Kanpur News: कानपुर (Kanpur) की होली (Holi) अपने आप में बड़ी अनूठी होती है. जो नगर में होली और होलिका दहन वाले दिन से शुरू होकर गंगा मेला (Ganga Mela) तक चलती है. अनुराधा नक्षत्र के दिन कानपुर महानगर में जमकर रंग बरसते हैं और रंगों में सराबोर कनपुरिया जमकर होली खेलते हैं. इस बार भी 23 मार्च को अनुराधा नक्षत्र के दिन एक बार फिर जमकर होरियारे रंग खेलेंगे. इस दिन एतिहासिक पर्व गंगा मेला का आयोजन किया जा रहा है. रंगों से भरे ड्रम के ठेले पूरे शहर में घूम-घूमकर लोगों पर रंग बरसाते हैं और होली खेलते हैं.


क्या है इतिहास
गंगा मेला का यह नजारा सिर्फ कानपुर में ही देखा जा सकता है. कानपुर में रंग खेलना होलिका दहन से शुरू होकर गंगा मेला तक जारी रहता है. करीब एक हफ्ते तक शहर में लगातार रंग खेला जाता है. इस बार अनुराधा नक्षत्र 23 मार्च बुधवार को पड़ रहा है. वहीं कानपुर में गंगा मेला आजादी के दीवानों की याद में मनाया जाता है. लोगों की मानें तो जब देश में स्वतंत्रता आंदोलन चरम सीमा पर था तब सन 1942 में ब्रिटिश सरकार के तत्कालीन जिलाधिकारी कानपुर ने होली खेलने पर प्रतिबंध लगा दिया था. लेकिन हटिया इलाके के नव युवकों ने तय किया कि होली उनका धार्मिक त्योहार है. जिसे वो पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाएंगे. देश आजाद हुआ सन 1947 में लेकिन कानपुर के हटिया में आजादी का झंडा 1942 की होली में ही फहरा दिया गया था. जब शहरवासियों ने होली खेलनी शुरू की. तब तत्कालीन शहर कोतवाल ने हटिया पार्क को चारों तरफ से घेर लिया और 43 नवयुवकों को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया.


कहां से शुरु होता है मेला
इस गिरफ्तारी पर शहर में तीखी प्रतिक्रिया हुई और पूरे शहर में भयंकर होली खेली गई. ऐलान किया गया कि जब तक नवयुवक छोड़े नहीं जाएंगे तब तक निरंतर होली खेली जाएगी. जिस दिन नवयुवक छोड़े गए उस दिन अनुराधा नक्षत्र था. जिस कारण अब हर साल अनुराधा नक्षत्र के दिन गंगा मेला मनाया जाता है. इस वर्ष गंगा मेला की 81 वर्षगांठ मनाई जाएगी. यह मेला हटिया के रज्जन बाबू पार्क से मेला उठता है और विभिन्न क्षेत्रों से होते हुए सरसैया घाट सिविल लाइंस में समाप्त होता है. नेहा शर्मा, जिलाधिकारी कानपुर ने बताया कि ऐतिहासिक गंगा मेला को लेकर जिला प्रशासन ने अपनी तैयारी कर ली है. स्वास्थ्य विभाग समेत सभी महकमों को अलर्ट किया गया है.


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