Rudraprayag News: आगामी 25 अप्रैल से शुरू हो रही केदारनाथ मंदिर की यात्रा के दौरान खच्चरों के साथ अमानवीय व्यवहार को रोकने के लिए विशेष तौर पर एक निगरानी दल गठित किया गया है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि निगरानी दल में पुलिस के साथ स्थानीय प्रशासन और पशुपालन जैसे अन्य विभागों के कर्मचारी भी हैं जो श्रद्धालुओं को केदारनाथ धाम लाने-ले जाने वाले घोड़े-खच्चरों को लेकर नजर रखेंगे कि क्या उनके संचालक नियमों का पालन कर रहे हैं और पशुओं के खिलाफ क्रूरता तो नहीं हो रही है.


निगरानी दल को स्थानीय प्रशासन की ओर से विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है जिसमें पशु कल्याण के लिए काम करने वाली संस्था 'पीपुल्स फॉर एनिमल्स' की सदस्य गौरी मौलेखी भी शामिल हैं. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए रूद्रप्रयाग की पुलिस अधीक्षक डॉ विशाखा अशोक भदाणे ने दल को यात्रा के दौरान कड़ी निगरानी और संवेदनशीलता के साथ जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के निर्देश देते हुए यह सुनिश्चित करने को कहा कि केदारनाथ यात्रा मार्ग में संचालित होने वाले घोड़े-खच्चरों के साथ किसी प्रकार की कोई क्रूरता न हो.


'पशु क्रूरता अधिनियम के तहत की जाएगी कार्रवाई'
रूद्रप्रयाग की पुलिस अधीक्षक डॉ विशाखा अशोक भदाणे ने कहा कि पशुओं के साथ क्रूरता की दशा में घोड़े-खच्चर मालिक या संचालक के विरुद्ध पशु क्रूरता अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी. 'पीपुल्स फॉर एनिमल्स' की सदस्य गौरी मौलेखी ने कहा कि धाम में पशुओं के साथ किसी भी प्रकार का बुरा व्यवहार और क्रूरता होना उत्तराखंड के लिए भी अच्छी बात नहीं है और इसके लिए इस पर कड़ी निगरानी रखी जानी चाहिए. 


पशु क्रूरता अधिनियम के संबध में जानकारी देते हुए मौलेखी ने कहा कि किसी भी पशु पर अधिक बोझ लादना, लगातार कार्य कराना, विकलांग, घायल, कमजोर, वृद्ध पशु से कार्य लिया जाना तथा पोष्टिक आहार और गरम पानी न देना पशु क्रूरता के तहत परिभाषित है. हिमालयी धाम की कठिन पैदल यात्रा पूरी करने के लिए काफी श्रद्धालु घोड़े-खच्चरों का इस्तेमाल करते हैं, पिछले साल मार्ग पर अनेक पशुओं की मौत हो गयी थी और आरोप लगे थे कि कोविड-19 के कारण दो साल बाद पूरी तरह संचालित यात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों की बड़ी संख्या के मद्देनजर पशुओं को न तो उचित आराम दिया गया और न ही पर्याप्त भोजन दिया गया.


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