UP Politics: उत्तर प्रदेश में 69 हजार शिक्षकों की भर्ती के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद योगी सरकार विपक्षी दलों के निशाने पर हैं तो वहीं सीएम योगी इस मुद्दे पर अकेले पड़ते दिखाई दे रहे हैं. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से लेकर एनडीए में सहयोगी अपना दल की अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल भी इस मुद्दे पर विपक्ष के सुर में सुर मिलाती दिखाई दे रही हैं. 


इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 2019 में हुई 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती के चयनित अभ्यर्थियों की सूची नए सिरे से जारी करने का आदेश दिया है. जिससे प्रदेशस सरकार के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है. समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और बसपा समेत तमाम विरोधी दलों ने इस फैसले का स्वागत करते हुए योगी सरकार पर निशाना साधा है. 


विपक्षी दलों के सुर में मिलाया सुर
इस बीच डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल भी इस मुद्दे पर विपक्ष के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं. केशव प्रसाद मौर्य ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया और लिखा- 'शिक्षकों की भर्ती में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फ़ैसला सामाजिक न्याय की दिशा में स्वागत योग्य कदम है। यह उन पिछड़ा व दलित वर्ग के पात्रों की जीत है जिन्होंने अपने अधिकार के लिए लंबा संघर्ष किया। उनका मैं तहेदिल से स्वागत करता हूं.'



केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने भी हाईकोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि 69000 शिक्षक भर्ती मामले में माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत है. खुद पिछड़ा वर्ग आयोग ने माना था कि इस भर्ती मामले में आरक्षण नियमों की अनदेखी हुई. उन्होंने कहा कि जो हाईकोर्ट ने कहा मैंने भी हमेशा वही कहा है.



बता दें कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि कोर्ट ने 69,000 शिक्षक अभ्यर्थियों की चयन सूची को रद्द कर तीन महीने के अन्दर नई सूची बनाने के फैसले से साबित है कि सरकार ने अपना काम निष्पक्षता व ईमानदारी से नहीं किया है.


इस मामले में खासकर आरक्षण वर्ग के पीड़ितों को न्याय मिलना सुनिश्चित हो. वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी निशाना साधते हुए मांग की कि नये सिरे से न्यायपूर्ण सूची बने, जिससे पारदर्शी और निष्पक्ष नियुक्तियां संभव हो सके और प्रदेश में भाजपा काल में बाधित हुई शिक्षा-व्यवस्था पुनः पटरी पर आ सके. 


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