Yogi Cabinet 2.0: योगी कैबिनेट के इन चेहरों ने सभी को किया हैरान, इनके राजनीतिक करियर के बारे में यहां जानें
Yogi Cabinet: योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) का दूसरा कार्यकाल शुरू हो चुका है. इस दौरान योगी सरकार में 52 मंत्री बनाए गए हैं. हम कुछ मंत्रियों के राजनीतिक करियर के बारे में आपको बता रहे हैं.
Yogi Cabinet 2.0: यूपी में योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) का दूसरा कार्यकाल शुरू हो चुका है. इस दौरान योगी सरकार में 52 मंत्री बनाए गए हैं. हम कुछ मंत्रियों के राजनीतिक करियर के बारे में आपको बता रहे हैं.
प्रतिभा शुक्ला (राज्यमंत्री)
- कानपुर देहात- अकबरपुर रनिया विधानसभा सीट
राजनीतिक करियर- समाजवादी पार्टी से वर्ष 2012 में चुनाव लड़े राम स्वरूप सिंह गौर को कुल वोट 69,148 मिले थे. वहीं बहुजन समाज पार्टी से चुनाव लड़ी प्रतिभा शुक्ला कुल 67,905 वोट मिला था. तब दोनों प्रत्याशियों में महज दो वोटों का अंतर रहा था. अब 2017 की बात करते है, मोदी लहर के चलते बहुजन समाज पार्टी से आई प्रतिभा शुक्ला को बीजेपी ने टिकट दिया और वह लगभग 8,7430 वोट पाकर यहां विधायिका बनी. वहीं इस बार के वोटों का अंतर 29,000 रहा. उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी समाजवादी पार्टी से प्रत्याशी नीरज सिंह को हारा दिया था. 2022 में फिर से बीजेपी के टिकट पर जीत दर्ज की.
कब से हैं विधायक
प्रतिभा शुक्ला प्रतिभा शुक्ला साल 2007 में बीएसपी से विधायक रह चुकी हैं. लेकिन 2017 से पहले बीजेपी ज्वाइन करके अकबरपुर रनिया सीट से विधायक बनकर यूपी विधानसभा पहुंची. एक बार फिर साल 2022 के चुनाव में विधायक चुने जाने के बाद उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री का पद दिया गया है. प्रतिभा शुक्ला की शिक्षा कानपुर के केके इंटर कॉलेज जुहारी देवी डिग्री कॉलेज से हुई है. इन्हें एमएड की शिक्षा प्राप्त की है. राज्य मंत्री बनाए जाने पर इनका पूरा परिवार बेहद खुश है. प्रतिभा शुक्ला अपने पति और पूर्व सांसद रहे अनिल शुक्ला वारसी को अपना राजनीतिक गुरु बताती हैं. प्रतिभा शुक्ला का कहना है कि जनता ने जो जीत की माला उनके गले में डाली है उसका पूरा सम्मान करते हुए राज्य मंत्री के पद पर रहते हुए जनकल्याणकारी कार्यों में मशगूल रहेंगी. उत्तर प्रदेश में गठित मंत्रिमंडल में उनका शामिल करना किसी बड़े आश्चर्य से कम नहीं है क्योंकि कानपुर महानगर से किसी भी विधायक को मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई है. प्रतिभा शुक्ला के फेवर में महिला होना और ब्राह्मण चेहरा होना गया है.
राकेश सचान (कैबिनेट मंत्री)
- कानपुर देहात- भोगनीपुर विधानसभा सीट
राजनीतिक करियर- राकेश सचान को सियासी पंडित भी कैबिनेट में जगह नहीं दे रहे थे. लेकिन चुनाव के ऐन पहले कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले और कानपुर देहात की भोगनीपुर सीट से विधानसभा का चुनाव लड़कर जीते. उसके बाद राकेश सचान को योगी मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री के रूप में जगह दी गई है. 1988 से छात्र राजनीति में छाप छोड़ने वाले राकेश सचान कानपुर विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष रहे. तब से सियासत ऐसी शुरू हुई कि आज कैबिनेट मंत्री के पद पर आसीन हुए हैं. हालांकि उनके माता और पिता उन्हें राजनीति से दूर रहने की बात कहते थे क्योंकि माता और पिता दोनों ही शिक्षक थे. लेकिन नाना स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे और उनके सामाजिक ताने-बाने को देखकर राकेश सचान राजनीति में कूदे. शुरुआत में जनता दल की राजनीति की और पहली बार जनता दल से विधायक बने, फिर समाजवादी पार्टी की राजनीति में विधायक और सांसद बने लेकिन कुछ मनमुटाव के बाद 2019 में कांग्रेस से फतेहपुर से लोकसभा का चुनाव लड़े. जिसमें हार का सामना करना पड़ा आखिर में साल 2022 के चुनाव से पहले बीजेपी ने राकेश सचान को पार्टी ज्वाइन करा कर बड़ी जिम्मेदारी दी. जिसका सफलतापूर्वक निर्वहन करने पर उन्हें कैबिनेट मंत्री पद से नवाजा गया.
