बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव के लिए कमर कस ली है उनका दावा है कि उनकी पार्टी पूर्णबहुमत के साथ सत्ता में आएगी. साल 2007 से ज्यादा सीटे जीतने का दावा करने वाली मायावती के लिए ये सफर आसान नहीं होगा. दरअसल साल 1984 में बसपा के गठन के बाद पार्टी ने कई बार उतार-चढ़ाव देखे.


राजनीति में आने से पहले स्कूल में पढ़ाती थीं मायावती
मायावती का जन्म साल 15 जनवरी साल 1956 को दिल्ली में हुआ था. मायावती का उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर के छोटे से गांब बादलपुर से संबंध हैं. इनके पिता प्रभु दास डाक विभाग में काम करते थे. मायावती ने साल 1975 में दिल्ली विश्वविद्यालय के कालिंदी कालेज से स्नातक की डिग्री हासिल की इसके बाद साल 1976 में उन्होंने मेरठ विश्वविद्यालय से बीएड और साल 1983 में दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी की. मायावती एक स्कूल में पढ़ाने के साथ आईएएस की तैयारी कर रही थीं. साल 1977 में वे कांशीराम के संपर्क मे आई और उनके सहयोग से साल 1983 में बसपा की स्थापना की. 


1993 के चुनाव में दिखाया अपना दमखम
साल 1993 के यूपी विधानसभा चुनाव में बसपा ने 164 प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था जिसमें से 67 प्रत्याशियों की जीत हासिल हुई. ये आंकडे़ अप्रत्याशित थे. इस दौरान मुलायम सिंह यादव और कांशीराम ने गठबंधन कर लिया और मुलायम सिंह यादव राज्य के सीएम बने हालांकि बाद में मनमुटाव के कारण मुलायम सिंह की सरकार 1 साल बाद ही गिर गई. 


2007 के चुनाव में मिली थी बड़ी जीत
मायावती को पहली बार मुख्यमंत्री बनने का मौका 3 जून साल 1995 में मिला हालांकि वे केवल 137 दिनों तक ही मुख्यमंत्री पद पर रह सकीं. साल 1996 में बसपा ने 296 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे जिसमें से केवल 67 को ही चुनाव जीत पाए थे. साल 2002 के चुनाव में मायावती ने 401 सीटों पर प्रत्याशियों को मैदान में उतारा जिसमें 98 प्रत्याशी चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे.


साल 2007 में मायावती को बड़ी जीत हासिल हुई. बसपा  403 सीटों में 206 सीटें जीतने में कामयाब हुई और मायावती एक बार फिर मुख्यमंत्री बनी. इसके बाद बसपा का ग्राफ गिरता चला गया. साल 2012 के चुनाव में बसपा को 80 सीटों से संतोष करना पड़ा. साल 2017 के चुनाव में बसपा 403 सीटों में से केवल 19 सीटें ही जीतने में कामयाब हो पाई थी. 


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