Uttarakhand News: भगवान आशुतोष के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) के गर्भगृह के कपाट बंद होने से पहले उसे स्वर्णमंडित कर दिया गया है. गर्भगृह (Kedarnath Sanctum) की दीवार, जलेरी और छत को 550 सोने की परतों से भव्य रूप दिया गया है. एएसआई (ASI) के दो अधिकारियों की निगरानी में यह काम पूरा हुआ है. हालांकि केदारनाथ मंदिर गर्भगृह में सोने की परत चढ़ाए जाने से तीर्थ पुरोहितों में आक्रोश बना हुआ है.


19 कारीगरों की मदद से चढ़ाई गई स्वर्ण परत


महाराष्ट्र के एक व्यक्ति के सहयोग से श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने गर्भगृह की साज-सज्जा की पहल की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केदारनाथ दौरे से पहले भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, केंद्रीय भवन अनुसंधान रुड़की और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग विभाग के छह सदस्यीय टीम ने धाम पहुंचकर मंदिर के गर्भगृह का निरीक्षण किया था. विशेषज्ञों की रिपोर्ट के बाद तीन दिन पहले केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में सोने की परत लगाने का काम शुरू किया गया. 19 कारीगरों ने मंदिर के गर्भगृह को नया रूप दिया है, जिन्होंने सोने की 550 छोटी-बड़ी परतें दीवारों, जलेरी और छत पर लगाई.


4 अगस्त को मांगी गई थी मंजूरी


2023 में श्रद्धालु स्वर्णमंडित गर्भगृह में अपने आराध्य बाबा केदार के दर्शन करेंगे. इस वर्ष जुलाई के आखिरी सप्ताह में महाराष्ट्र के दानीदाता ने श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति को केदारनाथ मंदिर का गर्भगृह स्वर्णमंडित करने के लिए आग्रह किया था. इसके बाद 4 अगस्त को बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने शासन से गर्भगृह की साज-सज्जा की अनुमति के लिए चिट्ठी भेजी थी. करीब ढाई महीने में सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को स्वर्णमंडित किया गया है. बीकेटीसी के ईओ रमेश चंद्र तिवारी ने कहा कि केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने से पहले गर्भगृह की दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने का काम पूरा कर लिया गया है.


क्यों नाराज हैं तीर्थ पुरोहित?


उधर, तीर्थ पुरोहित इस फैसले से नाखुश हैं. पुरोहित संतोष त्रिवेदी ने कहा कि शनिवार को भुकुंट भैरवनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं, जिसके बाद से केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद की प्रक्रियाएं भी शुरू हो गई हैं. इस दौरान भगवान समाधि की ओर चले जाते हैं और मंदिर में सोना नहीं चढ़ाया जा सकता. अगर सोने को लगाया जाना है तो वह अगले साल तीर्थ पुरोहितों को विश्वास में लेकर लगाया जा सकता है. मंदिर समिति ने भैरवनाथ के कपाट बंद होने के बाद ही सोने की परत चढ़ा दी है. ऐसे में तीर्थ पुरोहितों में बद्री-केदार मंदिर समिति के खिलाफ आक्रोश पैदा हो गया है. 


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