Kedarnath Dham: दीयो से जगमगा उठा केदारनाथ धाम, 27 अक्टूबर को 6 महीने के लिए बंद हो जाएंगे कपाट
दीपावली का त्योहार सोमवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा. त्योहार को देखते हुए रुद्रप्रयाग स्थित केदारनाथ धाम में दीपोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया है.
Uttarakhand News: दीपावली (Deepawali) से पहले केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) को सजाया गया है. यहां दीपावली के दिन भगवान गणेश, भगवान केदारनाथ, माता पार्वती और लक्ष्मी-नारायण की पूजा होगी जबकि 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण के दिन मंदिर के कपाट बंद रहेंगे. यहां सोमवार सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी हुई है जो कि बाबा के दरबार में दीपावली मनाने आए हैं.
देश-विदेश से पहुंच रहे श्रद्धालु
यहां दीपावली के अवसर पर खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. दीपावली मनाने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु बाबा के द्वार पहुंच रहे हैं. यहां सुबह से लेकर शाम तक श्रद्धालुओं की लाइन लगी रही. श्रद्धालु केदारनाथ मंदिर परिसर में दीये जला रहे हैं और दुकानों से भी खूब खरीदारी कर रहे हैं. दीयों की रोशनी से बाबा केदार की नगरी जगमगा रही है.
25 अक्टूबर को लगभग 13 घंटे बंद रहेगा मंदिर
बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डाॅ हरीश गौड़ ने बताया कि पंचांग गणना के अनुसार 25 अक्टूबर मंगलवार सुबह 4 बजकर 26 मिनट से शाम 5 बजकर 32 मिनट ग्रहणकाल तक केदारनाथ मंदिर और सभी अधीनस्थ मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे. उन्होंने बताया कि 12 घंटे पहले सूतक शुरू हो जाता है. पंचांग के अनुसार 25 अक्टूबर शाम 5 बजकर 32 मिनट तक ग्रहणकाल रहेगा. ग्रहणकाल तक उत्तराखंड के चारों धामों सहित छोटे-बड़े मंदिर बंद रहेंगे. ग्रहण समाप्त होने के बाद मंदिरों की सफाई होगी और फिर पूजा-आरती की जाएगी.
29 को ओंकारेश्वर पहुंचेगी बाबा केदार की उत्सव डोली
वहीं 27 अक्टूबर को भैयादूज पर्व पर बाबा केदार के कपाट बंद कर दिए जाएंगे, जिसको लेकर भी बद्री-केदार मंदिर समिति तैयारियों में जुटी हुई है. उन्होंने बताया कि केदारनाथ की उत्सव डोली मंदिर से सुबह 8.30 बजे निकलेगी और रात्रि विश्राम के लिए रामपुर पहुंचेगी. अगले दिन सुबह रामपुर से फाटा, नारायण कोठी होते हुए रात्रि विश्राम के लिए गुप्तकाशी पहुंचेगी. उन्होंने बताया कि 29 अक्टूबर को केदारनाथ की उत्सव डोली सुबह आठ बजे विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी से प्रस्थान कर पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में प्रवेश करेगी और परम्परानुसार अपने गद्दीस्थल में विराजमान होगी.
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