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Exclusive: जानिए बाहुबली मुख्तार अंसारी के उन 10 मुकदमों के बारे में, जिसे लेकर यूपी से लेकर पंजाब तक मचा हुआ है कोहराम

यूपी की योगी सरकार मुख्तार अंसारी के खिलाफ चल रहे मुकदमों में मजबूत पैरवी कर उसे सख्त सजा दिलवाना चाहती है. वहीं, मुख्तार यूपी आने से बचने के हर तरकीब अपना रहा है.

प्रयागराज: पूर्वांचल के माफिया डॉन और बीएसपी के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी को लेकर यूपी और पंजाब सरकारों के बीच इन दिनों सियासी और कानूनी जंग छिड़ी हुई है. शह और मात के खेल में बाजी किसके हाथ लगेगी और किसे हार का सामना करना पड़ेगा, यह अब देश की सबसे बड़ी अदालत को तय करना है. मुख्तार जहां बदले हुए सियासी माहौल का फायदा उठाते हुए अमरिंदर सिंह सरकार की मेहरबानी से पंजाब की जेल में दुबका हुआ है तो वहीं योगी सरकार उसे यूपी लाकर इलाहाबाद की स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट में उसके खिलाफ चल रहे मुकदमों का निपटारा कराना चाहती है. मजबूत पैरवी के ज़रिये उसे उसके गुनाहों की सज़ा दिलाना चाहती है तो साथ ही मुख्तार के पॉलिटिकल करियर का द एंड कराकर एक तीर से कई निशाने भी साधना चाहती है.

मुख्तार के खिलाफ इलाहाबाद की स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट में कौन - कौन से मुक़दमे चल रहे हैं. इन मुकदमों में मुख्तार पर कितने गंभीर आरोप हैं, मुकदमों का स्टेटस यानी मौजूदा स्थिति क्या है और फैसला खिलाफ आने पर उसे इन मामलों में कितनी सज़ा हो सकती है, इसके बारे में कम ही लोगों को जानकारी है. मुख़्तार के खिलाफ इलाहाबाद की स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट में इन दिनों दस मुक़दमे हैं. इनमे से डबल मर्डर का एक मामला फाइनल स्टेज पर है. ट्रायल लगभग पूरा हो चुका है और कभी भी फैसला आ सकता है. इसके अलावा बाकी नौ मुकदमों में छह में इन दिनों गवाही के साथ ट्रायल चल रहा है. बाकी तीन मुकदमों में अभी अदालत ने मुख्तार पर चार्ज फ्रेम यानी आरोप तय नहीं किये हैं.

उम्रकैद से लेकर फांसी की सजा हो सकती है

दस मुकदमों में से अकेले चार गैंगस्टर के हैं. गैंगस्टर के तीन मुक़दमे गाज़ीपुर जिले के हैं, जबकि एक मऊ जिले का. इसके अलावा मुख़्तार पर हत्या और जानलेवा हमले के भी मुक़दमे चल रहे हैं. मऊ जिले के दक्षिण टोला थाने में दर्ज एफआईआर में तो मुख़्तार को उम्र कैद से लेकर फांसी तक की सज़ा हो सकती है. एमपी एमएलए कोर्ट में मुख्तार के खिलाफ दस मुक़दमे चल रहे हैं तो एक मुकदमा खुद मुख्तार ने वारणासी जेल में बंद माफिया बृजेश सिंह के खिलाफ दाखिल कर रखा है. मुख़्तार ने इस मामले में गवाही शुरू कराने के लिए फरवरी महीने में कोर्ट से गुहार भी लगाई है. बीस साल पुराने इस मुक़दमे में ट्रायल फिलहाल रुका हुआ है. बाहुबली मुख्तार के खिलाफ एक चर्चित मुकदमा फर्जी तरीके से शस्त्र लाइसेंस हासिल करने का भी है.

मुख्तार के खिलाफ इलाहाबाद की स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट में जो दस मुक़दमे पेंडिंग हैं, उनकी जानकारी इस तरह है.

