Kedarnath Yatra 2023: केदारनाथ धाम में बर्फबारी जारी, निचले इलाकों में हो रही बारिश, तीन मई तक रजिस्ट्रेशन पर रोक
Kedarnath Dham: केदारनाथ धाम में लगातार हो रही बर्फबारी के कारण अब ऑनलाइन और ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन पर तीन मई तक रोक लगा दी गई है. पहले यह रोक 30 अप्रैल तक थी.
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Kedarnath Yatra 2023: विश्व विख्यात केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) में कल देर रात से ही बर्फबारी जारी है. बर्फबारी और भीषण ठंड में भी भक्त बाबा केदार के दर्शनों के लिए लंबी लाइन में खड़े हैं. बर्फबारी और बारिश पर भक्तों की आस्था भारी पड़ रही है. वहीं दूसरी ओर निचले क्षेत्रों में बारिश होने से काश्तकारों की फसलों को भारी नुकसान पहुंच रहा है. इस बार केदारनाथ धाम में बेमौसम बर्फबारी हो रही है. बर्फबारी ने पुराने सभी रिकॉर्ड तोड दिए हैं. लगातार हो रही बर्फबारी के कारण धाम की व्यवस्थाएं प्रभावित हो गई हैं. बर्फबारी और बारिश के बीच भी केदारनाथ धाम की यात्रा जारी है. सुबह से ही भक्त केदारनाथ धाम पहुंच रहे हैं और भीषण ठंड और बर्फबारी में बाबा केदार के दर्शनों के लिये लाइन में लगे हुये हैं.
केदारनाथ धाम में लगातार हो रही बर्फबारी के कारण अब ऑनलाइन और ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन पर तीन मई तक रोक लगा दी गई है. पहले यह रोक 30 अप्रैल तक थी, लेकिन धाम में मौसम नहीं सुधर रहा है. जिसके बाद रोक को तीन दिन ओर बढ़ा दिया गया है. वहीं जिले में जहां ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी हो रही है, वहीं निचले क्षेत्रों में बारिश और ओलावृष्टि से काश्तकारों की फसलों को भारी नुकसान पहुंच रहा है. बेमौसम बारिश होने से लोगों का जनजीवन भी प्रभावित हो रहा है.
बेमौसम बारिश होने से काश्तकार फिर से परेशान
बता दें कि इस साल जनवरी, फरवरी व मार्च माह में कम ही मात्रा में बारिश हुई है. जहां ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी नहीं हुई तो निचले क्षेत्रों में बारिश नहीं होने से काश्तकार परेशान रहे. अब बेमौसम बारिश होने से काश्तकार फिर से परेशान हो गये हैं. काश्तकारों का कहना है कि जखोली क्षेत्र में ओलावृष्टि से भारी नुकसान हुआ है. काश्तकारों की गेहूं की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गयी है, जबकि प्याज, बैगन, टमाटर, अखरोट, नारंगी, आडू, माल्टा, आम, सेब जैसे महंगी फल-सब्जियों को भी नुकसान पहुंचा है. उन्होंने कहा कि लगातार हो रही बारिश और ओलावृष्टि के कारण जनजीवन भी पूरी तरह से प्रभावित हो गया है.
बारिश के कारण लोग घरों में दुबके हुए हैं, जबकि मवेशियों के लिए चारापत्ति की समस्या भी खड़ी हो गयी है. उन्होंने सरकार और प्रशासन से काश्तकारों की बर्बाद फसल का मुआवजा देने की मांग की है.
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