लखनऊ. यूपी में दो साल से 69 हजार शिक्षकों की भर्ती अधर में लटकी थी. हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आखिरकार योगी सरकार ने 31277 सहायक अध्यापकों की मेरिट लिस्ट जारी कर दी है. 16 अक्टूबर से शिक्षकों को नियुक्ति पत्र मिलने शुरू हो जाएंगे. नियुक्ति के लिए काफी समय से धक्के खा रहे अभ्यर्थियों को अब राहत मिली है. आपको बताते हैं कि आखिर ये पूरा मामला क्या है और क्यों ये भर्तियां लटकी रही.
क्या है मामला?
- साल 2018 दिसंबर में योगी सरकार ने सरकारी प्राइमरी स्कूलों में 69 हजार सहायक अध्यापकों के पद पर भर्ती निकाली
- इन पदों के लिए जनवरी 2019 में परीक्षाएं हुई जिसमें लगभग चार लाख अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया.
- परीक्षा के अगले दिन शासन ने परीक्षा के लिए मिनिमम मार्क्स तय कर दिए. इसमे सामान्य वर्ग के लिए 65 फीसदी और आरक्षित वर्ग के लिए 60 फीसदी अंक तय किये गए.
- 69 हजार शिक्षक भर्ती परीक्षा से पहले 68,500 पदों के लिए सहायक अध्यापकों की भर्ती परीक्षा हुई थी, जिसमें पास होने के लिए आरक्षित वर्ग के लिए 40 और सामान्य वर्ग के लिए 45 प्रतिशत का कट ऑफ तय किया गया था. इसी को बढ़ाकर सामान्य वर्ग के लिए 65 और आरक्षित वर्ग के लिए 60 फीसदी किया गया.
- शिक्षामित्र और कुछ अन्य अभ्यर्थी इस मामले को लेकर हाइकोर्ट गए. उन्होंने कहा कि परीक्षा के बाद न्यूनतम अंक तय करना गलत है.कुछ अभ्यर्थी 40 और 45 फीसदी न्यूनतम अंक निर्धारित करने की मांग करने लगे.
- रामशरण मौर्य बनाम राज्य सरकार मामले में हाईकोर्ट ने 29 मार्च को राज्य सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया. भर्ती के लिए योगी सरकार को हाईकोर्ट से 3 महीने का समय मिला.
- हाईकोर्ट के फैसले के विरोध में कुछ शिक्षामित्र सुप्रीम कोर्ट चले गए.
- सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षक भर्ती की 3 जून से 6 जून तक होने वाली काउंसलिंग पर रोक लगा दी.
- सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों की अपील पर 9 जून 2020 को मामले में सुनवाई की. कोर्ट ने 69 हजार में से 37,339 पदों को होल्ड कर दिया और बाकि 31,661 पदों पर भर्ती करने का आदेश दिया.
- राज्य सरकार ने 24 सितंबर को आदेश जारी करते हुए 31,661 पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए थे, लेकिन एससी वर्ग में कम अभ्यर्थी पात्र होने के कारण केवल 31,277 पदों पर ही चयन प्रक्रिया की जा रही है.
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