1. मुख्तार के खिलाफ सबसे बड़ा मुकदमा मऊ के दक्षिण टोला थाने में दर्ज डबल मर्डर केस का है. पूर्वांचल के मऊ जिले में साल 2009 में ए कैटेगरी के बड़े ठेकेदार अजय प्रकाश सिंह उर्फ़ मन्ना की दिन दहाड़े बाइक सवार हमलावरों ने एके 47 का इस्तेमाल कर हत्या कर दी थी. हत्या का आरोप बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी पर लगा था. इस मर्डर केस में मन्ना का मुनीम राम सिंह मौर्य चश्मदीद गवाह था. गवाह होने के चलते राम सिंह मौर्य को सतीश नाम का एक गनर भी दिया गया था. साल भर के अंदर ही आरटीओ आफिस के पास राम सिंह मौर्य और गनर सतीश को भी मौत के घाट उतार दिया गया था. इस मामले में भी मुख्तार अंसारी और उसके करीबियों के खिलाफ केस दर्ज हुआ था. इस मुक़दमे का ट्रायल अब आख़िरी दौर में है और तीन -चार सुनवाई के बाद महीने - डेढ़ महीने बाद फैसला आ सकता है. इस मामले में मुख़्तार पर जेल में रहते हुए हत्या की साजिश रचने का आरोप है.

2. हत्या का एक और मुकदमा वाराणसी जिले का है. यह मामला कांग्रेस के नेता अजय राय के भाई की हत्या से जुड़ा हुआ है. इस मामले में चेतगंज थाने में एफआईआर दर्ज हुई थी. यह मुकदमा इस वक़्त गवाही में चल रहा है. मामले से जुडी तमाम फ़ाइल अभी वाराणसी कोर्ट से स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट में नहीं आ सकी हैं. कांग्रेस नेता अजय राय इस मामले में वादी और गवाह दोनों हैं. इस मामले में भी तेजी से सुनवाई हो रही है.

3. तीसरा मुकदमा आजमगढ़ जिले में हुई हत्या से जुड़ा हुआ है. मुख्तार पर इस मामले में भी आईपीसी की धारा 302 यानी हत्या और 120 B यानी साजिश रचने का है. इस मामले की एफआईआर आजमगढ़ के तरवा थाने में दर्ज हुई थी. मुकदमा यूपी सरकार बनाम राजेंद्र पासी व अन्य के नाम से चल रहा है. इस मामले में अभी मुख्तार पर आरोप तय नहीं हुए हैं.

4. मुख्तार के खिलाफ चौथा मुकदमा हत्या के प्रयास से जुड़ा हुआ है. यह मामला गाज़ीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में आईपीसी की धारा 307 और 120 B के तहत दर्ज हुआ था. मुक़दमे की प्रक्रिया साल 2010 में ही शुरू हो गई थी. इसमें मुख्य आरोपी सोनू यादव केस से बरी हो चुका है. मुख्तार का मामला अभी ट्रायल की स्टेज पर है और काफी दिनों से सुनवाई ठप्प पडी हुई है.

5. मुख्तार के खिलाफ पांचवा मामला फर्जी शस्त्र लाइसेंस हासिल करने से जुड़ा हुआ है. यह मुकदमा गाज़ीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में दर्ज हुआ था. इसमें मुख्तार के खिलाफ दो केस दर्ज हुए हैं. पहला आईपीसी की धारा 419 - 420 और 467 यानी धोखाधड़ी व फर्जीवाड़े का है तो दूसरा आर्म्स एक्ट से जुड़ा हुआ है. इस मामले में अभी मुख्तार पर अदालत से आरोप तय होना बाकी है. आरोप तय होने के बाद ही ट्रायल यानी मुकदमा शुरू होगा.

6. मुख्तार के ख़िलाफ़ छठा मुकदमा वाराणसी के भेलूपुर थाने में धमकी देने से जुड़ा हुआ है. यह मुकदमा साल 2012 से शुरू हुआ है. इसमें आईपीसी की धारा 506 के तहत एफआईआर दर्ज है. इस मामले में अभी मुख्तार पर आरोप तय नहीं हुए हैं. मुक़दमे का केस नंबर 354/12 है.

7. मुख्तार के खिलाफ इलाहाबाद की स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट में गैंगस्टर के चार मुक़दमे चल रहे हैं. इन चारों में आरोप पत्र दाखिल हो चुके हैं. अदालत ने चारों मामलों में मुख्तार पर आरोप भी तय कर दिए हैं. चार में से तीन मामले गाज़ीपुर जिले के अलग अलग थानों के हैं, जबकि चौथा मऊ जिले का है. पहला मामला गाज़ीपुर के कोतवाली थाने का है. इस मामले में आरोप पत्र दाखिल हैं और मामला साक्ष्य यानी ट्रायल के स्तर पर है. मुक़दमे का नंबर 7/12 है.

8. मुख्तार के खिलाफ आठवां मामला भी गैंगस्टर का ही है. यह मामला गाज़ीपुर के करांडा थाने से जुड़ा हुआ है. इस मामले में आरोप तय हैं और मुक़दमे का ट्रायल पेंडिंग है. स्पेशल ट्रायल के इस मुक़दमे का नंबर 557/12 है.