करियर
1988- डीएवी कॉलेज से इकोनॉमिक्स और भूगोल से MA, LLB की. इसके अलावा विश्वविद्यालय छात्रसंघ अध्यक्ष रहे.
1991- जनता दल घाटमपुर विधानसभा लड़े और हार गए.
1993- घाटमपुर से जनता दल के टिकट पर विधायक बने. कानपुर मंडल की 40 सीट में से एकमात्र सीट जीत गए थे.
1996- सपा से घाटमपुर से लड़े और हार गए.
2002- सपा से घाटमपुर से विधायक बने.
2009- सपा के टिकट पर फतेहपुर से सांसद बने.
2014- सपा के टिकट पर फतेहपुर सांसद का चुनाव हार गए.
2019- फतेहपुर से कांग्रेस के टिकट पर लड़े और हार गए.
2022- बीजेपी के टिकट पर विधायक बने.
दानिश आजाद अंसारी (राज्यमंत्री)
- बलिया- बांसडीह विधानसभा सीट
परिवार- मंत्री पद की शपथ के बाद अब चर्चा उन नामों की है जो शायद कहीं चर्चा में नहीं थे. इन्ही में एक नाम है दानिश आजाद अंसारी का. बलिया के बांसडीह विधानसभा के अपाइल गांव के रहने वाले दानिश के बारे में एबीपी गंगा आपकी बता रहा है. राजनीति के इतिहास में बागी बलिया का नाम किसी से छिपा नहीं है. लेकिन इसी बागी बलिया की बांसडीह विधानसभा के अपाइल गांव की इन दिनों चर्चा है. इस गांव का बेटा आज यूपी के राज्य मंत्री पद की शपथ ले चुका है. अब राज्यमंत्री दानिश आजाद अंसारी से उनकी बड़ी मां, बड़े पिताजी और वर्तमान ग्राम प्रधान को उम्मीदें हैं.
शिक्षा
दानिश आजाद अंसारी की प्रारंभिक शिक्षा बलिया के हॉलीक्रॉस स्कूल से हुई. परिवार साधारण था लेकिन शिक्षा के महत्व को जानता था. लिहाजा हमेशा से इस परिवार में शिक्षा को लेकर जागरूकता रही. लेकिन दानिश के दिल में देश सेवा के भाव बचपन से दिखते थे. इंटरमीडिएट की परीक्षा हॉलीक्रॉस से पास कर जब दानिश लखनऊ विश्वविद्यालय गए तो इन्होंने यहां एबीवीपी ज्वाइन किया और जुड़ गए देश सेवा के भाव से. 2011 में इन्होंने बीजेपी ज्वाइन किया और बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के महामंत्री भी रहे. अब इन्होंने मंत्री पद की शपथ ली है. पूरब की माटी के दानिश से जनता को उम्मीद है और अब लोगों को इंतेजार भी है कि आखिर उनकी ये उम्मीद कब पूरी होगी.
