Kedarnath Dham Yatra: केदारनाथ धाम की यात्रा साल 2025 से बदलने जा रही है, जब पैदल यात्रा वन-वे हो जाएगी. इस बदलाव से यात्रियों को अधिक सुविधा होगी और पुराने मार्ग को पुनर्जीवित करने का काम शुरू हो चुका है. जून 2013 की विनाशकारी आपदा के बाद रामबाड़ा से केदारनाथ तक का लगभग 7 किमी का पैदल रास्ता पूरी तरह से ध्वस्त हो गया था.तब, नेहरू पर्वतारोहण संस्थान द्वारा रामबाड़ा से मंदाकिनी नदी के दाईं तरफ से एक नया 9 किमी का रास्ता बनाया गया, जिसे बीते 10 वर्षों से यात्रा के लिए उपयोग किया जा रहा है.



नए रास्ते से लगातार बढ़ती यात्रियों की संख्या के चलते वर्तमान मार्ग पर काफी दबाव बन गया है .इसके अलावा, 31 जुलाई 2023 को आई आपदा से इस मार्ग को भी व्यापक क्षति पहुंची है. क्षेत्र में भूस्खलन की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, जिससे यात्री और स्थानीय प्रशासन दोनों चिंतित हैं. इसी के मद्देनजर पुराने मार्ग को पुनर्जीवित करने का कार्य शुरू हुआ है. रामबाड़ा से गरुड़चट्टी तक का 5.35 किमी लंबा और 1.8 मीटर चौड़ा रास्ता पुनर्जीवित किया जा रहा है. इस मार्ग के निर्माण से केदारनाथ धाम की पैदल यात्रा आसान हो जाएगी. बल्कि गरुड़चट्टी क्षेत्र, जो कि 2013 की आपदा के बाद से वीरान था, भी फिर से जीवंत हो जाएगा.

पुराने मार्ग का पुनर्जीवन
पुराने रास्ते को पुनर्जीवित करने का विचार वर्ष 2015 में आया था और इसके बाद से विभिन्न चरणों में भूमि सर्वेक्षण और अन्य औपचारिकताएं पूरी की गईं.भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय ने 2023 में इस परियोजना को हरी झंडी दी, जिसमें 0.983 हेक्टेयर वन भूमि के हस्तांतरण की अनुमति मिली.मार्च-अप्रैल 2023 में वन संपदा क्षतिपूर्ति की राशि जमा की गई, जिसके बाद निविदा जारी की गई.

5 करोड़ की लागत से होगा पुन: तैयार
अगस्त 2023 के तीसरे सप्ताह से लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) ने रामबाड़ा से गरुड़चट्टी तक पुराने मार्ग को पुनर्जीवित करने का काम शुरू किया. वर्तमान में लगभग एक किमी का कटान कार्य पूरा हो चुका है. लगभग 5 करोड़ रुपये की लागत से इस मार्ग को पुनः तैयार किया जाएगा.दूसरे चरण में, रास्ते को और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए रेलिंग और अन्य संरचनात्मक सुधार किए जाएंगे.इसके साथ ही, मंदाकिनी नदी पर एक नया पुल भी बनाया जा चुका है, जो इस मार्ग को केदारनाथ मंदिर से जोड़ेगा.

वन-वे यात्रा की योजना
पुराने रास्ते के पुनर्जीवित होने के बाद, केदारनाथ यात्रा को वन-वे बना दिया जाएगा.नई योजना के तहत, यात्रियों को नए रास्ते से धाम की ओर भेजा जाएगा और दर्शन के बाद वे पुराने रास्ते से वापस लौटेंगे.इससे नए मार्ग पर यातायात का दबाव कम होगा और पुराने मार्ग का उपयोग भी फिर से होने लगेगा.इसके अतिरिक्त, घोड़ा-खच्चरों का संचालन नए रास्ते से होगा, जबकि पैदल यात्रियों के लिए पुराने मार्ग को सुरक्षित और सुगम बनाया जाएगा. यह परिवर्तन केदारनाथ यात्रा के अनुभव को और अधिक समृद्ध बनाएगा और साथ ही स्थानीय पर्यावरण और यात्री सुरक्षा दोनों को ध्यान में रखते हुए एक संतुलित यात्रा व्यवस्था सुनिश्चित करेगा.

भविष्य में यात्रा पर प्रभाव
प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु केदारनाथ धाम की यात्रा करते हैं और इस यात्रा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत गहरा है.लेकिन, बढ़ती भीड़ और प्राकृतिक आपदाओं के कारण यात्रा मार्गों पर दबाव निरंतर बढ़ता जा रहा है. इस नई वन-वे योजना से यात्रियों को अधिक सुविधा मिलने की संभावना है, जिससे न केवल यात्रा सुगम होगी बल्कि क्षेत्र में पर्यावरणीय क्षति को भी नियंत्रित किया जा सकेगा.पुराने रास्ते के पुनर्जीवित होने से एक और लाभ यह होगा कि गरुड़चट्टी, जो कि केदारनाथ यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव हुआ करता था, फिर से यात्रियों से गुलजार हो जाएगा.


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