Khatauli By-Election: खतौली में कड़ा और बहुत दिलचस्प होगा मुकाबला, जानिए- BJP की घेराबंदी के लिए जयंत चौधरी का प्लान
UP By-Election: जाट-मुस्लिम-गुर्जर समीकरण या जाट-मुस्लिम-एससी समीकरण में किसी एक पर रालोद मैदान में प्रत्याशी उतारेगी. उम्मीद है कि जयंत रविवार को जनसभा में प्रत्याशी का एलान कर सकते हैं.
Khatauli Assembly By-Election 2022: यूपी के खतौली विधानसभा उपचुनाव (UP By-Election) के रण में रालोद दो ऐसे फॉर्मूलों पर काम कर रही है जो बीजेपी के विजय रथ को रोक सकें. खतौली से बीजेपी के विधायक रहे विक्रम सैनी (Former BJP MLA Vikram Saini) की सदस्यता रद्द होने के बाद से ही इन दोनों फॉर्मूलों पर काम किया जा रहा है. चूंकि निकाय चुनाव भी नजदीक हैं और मिशन 2024 भी, ऐसे में रालोद मुखिया जयंत चौधरी (RLD chief Jayant Chaudhary) ऐसा दांव चलना चाहते हैं जो दोनों चुनावों में बड़ा प्रभाव डाले. आज खतौली में जयंत चौधरी की तीन सभाएं होने जा रहीं हैं और उम्मीद की जा रही है कि आज ही जयंत प्रत्याशी के नाम का मंच से एलान कर सकते हैं.
खतौली के महासंग्राम पर जयंत का प्लान
जयंत चौधरी खतौली से निकाय चुनाव (UP Nagar Nikay Chunav) और मिशन 2024 (Lok Sabha Election 2024) पर निशाने की तैयारी में हैं. देखना ये है कि जयंत की रणनीति क्या बीजेपी पर भारी पड़ेगी. खतौली विधानसभा सीट से विधायक रहे विक्रम सैनी की सदस्यता रद्द होने के बाद इस सीट पर हो रहे उपचुनाव पर सबकी नजरें गड़ी हैं. देखना है कि क्या बीजेपी यहां हैट्रिक लगा पाएगी या फिर रालोद-सपा गठबंधन इस सीट पर विजय पताका फहराएगा. यही सवाल इन दिनों खतौली के रण में गूंज रहें हैं, हालांकि रालोद नेताओं का दावा है कि खतौली का रण वे ही जीतेंगे.
आज जयंत की तीन सभाएं
रविवार यानि 13 सितंबर को रालोद मुखिया और राज्यसभा सांसद जयंत चौधरी खतौली में पिपलहेडा, तिसंग और मंसूरपुर में तीन सभाएं करने जा रहें हैं. इसके बाद खतौली उपचुनाव का सियासी पारा और चढ़ जाएगा. उम्मीद की जा रही है कि जयंत रविवार को जनसभा के किसी मंच से प्रत्याशी का एलान कर सकते हैं. दरअसल, 2012 में रालोद से चुनाव लड़े हरियाणा सरकार में पूर्व मंत्री करतार सिंह भड़ाना विधायक बने थे. 2017 में रालोद ने खतौली सीट पर शाहनवाज राणा को मैदान में उतारा लेकिन वो बीजेपी के विक्रम सैनी से चुनाव हार गए. 2022 में रालोद-सपा ने गठबंधन किया और अपनी रणनीति बदलते हुए राजपाल सैनी को मैदान में उतारा लेकिन बीजेपी के विक्रम सैनी दोबारा से बाजी मारने में कायमाब हो गए.
उतार सकते हैं गुर्जर प्रत्याशी
इस बार रालोद फिर से 2012 की जीत वाले प्लान पर काम करते हुए गुर्जर प्रत्याशी को मैदान में उतार सकती है और जाट-मुस्लिम-गुर्जर समीकरण पर दांव लगा सकती है, जबकि रालोद का एक खेमा इस बात की वकालत कर रहा है कि जाट-मुस्लिम-एससी समीकरण भी बेहतर रिजल्ट देगा और उसका लाभ निकाय चुनाव और मिशन 2024 को आसान करेगा. करीब 3 लाख 10 हजार वोट वाली इस विधानसभा में करीब 90 हजार मुस्लिम मतदाता हैं और 50 हजार के करीब एससी, जबकि गुर्जर 35 हजार हैं.
क्या हो सकता है समीकरण
खतौली उपचुनाव के नतीजे पश्चिमी उतर प्रदेश में रालोद-सपा गठबंधन का बढ़ता सियासी रूख तय करेंगे और ये भी तय करेंगे कि बीजेपी की घेराबंदी का रालोद जो भी प्लान बना रही है वो प्लान सही वक्त पर सटीक बैठ रहा है. हालांकि जाट-मुस्लिम-गुर्जर समीकरण, या जाट-मुस्लिम-एससी समीकरण में किसी एक समीकरण पर ही रालोद मैदान में प्रत्याशी उतारेगी, लेकिन क्या वो प्रत्याशी बीजेपी को हराकर जयंत चौधरी की झोली में सीट डाल पाएगा, ये भी बड़ा सवाल है, लेकिन इतना भी साफ है कि इस उपचुनाव ने पश्चिम का सियासी तापमान जरूर बढ़ा दिया है.
रालोद ने झोंकी पूरी ताकत
जयंत चौधरी की खतौली में होने वाली तीन जनसभाओं को लेकर रालोद ने पूरी ताकत झोंक रखी है. रालोद पूरी तैयारियों से इस सीट पर हर बड़ा दांव चलने की रणनीति पर भी काम कर रही है. अगर मुद्दों की बात करें तो किसानों का बकाया गन्ना भुगतान, गन्ने का रेट घोषित न होन के साथ ही किसानों की परेशानियों को बड़ा मुद्दा बनाएगी. हालांकि रालोद का ये भी दावा है कि खतौली ही नहीं मैनपुरी, रामपुर उपचुनाव भी रालोद-सपा गठबंधन जीतेगा. एक बात तो साफ है कि खतौली का रण पश्चिम की सियासी हवा का रूख तय करेगा कि हवा बीजेपी की चल रही है या फिर इस हवा का रूख मोड़कर रालोद-सपा गठबंधन ने अपनी तरफ कर लिया है.
कड़ा और दिलचस्प मुकाबला
खतौली में राष्टृीय लोकदल किस समीकरण पर चुनाव लड़ेगा, इसको लेकर तस्वीर जल्द साफ हो जाएगी लेकिन ये समीकरणा रालोद की जीत का सपना कितनी मजबूती से पूरा कर पाएगा, इस पर भी सबकी नजरें टिकी हैं. खतौली से विधायक रहे विक्रम सैनी की सदस्यता रद्द होने को जयंत चौधरी अपनी चिट्टी का कमाल बता रहें हैं, लेकिन खतौली सीट जीतकर भी क्या जयंत बड़ा कमाल कर पाएंगे? ये भी देखने वाली बात होगी, लेकिन इतना साफ है कि बीजेपी और रालोद में खतौली की महाभारत में मुकबला कड़ा और दिलचस्प होने जा रहा है. यहां की हार और जीत पश्चिम की सियासत का रूख तय करेगी.