जसवंत सैनी (राज्यमंत्री)
- विधायक नहीं
राजनीतिक करियर- यूपी की कैबिनेट में एक हैरान कर देने वाला चेहरा सामने आया है. वह है सहारनपुर के जसवंत सैनी का. योगी सरकार में जसवंत सैनी उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष थे. जो कि ग्रामीण पृष्ठभूमि से आते हैं. उन्होंने 1989 में संघ कार्यकर्ता के रूप में जीवन की शुरुआत करी. करीब 33 साल के सफर में संगठन के भीतर कई उच्च पदों पर रहे. 2009 में एकमात्र लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन जीत नहीं पाए. जसवंत सैनी सहारनपुर जनपद के रामपुर मनिहारान क्षेत्र के गांव आजमपुर के रहने वाले हैं. लेकिन अब बड़गांव मार्ग पर इनका निवास है. यहां पर उनका शाकंभरी टेंट हाउस के नाम से अपना कारोबार भी है. छह भाइयों में सबसे बड़े जसवंत सैनी की दो बहनें भी हैं. रामपुर मनिहारान स्थित महाविद्यालय से ग्रेजुएशन करने के बाद सहारनपुर के जैन डिग्री कॉलेज से एमए और एलएलबी की पढ़ाई की है. कॉलेज में पढ़ाई के दौरान में संघ की शाखा चलाने के साथ व मुख्य शिक्षक भी रहे. इसके बाद देवबंद तहसील की प्रमुख जिम्मेदारी संभाली. 1997 में भाजयुमो महामंत्री सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया. 2001 में भाजयुमो के जिला अध्यक्ष बने, 2004 में बीजेपी के जिला महामंत्री और 2007 से 2010 तक बीजेपी के जिला अध्यक्ष रहे. 2010 से 2014 तक बीजेपी प्रदेश मंत्री रहे. 2017 से 2020 तक प्रदेश उपाध्यक्ष रहे. 2019 में राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के उपाध्यक्ष अध्यक्ष बन गये और फिर अध्यक्ष बने.
कौन थे पिता
जसवंत सैनी के पिता भूप सिंह सैनी साधारण व्यक्ति व किसान हैं तथा उनके बाबा चौधरी सुरजन सिंह जन संघ के जिला अध्यक्ष रह चुके हैं. वे विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके थे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल में जसवंत सैनी ओबीसी से हैं. इनको शामिल किया जाने से सभी को हैरान किया है. जसवंत सैनी जमीन से जुड़े हुए नेता हैं. धर्म सिंह सैनी के समाजवादी पार्टी में जाने से और बेहट विधानसभा से बीजेपी टिकट पर चुनाव लड़ रहे नरेश सैनी के हार जाने के बाद इस जनपद और प्रदेश मे सैनी समाज को साधने के लिए विशेष रूप से जसवंत सैनी को बड़ी जिम्मेदारी दी गई है.
कैसी रही राजनीति
योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी में क्षेत्र के पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष जसवंत सैनी को मंत्रिमंडल में राज्य मंत्री बनाए जाने से क्षेत्र सहित परिवार में भी खुशी का माहौल है. रामपुर मनिहारान कस्बे के निवासी पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष जसवंत सैनी के मंत्री बनने पर बीजेपी कार्यकर्ताओं एवं समर्थकों के साथ आम आदमी में भी खुशी का माहौल देखने को मिल रहा है. जसवंत सैनी के निवास पर भी समर्थकों का ताता लगा हुआ है. जसवंत सैनी के पिता भूप सिंह सैनी ने बीजेपी सरकार द्वारा उनके बेटे को मंत्री बनाए जाने पर सरकार का धन्यवाद किया गया है. भूप सिंह सैनी का कहना था कि उनके आठ बच्चे हैं. जिनमें से जसवंत सैनी सबसे बड़े भाई हैं. अन्य सभी 5 भाइयों का कस्बे में अपना कारोबार है. जसवंत सैनी को बचपन से ही राजनीति का शौक था. उनके दादाजी दुर्जन सिंह भी राजनीति में थे और जसवंत को भी वह ही राजनीति में लाए थे. वहीं छोटे भाई कृष्ण एवं प्रताप सिंह का कहना था कि जसवंत सैनी पहले तो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में रहे फिर बीजेपी से 2009 में लोकसभा चुनाव लड़े परंतु उस चुनाव में हार गए. लेकिन अब सरकार द्वारा उन्हें मंत्री बनाया गया है जो कि बहुत ही खुशी की बात है. उन्होंने सरकार का धन्यवाद भी किया रामपुर कस्बे में बाकी सभी भाई टैंट का परचून की दुकान जूते की दुकान का व्यापार करते हैं.
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