Caste Census in UP: लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) से पहले यूपी की सियासत में जातीय जनगणना का मुद्दा एक बार फिर से गर्मा गया है. समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) इस मुद्दे को धार देकर आगे बढ़ाने की कोशिश में है तो वहीं इस मुद्दे पर पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) का समर्थन करने वाले डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) एक हफ्ते के अंदर अपने बयान से पलट गए हैं. पहले उन्होंने कहा था कि जातीय जनगणना होनी चाहिए तो वहीं अब इसे ढोंग बताया है.
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने ट्वीट कर जाति आधारित जनगणना की मांग को लेकर सपा पर निशाना साधा और कहा कि अखिलेश यादव पहले अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर किसी और को पार्टी का अध्यक्ष बनाएं इसके बाद वो चौपाल लगाकर इस बारे में बात करें. केशव मौर्य ने ट्वीट कर लिखा कि "जातीय जनगणना की बात केवल ढोंग है, जब सरकार में थे तब मौनी बाबा अब बाहर, तब मांग केवल 2024 में चुनावी लाभ के लिए है, जो नहीं मिलेगा, पहले अखिलेश यादव जी समाप्त हो रही सपा का बचाने को अध्यक्ष पद किसी और को सौंप जातिगत न्याय की शुरुआत संगठन से करें फिर ये बात करें."
केशव मौर्य के इस बयान पर सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने निशाना साधा और कहा कि "जातीय जनगणना की मांग करने वाले श्री केशव प्रसाद मौर्य हफ्ते भर में ही अपने बात से पलट गए हैं. आखिर भाजपा का पिछड़ा विरोधी चेहरा सामने आ ही गया. सपा का केंद्र में प्रधानमंत्री तो कभी नहीं था, लेकिन आप क्यों हीला-हवाली कर रहे हो, आपकी तो केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार है."
दरअसल, इससे पहले केशव प्रसाद मौर्य ने जातीय जनगणना पर सपा की मांग का समर्थन किया था. उन्होंने पिछड़ी राजनीति को बढ़ावा देते हुए कहा था कि "मैं इसके लिए पूरी तरह तैयार हूं. न तो मैं और न ही मेरी पार्टी इस विषय पर विपक्ष में हैं."
यूपी की राजनीति में इन दिनों जातीय जनगणना को लेकर बहस छिड़ी हुई है. सपा ने इस मुद्दे पर गांव-गांव में अभियान शुरू करने की रणनीति तैयार की है सपा ने इसकी जिम्मेदारी स्वामी प्रसाद मौर्य को सौंपी है, इसके लिए कई कार्यक्रम भी बनाए गए हैं ताकि लोकसभा चुनाव की लड़ाई को 80 बनाम 20 की बनाया जा सके. अगर ऐसा हुआ बीजेपी को नुकसान हो सकता है. वहीं बीजेपी ने फिलहाल इस मुद्दे पर चुप्पी साधी हुई है. ताकि इस मुद्दे को ज्यादा हवा न मिले.
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