Prayagraj News: तकरीबन पंद्रह साल पहले यूपी की सियासत में कोहराम मचाने वाले प्रयागराज के चर्चित मदरसा कांड का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर आ गया है. सूबे की योगी सरकार ने द्वारा साल 2007 के इस बेहद चर्चित मामले की दोबारा जांच कराए जाने का ऐलान से सियासी गलियारों में दोबारा हलचल मच गई है. दरअसल योगी सरकार मदरसा कांड की फाइल दोबारा खुलवाकर न सिर्फ पूर्व बाहुबली सांसद अतीक अहमद और उसके परिवार पर शिकंजा कसने की फिराक में है बल्कि वह इसके बहाने समाजवादी पार्टी पर भी निशाना साधने की भी तैयारी में है. हालांकि लाख टके का सवाल यह है कि क्या चर्चित मदरसा कांड पंद्रह साल बाद भी वोटों के गणित पर कोई असर डाल पाएगा या फिर सिर्फ जुमलेबाजी तक ही सीमित होकर रह जाएगा.
गई थी मुलायम सरकार
साल 2007 में यूपी की तत्कालीन मुलायम सरकार को सत्ता से बेदखल कर सूबे में नीले झंडे की धूम मचवाने में उसी साल जनवरी महीने में हुए चर्चित व सनसनीखेज मदरसा कांड का अहम रोल माना जाता है. बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने उस वक्त मदरसा कांड के बहाने तत्कालीन मुलायम सरकार की ऐसी घेरेबंदी की थी. तब समाजवादी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा था. योगी सरकार ने मदरसा कांड की जांच दोबारा कराए जाने का एलान कर सनसनी तो फैला दी है, लेकिन चुनाव में इसका फायदा सत्ताधारी पार्टी को कितना मिलेगा, फिलहाल इस पर कुछ भी कह पाना जल्दबाजी होगी. बहरहाल मदरसा कांड के सियासी फायदे और नुकसान के आंकलन से पहले इस चर्चित मामले की तह तक जाना बेहद जरुरी है.
सपा नेता और विधायक पर आरोप
दरअसल प्रयागराज के करेली इलाके के बख्शी मोढ़ा गांव में संचालित होने वाले मदरसा जमीयतुस स्वालेहात में साल 2007 में 17 जनवरी की रात को लड़कियों के हॉस्टल से दो नाबालिग लड़कियों का आधी रात को अपहरण कर उनके साथ गैंगरेप किया गया था. उस वक्त इलाके के सांसद सपा के तत्कालीन नेता अतीक अहमद और विधायक उनके छोटे भाई और सपा के टिकट पर ही जीते खालिद अजीम उर्फ अशरफ थे. आरोप है कि मदरसे से लड़कियों को अगवा करते वक्त उनकी जातियां पूछी गईं थीं. जाति बताने पर कुछ लड़कियों को छोड़ भी दिया गया था. मदरसा कांड में स्थानीय पुलिस ने लीपापोती की तो आरोपियों में तत्कालीन सपा सांसद अतीक अहमद और विधायक खालिद अजीम अशरफ पर असली गुनहगारों को बचाने के आरोप लगे थे. कई दिनों तक हिंसा व हंगामा हुआ था.
सीबीआई जांच का ऐलान
घटना के बाद तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह यादव प्रयागराज आए थे. लेकिन वह सिर्फ कुंभ मेले में आस्था की डुबकी लगाने व संत महात्माओं से मुलाकात करने के बाद मदरसा मामले पर कोई चर्चा किए बिना ही चले गए थे. इससे तमाम लोग नाराज हो गए थे. बीएसपी सुप्रीमो मायावती इसके अगले दिन ही प्रयागराज आ गईं थीं. उन्होंने घटनास्थल पर जाकर पीड़ितों की आर्थिक मदद की थी. इंसाफ का भरोसा दिलाया था और साथ ही अपनी सरकार आने पर सीबीआई जांच का ऐलान भी किया था. मायावती ने भी तत्कालीन सपा सांसद अतीक अहमद और उसके छोटे भाई विधायक खालिद अजीम उर्फ अशरफ की भूमिका को लेकर सवाल उठाए थे.
हर पार्टी ने उठाए थे सवाल
मदरसा कांड ने अतीक और उसके परिवार की इतनी फजीहत कराई थी कि बाहुबली और उसका परिवार इस घटना के बाद से आज तक कोई चुनाव नहीं जीत सका है. मायावती के लीड लेने के बाद कांग्रेस समेत दूसरी विपक्षी पार्टियों ने भी मदरसा कांड को जोर शोर से उठाया था. उस वक्त पूरे उत्तर प्रदेश में यह बड़ा चुनावी मुद्दा बन गया था. रैलियों-सभाओं से लेकर विपक्षी नेताओं की प्रेस कांफ्रेंस में भी मदरसा कांड के बहाने तत्कालीन मुलायम सरकार और सूबे की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए जाते थे.
