लखनऊ, शैलेश अरोड़ा। कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए वैज्ञानिक और डॉक्टर्स उन तरीकों को खोजने में लगे हैं, जिनसे इस पर काबू पाया जा सके। जिससे इसका इलाज किया जा सके। इसी दिशा में इस वक्त भारत में प्लाज्मा थेरेपी पर भी जोर दिया जा रहा है। राजधानी दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमित एक मरीज पर प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल किया जा चुका है। डॉक्टर्स की मानें, तो मरीज की सेहत में सुधार भी हुआ है। वहीं, अब लखनऊ के KGMU को भी प्लाज्मा थेरेपी से इलाज की अनुमति मिल गई है।
प्लाज्मा थेरेपी को लेकर KGMU में रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष और कोरोना टास्क फोर्स के सदस्य प्रो. सूर्यकान्त ने ABP गंगा से खास बात की। उन्होंने भी प्लाज्मा थेरेपी का कोरोना के इलाज में क्या और कितना उपयोग है, इसके बारे में बताया। प्रो. सूर्यकान्त ने बताया कि इस थेरेपी से हम इम्युनिटी कम वाले मरीजों को किसी दूसरे (जो संक्रमत से ठीक हो चुका है) का प्लाज्मा लेकर उसकी इम्युनिटी बढ़ाते हैं। ये प्लाज्मा रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाने का काम रहता है। ये वायरस का मारता नहीं है, केवल इम्युनिटी बढ़ाने का काम करता है, ताकि मरीज का शरीर वायरस से लड़ सके। इस तरह से हम कह सकते हैं कि प्लाज्मा थेरेपी एक कारगार उपाय हो सकती है। प्रो. सूर्यकान्त उस टीम के भी सदस्य है, जो KGMU में प्लाज्मा थेरेपी पर रिसर्च के लिए बनाई गई है।
प्लाज्मा थेरेपी में कोरोना संक्रमण से मुक्त हो चुके व्यक्ति के खून से प्लाज्मा निकालकर उस व्यक्ति को चढ़ाया जाता है, जिसे कोरोना है। ऐसा इसलिए किया जाता है कि जो व्यक्ति कोरोना के संक्रमण से मुक्त हो चुका है, उसके शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है। जब इसे कोरोना से जूझ रहे मरीज को चढ़ाया जाता है, तो उसकी इम्युनिटी बढ़ती है।
बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी बताया कि लोक नायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल में चार कोरोना संक्रमित मरीजों पर प्लाज्मा थेरेपी का ट्रायल किया गया, जिसका परिणाम उत्साहजनक रहे हैं।
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