Lucknow Terrorism Story: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ आतंकियों का गढ़ बनती जा रही है. बीते 15 साल में लखनऊ में हिजबुल मुजाहिदीन, लश्कर-ए-तैयबा, अलकायदा, आईएसआईएस के मॉड्यूल के तमाम आतंकवादी गिरफ्तार किए गए हैं और भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री भी बरामद की गई है. ये इशारा है कि राजधानी में आतंकवादी संगठन गहरी पैठ जमा चुके हैं और खुफिया एजेंसियां इन पर नजर रखने के बजाय सो रही हैं.
आतंकी संगठनों ने लखनऊ को बनाया ठिकाना
राजधानी में आतंकियों को पनाह मिलने के अलावा यहां से प्रदेश के अन्य जिलों और देश के अन्य राज्यों में नेटवर्क बनाने में खासी मदद मिलती है. राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से भी लखनऊ बेहद महत्वपूर्ण स्थान है. यही वजह है कि देश-विदेश के आतंकी संगठनों ने लखनऊ को अपना ठिकाना बना लिया है. रविवार को लखनऊ के काकोरी से अलकायदा के आतंकी मिनहाज अहमद और उसके साथी मसीरुद्दीन की गिरफ्तारी ने देशभर की सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े कर दिए हैं.
लगातार एक्टिव रहे हैं आतंकी
इससे पहले लखनऊ में मई 2005 में एसटीएफ ने लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य सादात रशीद और इरफान को गिरफ्तार किया था. जबकि, दिसंबर 2006 में कैसरबाग से आईएसआई एजेंट अब्दुल शकूर और अनिल पकड़े गए थे. इसी तरह से जून 2007 में हूजी का एरिया कमांडर बाबू भाई और उसका साथी नौशाद सुरक्षा एजेंसियों के हत्थे चढ़ा था. अगले ही महीने यानी जुलाई 2007 को आतंकी नूर इस्लाम की निशानदेही पर इंडस्ट्रियल एरिया से आरडीएक्स और डेटोनेटर बरामद हुए थे. नवंबर 2007 में फिर एसटीएफ ने जैश-ए-मोहम्मद के तीन आतंकियों को लखनऊ से गिरफ्तार किया था. वर्ष 2009 नवंबर में पुराने लखनऊ से पाकिस्तान का जासूस आमिर अली पकड़ा गया था. मार्च 2017 में काकोरी में ही आईएसआईएस के खुरासान मॉड्यूल का आतंकी सैफुल्ला उर्फ सैफई एटीएस के साथ एनकाउंटर में मारा गया था. इन आतंकियों के पास से भारी मात्रा में विस्फोटक और तमाम संवेदनशील स्थानों के रेकी कर बनाए गए नक्शे सुरक्षा एजेंसियों को मिले थे. इससे बड़ी वारदातें तो थम गई लेकिन आतंकियों का नेटवर्क लगातार बना हुआ है. इसे ध्वस्त करने में सुरक्षा एजेंसियां अभी असफल है.
दारुल उलूम से जुड़ रहे हैं तार
अलकायदा के आतंकियों के तार सहारनपुर के देवबंद स्थित दारुल उलूम से भी जुड़ रहे हैं. सूत्रों की मानें तो एनआईए की छानबीन में अलकायदा के इंडियन सब कांटिनेंट के चीफ उमर हलमंडी ने देवबंद के कुछ लोगों से संपर्क किया था ताकि यूपी में आतंक की नर्सरी तैयार की जा सके. हलमंडी देवबंद में ही पढ़ा है और सूत्रों का कहना है कि अंसार गज़वातुल हिन्द का पहला चीफ सनाउल्ला हक भी यहीं से तालीम लेता था. उसके जरिए ही हलमंडी गज़वातुल हिन्द से जुड़ा. सनाउल्ला की एनकाउंटर में मौत के बाद संगठन की कमान उसने संभाल ली. सूत्रों का कहना है कि यूपी में तबाही की शुरुआत कुछ बड़ी आतंकी घटनाओं से होनी थी जिसके लिए मिनहाज को तैयार किया गया था. मिनहाज ने अपने साथ मसीरुद्दीन और शकील के अलावा कानपुर के कुछ युवकों को जोड़ा ताकि फिदायीन हमले की साजिश रची जा सके. इसका खुलासा होने के बाद आईबी और एनआईए सतर्क हो गए और उन्होंने तत्काल यूपी एटीएस को इस साजिश की सूचना दी.
सवालों के जवाब तलाश रही है एटीएस
सूत्रों के मुताबिक दारुल उलूम के कुछ लोगों के साथ संभल निवासी उमर हलमंडी पाकिस्तान के पेशावर से संपर्क साधकर यूपी के युवाओं का ब्रेनवॉश कर रहा था. बीते कई दिनों से अलकायदा का संभल से कनेक्शन खंगाल रही एनआईए को तमाम पुख्ता जानकारियां हाथ लगी थी. जांच में पता चला कि उमर हलमंडी अपने संपर्कों से टेलीग्राम और कुछ गेमिंग एप के जरिए बातचीत करता था. वहीं, एटीएस भी इस पहलू को ध्यान में रखकर ये पता लगाने की कोशिश कर रही है कि मिनहाज सीधे उमर हलमंडी के संपर्क में था या फिर उसका हैंडलर देश या यूपी में बैठा कोई दूसरा व्यक्ति है.
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