आरोपी हो चुके हैं बरी
मदरसा कांड में पुलिस के रिकार्ड में अतीक और उसके भाई अशरफ का नाम तो नहीं आया लेकिन आरोप है कि इनके दबाव में पुलिस ने असल मुल्जिमों को पकड़ने के बजाय पांच बेगुनाहों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. इस मामले में कई पुलिसकर्मी हटाए भी गए थे. बहरहाल मदरसा कांड ने उस वक्त सूबे की सियासत में इतनी सनसनी मचाई थी. मुलायम सिंह यादव को अपनी कुर्सी तक गंवानी पडी थी और मायावती पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने में कामयाब हुई थीं. सीएम की कुर्सी संभालने के बाद मायावती ने अपना वादा निभाते हुए मदरसा कांड की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की. हालांकि केस ट्रांसफर लेने के बाद सीबीआई ने देरी के आधार पर जांच आगे बढ़ाने से मना कर दिया था. इस पर आगे की जांच का जिम्मा सीबीसीआईडी को सौंपा गया था. कुछ सालों पहले ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में आरोपी बनाए गए सभी पांच लोगों को बाइज्जत बरी कर दिया गया.
चुनावी फायदा लेने की कोशिश
योगी सरकार ने अतीक और उसके परिवार पर निशाना साधते हुए मदरसा कांड की फाइल एक बार फिर से खुलवाने का एलान किया है. सूबे के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने रविवार को अपने चुनाव क्षेत्र में सीएम योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में मदरसा कांड की फाइल फिर से खुलवाने की बात कहकर इस चर्चित मामले के बोतल में कैद जिन्न को फिर से बाहर निकाल दिया है. दरअसल मदरसा कांड के बहाने बाहुबली अतीक और उसके परिवार पर शिकंजा कसकर सूबे की सरकार सियासी फायदा लेना चाहती है. वैसे सिद्धार्थनाथ के ऐलान के बाद मदरसा कांड को लेकर न सिर्फ फिर से चर्चाओं का बाजार गर्म होने लगा है, बल्कि लोगों का आक्रोश भी फिर से नजर आने लगा है. हालांकि यह देखना दिलचस्प होगा कि मदरसा कांड का जिन्न डेढ़ दशक पुराने इतिहास को दुहराते हुए फिर से वोटों की सियासत को प्रभावित करेगा या फिर महज चुनावी शिगूफा साबित होकर रह जाएगा.
मदरसा कांड के कथित आरोपियों के वकील सैयद अहमद नसीम गुड्डू के मुताबिक सियासी दखलंदाजी के चलते यूपी पुलिस ने पहले दिन से ही मामले को रफा-दफा कर ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश की थी. मजबूरी में फर्जी खुलासा कर पांच बेगुनाहों को जेल तो भेज दिया गया. लेकिन असल मुल्जिमों को पकड़ने की कोशिश कभी की ही नहीं गई. इस मामले में सूबे के कैबिनेट मंत्री व प्रवक्ता के साथ ही इलाके के इलाके के विधायक सिद्धार्थनाथ सिंह का कहना है कि तमाम मुस्लिम महिलाओं के कहने पर उन्होंने इस मामले की जांच दोबारा कराए जाने की बात कही है. उनके मुताबिक इस सनसनीखेज मामले में पीड़ितों को आज तक इंसाफ नहीं मिला है और असली गुनहगार सलाखों के पीछे तक नहीं जा सके हैं. जांच के दायरे में गुनहगारों के साथ ही उन्हें बचाने व पनाह देने वाले कथित सफेदपोश माफिया भी रहेंगे. दूसरी तरफ बाहुबली अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन का कहना है कि सिद्धार्थनाथ सिंह अपनी पांच साल की नाकामियों को छिपाने के लिए महज शिगूफेबाजी कर रहे हैं. अगर उन्हें हकीकत में पीड़ितों से कोई हमदर्दी थी कि तो पांच साल सत्ता में रहने के बाद भी चुप्पी क्यों साधे रहे. इन दिनों गुजरात की अहमदाबाद जेल में बंद बाहुबली अतीक का परिवार अब ओवैसी की पार्टी एमआईएम में शामिल हो चुका है.
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