बर्फबारी, आपदा और भूकंप को ध्यान में रखकर किया जा रहा केदारनाथ धाम का पुनर्निर्माण, तीर्थ पुरोहितों के भवन तैयार
उत्तराखंड में साल 2013 की आपदा के बाद केदारनाथ में पुनर्निर्माण का कार्य तेज गति से किया जा रहा है. केदारनाथ धाम में नवनिर्मित भवनों को बर्फबारी, आपदा, भूकंप आदि को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है. कोरोना वायरस की वजह से कपाट खुलने के बाद एक भी भक्त बाबा के दरबार में नहीं गया है. मात्र मंदिर समिति के कुछ कर्मचारी, पुलिस के जवान और मजदूर ही धाम में मौजूद हैं.
रुद्रप्रयाग। केदारनाथ में पुनर्निर्माण का कार्य तेज गति से किया जा रहा है. साल 2013 में आई आपदा के बाद अब सात साल के बाद केदारनाथ धाम में तीर्थ पुरोहितों के लिये पक्के भवन बनकर तैयार हो गये हैं. इन भवनों को बेहद खास तरीके से बनाया गया है. भविष्य में आने वाली आपदा, केदारनाथ धाम में होने वाली बर्फबारी एवं भूकंप आदि को ध्यान में रखकर इन भवनों के बनाया गया है.
16-17 जून 2013 की आपदा को शायद ही कभी भुलाया जा सकता है. इस आपदा ने केदारनाथ धाम के अलावा रुद्रप्रयाग जिले के अधिकांश हिस्सों को तबाह कर दिया था. मंदाकिनी नदी के रौद्र रूप ने केदारनाथ धाम में स्थित अनेक भवनों को जड़ से उखाड़ दिया था. धाम के तबाह होने से केदारनाथ में रहने वाले स्थानीय लोगों के सामने कई तरह की दिक्कतें पैदा हो गईं थी. इतना ही नहीं यात्रा पर आने वाले तीर्थ यात्रियों को भी रहने के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ता था. स्थिति यह थी कि स्थानीय लोगों के अलावा यात्रियों को टेंट के सहारे राते गुजारनी पड़ती थी. आपदा के बाद पहले निम और अब वुड स्टोन संस्था ने धाम में तीर्थ पुरोहितों के लिये भवन तैयार किये हैं.
केदारनाथ धाम में नवनिर्मित भवनों को बर्फबारी, आपदा, भूकंप आदि को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है. 2013 की आपदा में 46 भवन तबाह हो गये थे. जिनमें से 41 भवन पूर्व में ही तैयार किये गये हैं और जीएसडब्लू के सहयोग से पांच भवन तैयार किये जा रहे हैं. जिनका कार्य अंतिम चरण में है. केदारनाथ धाम में पुनर्निर्माण कार्यों की देखरेख कर रहे मनोज सेमवाल का कहना है कि 2013 की आपदा के बाद भवनों का निर्माण कार्य जारी है. 41 भवनों को निम और और जीएसडब्लू के सहयोग से वुड स्टोन कंपनी को तैयार कर रही है. यह भवन पहाड़ी शैली में तैयार किये गये हैं और आपदा, बर्फबबारी और भूकंप आदि को ध्यान में रखकर बनाये गये हैं.
विश्व विख्यात केदारनाथ धाम को अपने भक्तों के आने का इंतजार है. 29 अप्रैल को कपाट खुलने के बाद एक भी भक्त बाबा के दरबार में नहीं गया है. मात्र मंदिर समिति के कुछ कर्मचारी, पुलिस के जवान और मजदूर ही धाम में मौजूद हैं. भक्तों से भरा रहने वाले केदारनाथ धाम में इन दिनों सन्नाटा पसरा हुआ है.
दरअसल, जून का महीना केदारनाथ धाम यात्रा का पीक महीना माना जाता है. गर्मियों की छुट्टियां पड़ने के साथ ही देश-विदेश के भक्त भारी संख्या में इन दिनों बाबा के दर्शनों के लिये यहां पहुंचते थे, लेकिन लॉकडाउन और कोरोना वायरस के कारण अभी तक बाबा के दर्शनों पर रोक है, जिस कारण भक्तों से गुलजार रहने वाला केदारनाथ धाम वीरान है. दूर-दूर तक धाम में एक भी यात्री नहीं है. पिछले वर्ष अभी तक चार लाख से अधिक यात्री धाम में पहुंच चुके थे.