नई दिल्ली, पं.शशिशेखर त्रिपाठी। केमुद्रम योग से जुड़ी हर जानकारी दी है पंडित शशिशेखर त्रिपाठी है। पंडित जी ने बताया है कि  चंद्रमा से संबंधित एक नेगेटिव योग होता है, जिसका नाम- केमद्रुम योग है।





  • चंद्रमा कुंडली में बहुत महत्वपूर्ण होता है। बकायदा इसकी लग्न तक मानी गई है, यानी चंद्र कुंडली बनती है।




  • केमद्रुम योग जिनकी कुंडली में होता है उन  व्यक्तियों को मानसिक चिंताओं का सामना करना पड़ता हैं। मानसिक रूप से उलझने रहती है।




  • यह योग यदि कुंडली में है तो ऐसे व्यक्ति का मन जल्दी व्यथित हो जाता है। वह अपने आप को अकेला महसूस करता है।




  •  केमद्रुम योग वाला व्यक्ति सम्पन्न घर में जन्म लेने के बाद भी खुद को अकेला समझते हैं, भीड़ में भी अज्ञात भय रहता है।




  • अक्सर ऐसे लोगों को ऊंचाई से डर लगता है। साथ ही बहुत बड़े झूलों में बैठने में भयंकर दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।



     केमद्रुम योग क्या होता है? 




  • चंद्रमा कुंडली में अकेले बैठा हो और उसके आसपास कोई भी न हो। अब आप लोग अपनी कुंडली में देखिये कि यदि चंद्रमा अकेले हैं और उससे अगला भाव और उससे पीछे का भाव खाली हो तो केमद्रुम योग होता है।




  •  यदि चंद्रमा के आगे पीछे सूर्य राहु या केतु मौजूद है, तो भी उसे अकेला ही समझना चाहिए। क्योंकि इनके रहने से चंद्रमा को बल नहीं प्राप्त होगा।




  • चंद्रमा के केंद्र में भी कोई ग्रह न हो, तो केमुद्रम योग की प्रबलता बढ़ जाएगी।




  • चंद्रमा को कोई ग्रह न देखता हो। यदि यह सब कंडीशन लग रही है तो केमुद्रम योग है। लेकिन चंद्रमा के आगे पीछे का भाव खाली होगा, तो बहुत लोगों की कुंडली में होगा, लेकिन सभी कंडीशने कम लोगों में होती है यानी केमद्रुम योग से परेशान होने की जरूरत नहीं है।




  • चंद्रमा के अकेले होने का अर्थ है कि किसी भी ग्रह का इंपैक्ट न पड़ना। चंद्रमा को शैशव काल भी माना जाता है और शैशव काल में तो शेर भी कमजोर होता है। शैशव अवस्था में अभिभावक उसे अकेला नहीं छोड़ते हैं। यानी चंद्रमा को सानिध्य जिस ग्रह का भी मिलता है उसके गुणों को चंद्रमा आत्मसाध करते हुए बढ़ा देता है।




  •  केमुद्रम योग में चंद्रमा यदि कृष्ण पक्ष का हो तो और अधिक मन विचलित रहता है।




 उपाय...और सावधानियां 



  •  भगवान शिव की उपासना करनी चाहिए।

  • चाँदी का प्रयोग करना चाहिए ।

  • एकादशी का व्रत रखना चाहिए।

  • पूर्णिमा ज्योत्स्ना स्नान।

  • मां की सेवा और आशीर्वाद।

  • पानी की बर्बादी न करें।

  • गाय का दूध पिएं।