Uttarakhand News: केदारनाथ पैदल यात्रा मार्ग पर इस बार लगभग छह हजार घोडे़-खच्चरों का संचालन हो रहा है. पिछली बार की यात्रा के मुकाबले इस बार घोड़े-खच्चरों की मौत नहीं हो रही है और पशु क्रूरता के मामले भी कम आ रहे हैं. अभी तक पैदल यात्रा मार्ग पर पशु क्रूरता के मात्र दस मामले आये हैं. दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. घोड़े-खच्चरों के संचालन में इस बार नई पहल की गई है. पैदल मार्ग पर यात्रियों को परेशानी से बचाने के लिए घोड़े-खच्चरों का संचालन रोस्टर से किया जा रहा है.


29 दिन की यात्रा में पशु क्रूरता के मात्र 10 मामले आए


केदारनाथ धाम की पैदल यात्रा में घोड़े-खच्चरों की अहम भूमिका होती है. धाम तक यात्रियों को छोड़ने के साथ आवश्यक सामग्री की आपूर्ति भी घोड़े-खच्चरों से होती है. पिछली यात्रा सीजन में आठ हजार से अधिक घोड़े-खच्चरों का संचालन होता था, लेकिन इस बार की यात्रा में सीमित घोड़े-खच्चरों का संचालन किया जा रहा है. सीमित संचालन के परिणाम भी सुखद आ रहे हैं. 29 दिन की यात्रा में पशु क्रूरता के मात्र दस मामले सामने आये हैं और संचालकों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई है.


घोड़े-खच्चरों का संचालन रोस्टर के अनुसार हो रहा है


गौरीकुंड से घोड़े-खच्चरों का संचालन रोस्टर के अनुसार किया जा रहा है. एक से दो किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद दूसरे घोड़े-खच्चरों को छोड़ा जा रहा है. पैदल यात्रा मार्ग पर जाम नहीं लग रहा है और यात्रियों की परेशानियां भी कम हो रही है. रुद्रप्रयाग जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने बताया कि घोड़े-खच्चरों के संचालन में कुछ नये प्रयोग किये गये हैं. यात्रा मार्ग पर तीस पीआरडी के जवान घोड़े-खच्चरों की निगरानी कर रहे हैं. अनफिट घोड़े-खच्चरों का संचालन में इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. 


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