Kedarnath Yatra: केदारनाथ यात्रा में अब तक 103 घोड़े-खच्चरों ने अपनी जान गंवाई, मालिकों की लापरवाही से हो रही मौत
Uttarakhand News: केदारनाथ यात्रा में केवल 26 दिनों की यात्रा में 103 पशुओं की मौत हो चुकी है. पशुओं की मौत का कारण उनके मालिकों की लापरवाही बताई जा रही है.
Kedarnath News: केदारनाथ (Kedarnath) यात्रा में घोड़े-खच्चरों की मौत का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है. केवल 26 दिनों की यात्रा में 103 पशुओं की मौत हो चुकी है. पशुओं की मौत का कारण उनके मालिकों की लापरवाही बताई जा रही है. जो गौरीकुंड-केदारनाथ के 18 किमी पैदल मार्ग पर पशुओं को चारा-दाना नहीं खिला रहे हैं और उन्हें पानी तक नहीं पिलाया जा रहा है. जिससे पशुओं का स्वास्थ्य खराब हो रहा है और उनकी मौत हो रही है.
बीस सदस्यीय टास्क फोर्स टीम गठित की गई
जिला प्रशासन ने पशुपालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई को लेकर बीस सदस्यीय टास्क फोर्स टीम गठित की है. इस टीम को यात्रा मार्गो पर विभाजित किया गया है. उत्तराखंड के चार धामों में केदारनाथ धाम की यात्रा सबसे कठिन यात्रा है. पैदल यात्रा मार्ग से सबसे अधिक भक्त बाबा केदार के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं. इस यात्रा सीजन में साढ़े आठ हजार खोड़े-खच्चरों का रजिस्ट्रेशन किया गया है, जिनमें पचास प्रतिशत घोड़े-खच्चरों का संचालन किया जा रहा है और अन्य घोड़े-खच्चरों को आराम दिया जा रहा है. अभी यात्रा शुरू हुए 26 ही दिन हुए हैं और पैदल मार्ग पर 103 घोड़े-खच्चरों की मौत हो चुकी है, जो कि एक चिंता का विषय बन गया है. पैदल मार्ग पर घोड़े-खच्चरों की मौत का सबसे बड़ा कारण उनके मालिक हॉकरों की लापरवाही सामने आ रही है.
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मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ आशीष रावत ने बताया कि केदारनाथ पैदल मार्ग में घोड़े-खच्चर इक्वाइन कोलिक बीमारी से मौत का शिकार हो रहे हैं. घोड़ा-खच्चर संचालक अपने पशुओं को पैदल मार्ग पर चारा-दाना के साथ पानी तक नहीं पिला रहे हैं, जिस कारण उनके पेट में गैस बन रही है और वे दर्द से मर रहे हैं. पशु पालक समय से पशु अधिकारियों को भी सूचना नहीं दे रहे हैं, जिससे पशुओं की जान को बचाया जा सके. उन्होंने कहा कि पशुपालक अपने पशुओं के प्रति गंभीर नहीं हैं.
इन जगहों पर तैनात की गई टीम
केदारनाथ यात्रा में साढ़े आठ हजार घोड़े-खच्चरों का पंजीकरण किया गया है, जिनमें पांच प्रतिशत ही घोड़े-खच्चरों का संचालन करवाया जा रहा है. एक समय में साढ़े चार हजार घोड़े-खच्चर संचालित किये जा रहे हैं. डॉ आशीष रावत ने आगे बताया कि गौरीकुंड से केदारनाथ धाम तक नौ चिकित्सकों के साथ पांच पशुधन प्रसार अधिकारी तैनात किये गये हैं, जबकि दो चिकित्सक कुछ दिन बाद पहुंच जायेंगे. अब तक 1350 पशुओं का इलाज किया जा चुका है.
पशु चिकित्सक दिन-रात पशुओं को चिकित्सा सुविधा प्रदान कर रहे हैं.उन्होंने कहा कि घोड़े-खच्चर संचालक एवं हाॅकरों पर निगरानी को लेकर बीस सदस्यीय टाॅस्क फोर्स टीम भी गठित की गई है. जिन्हें यात्रा मार्गो में विभाजित किया गया है. ये टीम गौरीकुंड से भीमबली, भीमबली से जंगलचट्टी, जंगलचट्टी से लिनचोली, लिनचोली से केदारनाथ पैदल मार्ग पर तैनात की गई है. टीम की ओर से ऐसे घोड़े-खच्चर संचालकों पर निगरानी रखी जायेगी, जो पशुओं को सही समय पर चारा-दाने के साथ पानी उपलब्ध नहीं करा रहे हैं.