारनाथ उपचुनाव को भाजपा और कांग्रेस दोनों ही बेहद गंभीरता से ले रहे हैं. भाजपा जहां अपनी संगठन शक्ति और मंत्रियों की टीम को मैदान में उतारकर जीत सुनिश्चित करना चाहती है, वहीं कांग्रेस ने स्थानीय मुद्दों और सरकार के निर्णयों को चुनौती देकर जनता का समर्थन हासिल करने की रणनीति बनाई है. चुनाव की तिथि घोषित होने के बाद दोनों दलों के प्रत्याशी का नामांकन और प्रचार अभियान और तेज होगा.
इस उपचुनाव के नतीजे आने वाले समय में उत्तराखंड की राजनीति को महत्वपूर्ण दिशा देंगे, क्योंकि यह राज्य की जनता के मौजूदा सरकार पर विश्वास और विपक्ष की स्थिति का आकलन करने का एक महत्वपूर्ण अवसर होगा. भाजपा और कांग्रेस दोनों ही अपने-अपने दावों और तैयारियों के साथ मैदान में उतरने को तैयार हैं, और यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता किस पार्टी पर अपना भरोसा जताती है.