9. मुख्तार के खिलाफ नौवां मामला भी गैंगस्टर एक्ट के तहत की गई कार्रवाई का ही है. इस मामले में गाज़ीपुर के मोहम्मदाबाद कोतवाली में केस दर्ज किया गया था. यह मुकदमा भी ट्रायल के लेवल पर है. इसका केस नंबर 90/12 है.

10. मुख्तार के खिलाफ दसवां और आख़िरी मुकदमा भी गैंगस्टर एक्ट का ही है. इस मामले में मऊ जिले के दक्षिण टोला थाने में केस दर्ज है. मुक़दमे का ट्रायल साल 2012 में शुरू हुआ था. इस मामले में अदालत से मुख्तार पर आरोप तय हो चुके हैं. इस मुक़दमे का नंबर 2/12 है.

इस मुकदमें में वादी है मुख्तार अंसारी

इन सबके अलावा इलाहाबाद की स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट में मुख्तार का एक और मामला विचाराधीन है. हालांकि इस मुक़दमे में मुख्तार आरोपी नहीं बल्कि वादी है. यह मामला 15 जुलाई साल 2001 का है. मुख्तार अंसारी ने ग़ाज़ीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में माफिया बृजेश सिंह और अन्य के खिलाफ जानलेवा हमला करने समेत कई गंभीर धाराओं में केस दर्ज कराया था. इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट वाराणसी जेल में बंद बृजेश सिंह की जमानत की अर्जी को खारिज कर चुका है. जमानत की अर्जी पिछले साल नवम्बर महीने में खारिज की गई थी. इस मामले में ट्रायल रुका हुआ है. गवाही शुरू कराने की मांग को लेकर मुख्तार अंसारी की तरफ से स्पेशल कोर्ट में पिछले महीने ही एक अर्जी दाखिल की गई थी.

इस तरह इलाहाबाद की स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट में मुख्तार से जुड़े कुल ग्यारह मुक़दमे पेंडिंग हैं. इनमे से दस मुकदमों में वह खुद आरोपी है, जबकि एक में वादी है. यूपी सरकार की दिलचस्पी मुख़्तार के उन्ही दस मुकदमों में है, जो उसके खिलाफ चल रहे हैं. सरकार की मंशा इन मामलों में मजबूत पैरवी कर मुख्तार को सज़ा दिलाने की है. ऐसा करके सरकार जहां एक तरफ क़ानून का राज स्थापित होने का संदेश देना चाहती है तो वहीं दूसरी तरफ कुछेक मामलों में बाहुबली को सज़ा दिलाकर उसके सियासी करियर का द एंड करने की भी तैयारी में है. अगर मुख्तार को किसी मामले में सज़ा हो जाती है तो चुनाव आयोग के नए नियमों के मुताबिक़ वह चुनाव नहीं लड़ सकेगा.

इलाहाबाद की स्पेशल कोर्ट में मुख्तार के मामलों में सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे फौजदारी मामलों के जिला शासकीय अधिवक्ता गुलाब चंद अग्रहरि के मुताबिक़ सरकार की मंशा के मुताबिक़ मुकदमों में तेजी लाने और मजबूती से पक्ष रखने के लिए ठोस कवायद की जा रही है. उनके मुताबिक़ मुख्तार के पंजाब जेल में होने और इलाहाबाद की कोर्ट में पेश न होने से कुछेक मामलों में कानूनी पेचीदगियां ज़रूर सामने आ रही हैं, लेकिन बाकी मामलों में मजबूत पैरवी के ज़रिये बाहुबली को सज़ा दिलाने के पुख्ता इंतजाम किये गए हैं.

क्या कहना है वकील का

क्रिमिनल मामलों के जानकार वकील सैयद अहमद नसीम का कहना है कि, इलाहाबाद की स्पेशल कोर्ट में मुख्तार के खिलाफ जो भी मामले हैं, उसमे उसे उम्र कैद से लेकर फांसी तक की सज़ा भी हो सकती है. उनका कहना है कि मुख्तार को कुछेक मामलों में सज़ा होने का एहसास भी है और इसी वजह से वह यूपी आने से बच रहा है. उनके मुताबिक़ यहां के किसी भी मामले में मुख्तार पर सीधे तौर पर हत्या के मामले में शामिल होने का आरोप नहीं है. ऐसे में सिर्फ साजिश रचने के आरोप में दोषी होने पर उसे अधिकतम उम्र कैद की ही सज़ा होने की ज़्यादा उम्मीद है.

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