Kedarnath Rescue Operation Updates: जोशीमठ से सेना की 418 इंजीनियरिंग कोर की टीम ने केदारनाथ के सोनप्रयाग में पहुंचकर पैदल आवाजाही सुचारू करने के लिए कवायद शुरू कर दी है. सेना की यह टीम नवीं स्वतंत्र ब्रिगेड के कमांडर के दिशा निर्देशन में सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सोनप्रयाग पहुंची है, जहां पर सर्वेक्षण कार्य पूरा करने के बाद टीम ने फुट ब्रिज को लांच करना शुरू कर दिया है.


बता दें कि केदारनाथ के सोनप्रयाग में बादल फटने के कारण पैदल आवाजाही पूरी तरह से ठप है, जिस कारण से एनडीआरएफ एवं एसडीआरएफ को भी रेस्क्यू कार्य सुचारू रखना एक चुनौती है और अधिकांश फंसे तीर्थ यात्रियों और अन्य लोगों का हेली रेस्क्यू किया जा रहा है. जोशीमठ ब्रिगेड की 418 इंजीनियरिंग कोर की पहली टुकड़ी दो दिन पहले ही सोनप्रयाग पहुंच गई थी. अब सेना ने सोनप्रयाग में मंदाकिनी नदी के ऊपर दो पैदल ब्रिज बनाने का कार्य शुरू कर दिया है.


सेना के इंजीनियर्स बना रहे मंदाकिनी नदी के ऊपर पैदल ब्रिज


सेना के अधिकारियों की माने तो देर सांय तक दोनों पैदल पुल तैयार हो जायेंगे, जिसके बाद इन पैदल पुलों से एक बार में दो लोग आर पार हो सकेंगे. मिली जानकारी के अनुसार सेना के इस दल में दो अधिकारी, 3 जेसीओ और 20 जवान शामिल हैं. 418 इंजीनियरिंग के ओसी के नेतृत्व में सेना की यह टीम मंदाकिनी नदी के ऊपर एक साठ फीट लंबा और दूसरा अस्सी फीट लंबा पैदल ब्रिज बनायेगी. इन दोनों पैदल ब्रिज के बन जाने के बाद घाटी में सभी प्रकार की वैकल्पिक आवाजाही शुरू हो जायेगी.


अन्य स्थानों पर भी किया पैदल ब्रिज बनाने का प्रयास


ब्रिज बनाने वाले स्थान तक पहुंचने के लिए सेना की टीम 3 किमी पहाडी, जंगल और नदी के किनारे की दूरी तय कर पहुंची. इससे पहले सेना की टीम ने कुछ अन्य स्थानों में भी पैदल ब्रिज बनाने का प्रयास किया, लेकिन ठोस स्थान नहीं मिलने के कारण कामयाबी नहीं मिल पाई. मंदाकिनी नदी के दूसरे किनारे तक पहुंचने के लिए सेना ने सबसे पहले एक 500 फीट एरियल केवल वे तैयार किया, जिससे पैदल ब्रिज बनाने के लिए सामान और कुछ जवानों को नदी के दूसरे किनारे भेजा गया.


सेना ऐसे बनाएगी ब्रिज


सबसे पहले सेना की पूरी टुकड़ी दो टीमों में बंटेगी. आधी टीम एरियल केवल के माध्यम से रस्से में लटकते हुए नदी को पार करेगी, उसके बाद आवश्यक सामान दूसरी ओर भेजा जायेगा. फिर नदी के एक किनारे से दूसरे किनारे में रस्से बांधे जायेंगे फिर रस्सों को कसकर सीढ़ी बनायी जायेगी और उसके ऊपर आवश्यक लकड़ी के फट्टे लगाये जायेंगे और किनारे से सुरक्षा के दृष्टिगत भी रस्सी लगाई जायेगी, जिसे पकड़ते हुए लोग आरपार होंगे. यद्यपी लोगों जब इन दोनों ब्रिज से गुजरेंगे तो यह ब्रिज काफी हिलता रहेगा बावजूद दोनों ब्रिज सुरक्षा के दृष्टिगत मजबूत होंगे.


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