नई दिल्ली, एबीपी गंगा। इस साल यानी 2019 का दूसरा चंद्रग्रहण आज पड़ने जा रहा है, जो आज रात करीब 01:31 बजे शुरू होकर अगले दिन 17 जुलाई को 04:29 बजे तक चलेगा। करीब तीन घंटे तक पड़ने वाले इस चंद्रग्रहण के दौरान पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य के मध्य में होगी। सबसे बड़ा संयोग ये है कि 149 साल बाद गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्रग्रहण पड़ रहा है। इसी कारण इस बार चंद्रग्रहण को दुर्लभ और ऐतिहासिक कहा जा रहा है। इससे पहले 12 जुलाई, 1870 को गुरु पूर्णिमा और चंद्रग्रहण एक साथ पड़े थे।


चारों धामों के कपाट शाम चार बजे हो जाएंगे बंद


वहीं, चंद्र ग्रहण पड़ने के चलते चारों धामों- बदरीनाथ, केदारनाथ और गंगोत्री-यमुनोत्री के कपाट भी शाम चार बजे के बाद बंद कर दिए जाएंगे। जिसके बाद दोबारा कपाट 17 जुलाई की सुबह खुलेंगे। वहीं, आषाढ़ पूर्णिमा पर मंगलवार को गुरु दर्शन के अगले दिन सावन शुरू हो जाएगा।


बाबा विश्वनाथ की आरती भी विलंब से होगी शुरू 


इस बार चंद्र ग्रहण के कारण गुरु दर्शन शाम तक ही होगा, तो काशी में बाबा विश्वनाथ के जलाभिषेक के लिए भक्तों को इंतजार करना होगा। चंद्र ग्रहण 16 की रात 1.31 बजे लग रहा है, जो 17 जुलाई की भोर 4.30 बजे खत्म होगा। इससे बाबा की आरती दो घंटे विलंब से शुरू होगी और जलाभिषेक भी आरती के बाद ही संभव हो सकेगा। सूतक लगने के चलते गुरुपूर्णिमा पर दर्शन भी शाम चार बजे तक ही हो सकेगा। घाट पर होने वाली मां गंगा आरती का समय भी आयोजकों ने चंद्र ग्रहण के लिए बदल दिया है। मंगलवार को आरती दोपहर तीन बजे होगी।


गंगा आरती भी सूतक काल के कारण होगी प्रभावित


दशाश्वमेध घाट पर गंगा सेवा निधि व गंगोत्री सेवा समिति द्वारा आयोजित होने वाली सायंकालीन दैनिक मां गंगा की आरती सूतक काल के कारण प्रभावित होगी। गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्र के अनुसार, सूतक काल के कारण मंगलवार को दोपहर तीन बजे से आरती प्रारंभ होगी, जो चार बजे तक संपन्न करा दी जाएगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण से पूर्व देवालयों के कपाट बंद होने की परंपरा है। जिसे देखते हुए दशाश्वमेध घाट पर होने वाली विश्व प्रसिद्ध दैनिक मां गंगा की आरती का भी समय आयोजकों द्वारा परिवर्तित करते हुए दोपहर में कराया जाएगा।


साईं मंदिर के भी दर्शन नहीं कर पाएंगे


चारधाम और बाबा विश्वनाथ के अलावा चंद्र ग्रहण के कारण शिर्डी में साईं मंदिर के भी दर्शन नहीं कर पाएंगे। श्री साईं बाबा संस्थान ट्रस्ट ने ग्रहण के वक्त मंदिर के कपाट बंद रखने का निर्णय लिया है। जाहिर है कि गुरु पूर्णिमा के दिन साईं मंदिर में भी भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन इस बार ग्रहण के चलते भक्त बाबा के दर्शन नहीं कर सकेंगे।



21 जनवरी को पड़ा था 2019 का पहला चंद्रग्रहण 


बता दें कि 2019 का पहला चंद्रग्रहण 21 जनवरी को पड़ा था, ये पूर्ण चंद्रग्रहण था। जिसे 'सुपर ब्लड मून' का नाम दिया गया था। दरअसल, इस दौरान चंद्रमा का रंग बिल्कुल लाल हो जाता है। कहा जाता है कि 'सुपर ब्लड मून' के दौरान चंद्रमा पृथ्वी के काफी नजदीक होता है। इसके बाद अब 29 मई, 2021 का पूर्ण चंद्रग्रहण लगेगा। आज देर रात तो चंद्रग्रहण पड़ने वाला है वो आंशिक है। इस बार का चंद्रग्रहण देश के किसी भी कोने से देखा जा सकेगा। इस चंद्रग्रहण को आप नग्र आंखों से भी देख सकते हैं, ये आंखों के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है।


