Keshav Prasad Maurya Profile: उत्तर प्रदेश की नई सरकार में केशव प्रसाद मौर्य को लेकर तस्वीर साफ हो गई है. उन्हें एक बार फिर से यूपी का डिप्टी सीएम बनाया गया है. यूपी चुनाव में सिराथू सीट से हारने के बाद उनके भविष्य को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रहीं थी लेकिन आलाकमान ने एक बार फिर से उन पर भरोसा जताया और उन्हें उपमुख्यमंत्री पद को संभालने की जिम्मेदारी दी. केशव प्रसाद मौर्य का सियासी सफर बेहद दिलचस्प रहा है. उन्होंने अखबार बेचने से शुरुआत की और फिर बीजेपी के कद्दावर ओबीसी नेता के तौर पर खुद का स्थापित किया है. 


केशव मौर्य ने अखबार और चाय भी बेची


केशव प्रसाद मौर्य का जन्म 7 मई 1969 को यूपी के सिराथू में हुआ था. उनके पिता का नाम उनके पिता का नाम श्यामलाल मौर्य और मां का नाम धनवती था. केशव प्रसाद ने इलाहाबाद से हिन्दी साहित्य में ग्रेजुएशन किया है. राजनीति में आने से पहले उनका शुरुआती जीवन काफी संघर्षों से भरा रहा है. एक वक्त ऐसा भी था जब उन्हें अपना जीवन यापन करने के लिए अखबार और चाय बेचने का काम भी किया. केशव प्रसाद मौर्य की पत्नी का नाम राजकुमारी देवी है उनके दो बच्चे हैं. 


ऐसे हुए राजनीति में एंट्री


यूपी की राजनीति में भले ही उन्हें पिछले एक दशक से पहचान मिली है लेकिन उनकी शुरुआत बहुत पहले हो गई थी. केशव प्रसाद मौर्य ने बजरंग दल से अपनी शुरुआत की थी. जिसके बाद वो आरएसएस के संपर्क में आए. इसके बाद उन्होंने श्रीराम जन्म भूमि और गौ-रक्षा के लिए आंदोलन किए, जिसके चलते उन्हें जेल भी जाना पड़ा. इसी दौरान वो अशोक सिंघल के करीब आए और फिर उनकी राजनीति में एंट्री हुई. 


ओबीसी के बड़े नेता के तौर पर उभरे


केशव प्रसाद मौर्य ने साल 2002 में पहली बार बांदा की सीट से चुनाव लड़ा लेकिन वो हर गए. इसके बाद दूसरी बार साल 2007 में उन्होंने इलाहाबाद पश्चिम सीट से अपनी किस्मत आजमाई लेकिन एक बार फिर उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 2012 के विधानसभा चुनाव में सिराथू सीट से जीतकर वो पहली बार यूपी विधानसभा में पहुंचे. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में केशव प्रसाद मौर्य ने इलाहाबाद की फूलपुर सीट से जीत दर्ज की और लोकसभा पहुंच गए. 


योगी 2.0 में भी डिप्टी सीएम बने केशव मौर्य


इसके बाद तो उन्होंने यूपी में बीजेपी के बड़े ओबीसी नेता के तौर पर अपनी पहचान बना ली. साल 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें यूपी बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया और पार्टी ने यूपी में बड़ी जीत हासिल की. इसके बाद वो बीजेपी हाईकमान के भरोसेमंद नेताओं की लिस्ट में शुमार हो गए. 2017 में वो सीएम पद की रेस में सबसे आगे चल रहे थे लेकिन बीजेपी ने योगी आदित्यनाथ को मौका दिया और केशव प्रसाद मौर्य को डिप्टी सीएम बनाया गया. 2022 में उन्हें सिराथू सीट से हार का सामना करना पड़ा. बावजूद इसके बीजेपी में उनका कद कम नहीं हुआ और पार्टी ने फिर से उन्हें योगी 2.0 में डिप्टी सीएम बनाया है. 


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