'Kisan Sansad' at Jantar Mantar: दिल्ली के जंतर मंतर पर चल रही 'किसानों की संसद' खत्म हो गई है. सभी 200 किसानों को दिल्ली पुलिस जंतर मंतर से बस में बिठाकर सिंघु बॉर्डर ले गई जहां से वो आये थे. वहीं एबीपी गंगा से खास बातचीत के दौरान राकेश टिकैत ने कहा कि 'संसद' में किसानों ने अपनी बातों को रखा और यह मुद्दा लगातार उठते रहेंगे जब तक कृषि कानून वापस नहीं होता. 


जंतर मंतर पर किसानों को 'संसद' लगाने के लिए सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक ही दिल्ली पुलिस ने अनुमति प्रदान की थी. शाम के 5 बजते ही किसानों की संसद समाप्त कर दी गई और जो किसान इस संसद में शामिल होने आए थे उन्हें दिल्ली पुलिस ने बसों में बिठाकर सिंघु बॉर्डर के लिए लेकर निकली.


सरकार पूरी तरह से संवेदनहीन हो गई है- किसान


एबीपी गंगा से खास बातचीत के दौरान 'किसान संसद' में शामिल होने आए किसानों ने बताया कि सरकार पूरी तरह से संवेदनहीन हो गई है. पिछले 8 महीने से किसान दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हुए हैं लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. यहां तक कि संसद में किसानों को मवाली तक कहा जा रहा है.


वहीं कानून व्यवस्था चुस्त दुरुस्त रहे इसके लिए भारी तादात में दिल्ली पुलिस और पैरा मिलिट्री फोर्स तैनात की गई थी. कड़ी सुरक्षा घेरे में किसानो को दिल्ली पुलिस सिंघु बॉर्डर लेकर गई है. लेकिन जिस तरह से किसानों का रुख आज देखने को मिला है उसको लेकर यह कहना गलत नहीं होगा कि अब किसानों का आंदोलन और तेज होता हुआ नजर आ रहा है. इस आंदोलन के अभी समाप्त होने की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है क्योंकि सरकार और किसान दोनों अपनी अपनी बातों को लेकर अड़े हुए हैं. किसानों का कहना है कि जब तक सरकार बिना शर्त के किसानों से बात नहीं करती तब तक किसान अब सरकार से बातचीत नहीं करेंगे.


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