चंद्र ग्रहण को लेकर क्या-क्या तैयारियां करें


आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा मंगलवार 16 की मध्यरात्रि को खण्डग्रास चन्द्रग्रहण पड़ेगा। यह ग्रहण भारत में पूरा दिखाई देगा। भारत के अतिरिक्त यह ग्रहण दक्षिण अमेरिका, अधिकतर यूरोप, न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया के पूर्वी भाग, दक्षिण एवं उत्तरी कोरिया, चीन का उत्तर पूर्वी भाग एवं रुस के कुछ भाग में दृश्य है। ग्रहण मोक्ष चन्द्रोदय के समय अर्जेन्टिना, चिली, बोलविया, ब्राजील के पश्चिम भाग, पेरु में दृश्य होगा।



ग्रहण स्पर्श के समय चन्द्रमा धनु राशि में पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में होंगे और मोक्ष मकर राशि के उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में होगा। इसलिए जिन लोगों की धनु और मकर राशि है। उन लोगों पर चंद्र ग्रहण का बहुत प्रभाव पड़ेगा। यदि नक्षत्र भी पूर्वाषाढ़ा या उत्तराषाढ़ा है तो सर्वाधिक चंद्रग्रहण का प्रभाव मिल सकता है। ग्रहण भारत में 16 की रात्रि 12.12 मिनट पर मलीन होना प्रारम्भ होगा। स्पर्श होगा रात्रि 1 बज कर 31 मिनट पर। ग्रहण का मध्य भाग 3.01 मिनट पर होगा। मोक्ष 4.30 मिनट पर होगा। निर्मल अवस्था में यह सूर्योदय के बाद 5.49 तक आ जाएंगे। सूतक चंद्रग्रहण के लगने से 9 घंटे पहले प्रारम्भ होता है। चंद्रग्रहण का सूतक 16 तारीख को सूर्योदय से पहले 4.31 मिनट से प्रारम्भ होगा।


क्या न करें सूतक में




  • सूतक में सर्वप्रथम घरों में रसोई में भोजन नहीं पकना चाहिए।

  • सूतक लगने के बाद तवा, कढ़ाई आदि गैस पर नहीं चढ़ाना चाहिए।

  • कोशिश करिए की पका हुआ भोजन सूतक लगने से पहले ही समाप्त हो जाए। ग्रहण के बाद पका भोजन नहीं खाना चाहिए।

  • यदि दूध, दही आदि फ्रिज में रखा हो, तो उसमें कुशा अवश्य डाल दें। यदि कुशा न मिले तो तुलसी दल अवश्य डाल दें।

  • सूतक लगने से पहले ही एक पात्र में गंगा जल ले लें और उसमें जो अंगूठी, माला, जंतुर आदि धारण कर रखा हो उसे डाल देना चाहिए, और ग्रहण के उपरात स्नान करके ही धारण करना चाहिए।

  • यदि ऐसा न किया जाए तो इस सबके प्रभाव में कमी आ जाती है या यूं कहें कि डीएक्टिव हो जाते हैं।

  • स्वस्थ लोगों को सूतक लगने के बाद भोजन नहीं करना चाहिए। यदि स्वास्थ्य ठीक नहीं है या बच्चे हैं उनको इस बात छूट है।


ग्रहण के दौरान क्या करें 

  • सबसे गहरी बात यह है कि ग्रहण काल में सोना नहीं चाहिए। इस समय भगवत भजन, पाठ या जाप करना चाहिए।  ग्रहण काल में की गई उपासना का कई गुना फल प्राप्त होता है। ग्रहण काल में जाप पूजन करते समय सिर पर कपड़ा अवश्य रखना चाहिए।

  • भगवान के स्थान में पर्दा डाल देना चाहिए और उनकी मूर्ति को स्पर्श नहीं करना चाहिए। इसीलिए मंदिर के भी पट बंद हो जाते हैं।

  • गर्भवती महिलाओं को अपने पेट पर गेरू का लेप लगाना चाहिए। इससे ग्रहण के खराब प्रभाव नहीं पड़ते हैं।

  • शास्त्रों में ग्रहण के बाद दान का प्रावधान दिया गया है तो आप ग्रहण समाप्त होने की सुबह अर्थात् (17 जुलाई) को चावल का दान करें।