Kumbh Mela 2025: संगम नगरी प्रयागराज में कुछ महीनो बाद महाकुंभ का आयोजन होना है. इस बार के महाकुंभ को प्लास्टिक फ्री कर ग्रीन और स्वच्छ कुंभ के तौर पर आयोजित किया जाएगा. इसके लिए महाकुंभ प्रशासन प्लास्टिक और फाइबर के बर्तनों के बजाय दोना पत्तल व मिट्टी के बर्तनों को बढ़ावा दिए जाने की पहल की है. महाकुंभ प्रशासन की इस पहल का किन्नर समाज के लोग भी प्रचार प्रसार करते हुए लोगों को जागरूक करने का काम कर रहे हैं. इसी कड़ी में संगम नगरी प्रयागराज में आज किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर और यूपी किन्नर कल्याण बोर्ड की वरिष्ठ सदस्य स्वामी कौशल्यानंदन गिरि उर्फ टीना मां ने इस बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए कार्यक्रम आयोजित किया.
यह कार्यक्रम जॉर्ज टाउन स्थित जगत तारन गोल्डन जुबली स्कूल के ऑडिटोरियम में हुआ. इस मौके पर वहां मौजूद लोगों को महाकुंभ में प्लास्टिक और फाइबर के बने सामानों के बजाय दोना पत्तल और मिट्टी के बर्तनों के इस्तेमाल का संकल्प दिलाया गया. कार्यक्रम में अपर मेलाधिकारी विवेक चतुर्वेदी ने कहा कि सरकार श्रद्धालुओं के लिए बेहतर व्यवस्था कर रही है. सरकार के महाकुंभ को दिव्या भव्य और नव्य स्वरूप में आयोजित किया जाएगा. उन्होंने मेले के आयोजन को सफल व यादगार बनाने के लिए सभी से सहयोग करने की अपील की.
कुंभ मेले में प्रशासन की मदद करेगा किन्नर समाज
कार्यक्रम में किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर टीना मां ने कहा कि उनका समाज प्रयागराज में होने वाले विश्व स्तरीय आयोजन को सफल बनाने में प्रशासन व सरकार की हर संभव मदद करेगा. कार्यक्रम में अपर नगर आयुक्त दीप शिखा पांडेय और गोल्डन जुबली स्कूल की प्रिंसिपल सुष्मिता कानूनगो के साथ ही आर्य कन्या पीजी कॉलेज के चेयरमैन पंकज जायसवाल ने भी स्वच्छता का महत्व बताते हुए हर किसी से इसमें सहभागिता करने की अपील की.
किन्नर भी समाज का हिस्सा
इस कार्यक्रम में किन्नरों को लेकर भी लोगों को जागरूक किया गया. यह बताया गया कि किन्नर भी समाज का हिस्सा है. समाज की तरक्की और एकता में अपना अहम योगदान देते हैं. वह किसी मामले में भी दूसरों से कतई कम नहीं है, इसलिए समाज को भी उनके साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए और समान रूप से उनका भी सम्मान करना चाहिए. इस मौके पर कई सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए गए तो साथ ही शिक्षा व समाज सेवा के क्षेत्र में बेहतर काम करने वालों को सम्मानित भी किया गया. कार्यक्रम के आयोजन में कई सामाजिक संस्थाओं का भी योगदान रहा.
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