UP News: उत्तर प्रदेश में 59 साल के माफिया मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) पर 59 मुकदमें दर्ज हैं. इस वजह से मुख्तार अंसारी की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही है. वहीं बुधवार को मुख्तार अंसारी को एक मामले में सात साल की सजा सुनाई गई है. ये बीते 34 सालों में पहली बार है जब माफिया को सजा सुनाई गई है. हालांकि इन 59 मुकदमों में से ज्यादातर मुकदमें गाजीपुर (Ghazipur) जिले में दर्ज हैं.


59 मुकदमों में से गाजीपुर के अलावा मुख्तार के खिलाफ मऊ और वाराणसी में नौ-नौ मुकदमें दर्ज हैं. इसके अलावा लखनऊ में माफिया पर सात मुकदमें दर्ज हैं. जबकि आमलमबाग में दर्ज एक मामले में ही उसे सात साल की सजा हुई है.


राजनीतिक से अपराध तक 
अगर मुख्तार अंसारी के राजनीतिक करियर पर नजर डालें तो 1996 में उन्होंने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की थी. जिसके बाद से 2017 तक मुख्तार लगातार पांच बार विधायक रह चुका है. जबकि 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपनी सीट अपने बेटे को सुपुर्द कर दी.


जबकि पहली बार 1988 में मंडी परिषद की ठेकेदारी को लेकर स्थानीय ठेकेदार सच्चिदानंद राय की हत्या के मामले में मुख्तार का नाम सामने आया था. इसके बाद त्रिभुवन सिंह के भाई कॉन्स्टेबल राजेंद्र सिंह की हत्या का आरोप माफिया पर लगा था. 


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एएसपी पर हमले का आरोप
मुख्तार पहली बार 1991 में पुलिस की गिरफ्त में आया. हालांकि पुलिस जब उसे लेकर जा रही थी तब वह फरार हो गया. इस दौरान दो पुलिसकर्मी भी मारे गए. 1996 में एएसपी उदयशंकर पर जानलेवा हमले का भी मुख्तार अंसारी पर आरोप लगा था.


मुख्तार अंसारी पर मकोका और गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमे दर्ज हुए हैं.1997 में पूर्वांचल के कोयला व्यवसाई के अपहरण का भी आरोप मुख्तार पर लगा था. इसके बाद बीजेपी ने कृष्णानंद राय को 2002 में गाजीपुर की मोहम्मदाबाद सीट से चुनाव लड़ाया और वह जीत गए. 


हार के तीन साल बाद कर दी हत्या
कृष्णानंद राय ने 17 साल बाद अंसारी परिवार से सीट छीन ली थी. मुख्तार के बड़े भाई अफजाल चुनाव हार गए थे. लेकिन तीन साल बाद ही कृष्णानंद राय की हत्या कर दी गई. मुख्तार के दुर्दिन की शुरुआत 2017 में हुई जब प्रदेश में बीजेपी सत्ता में आई.


पांच साल में योगी सरकार ने तोड़ी मुख्तार अंसारी की कमर तोड़ दी है. जब सख्तियां बढ़ी तो यूपी छोड़कर पंजाब के जेल में मुख्तार ने शरण ली. हालांकि न्यायालय के आदेश के बाद पंजाब सरकार को मुख्तार को वापस सौंपना पड़ा. पिछले साल वापस लाए जाने के बाद से वह बांदा जेल में बंद है. अब मुख्तार की मऊ, गाजीपुर, लखनऊ में 400 करोड़ की संपत्ति या तो जब्त हो चुकी या ध्वस्त. 


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