नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की सुरक्षा एजेंसियों ने दावा किया है कि हाथरस के बहाने यूपी में जातीय दंगे भड़काने की साजिश रची गई थी. रिपोर्ट के मुताबिक एक फर्जी वेबसाइट रातों रात बनायी गयी और इसके ज़रिए जातीय दंगे कराने की साजिश रची गई. बड़ी खबर ये है कि PFI, SDPI जैसे संगठन जो नागरिकता कानून के खिलाफ हिंसा में शामिल थे उन्हीं संगठनों ने यूपी में भी हिंसा फैलाने के लिए वेबसाइट तैयार कराने में अहम भूमिका निभाई.
क्या है पीएफआई और एसडीपीआई?
पीएफआई यानी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया एक चरमपंथी इस्लामिक संगठन है. पीएफआई का दावा है कि पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के हक में आवाज उठाने का काम करता है. इसका गठन साल 2006 में हुआ था. इसकी शुरुआत केरल से हुई, इसे नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट (एनडीएफ) के मुख्य संगठन का उत्तराधिकारी माना गया. इसका हेड ऑफिस राजधानी दिल्ली के शाहीन बाग में है.
पीएफआई दावा तो करता है सामाजिक संगठन होने का लेकिन लगातार सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट इसका दूसरा पहलू ही सामने लाती रही हैं. नागरिकता कानून के विरोध प्रदर्शन के दौरान पीएफआई पर हिंसा के लिए फंडिंग करने का आरोप लगा.
दिल्ली के साथ साथ उत्तर प्रदेश के शामली, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बिजनौर, बाराबंकी, गोंडा, बहराइच, वाराणसी, आजमगढ़ और सीतापुर में भी पीएफआई पर हिंसा भड़काने के आरोप लगे. अब इस संगठन पर हाथरस में एक फर्जी वेबसाइट के जरिए हिंसा फैलाने के आरोप लग रहे हैं.
पीएफआई पर 2010 में केरल में एक प्रोफेसर का हाथ काटने का आरोप है. ये संगठन उसी तरह काम करता है जैसे प्रतिबंधित संगठन 'सिमी' की गतिविधियां थीं. क्योंकि 'सिमी' पर बैन के बाद उसके सदस्य 'पीएफआई' में शामिल हो गए थे.'पीएफआई' का पूर्व अध्यक्ष, प्रतिबंधित संगठन 'सिमी' का महासचिव रह चुका है. इस संगठन पर काफी पहले से देश और समाज विरोधी गतिविधियां चलाने के आरोप हैं.
पीएफआई पर हत्या के 27, हत्या के प्रयास के 86 और सांप्रदायिक दंगे भड़काने के 106 मामले दर्ज हैं. और मुंबई, पुणे के अलावा कई शहरों में हुए बम धमाकों में भी पीएफआई का नाम आ चुका है. ऐसे ही आरोपों की वजह से झारखंड में इस संगठन पर प्रतिबंध लग चुका है. 2018 में केरल में भी 'पीएफआई' पर बैन की मांग उठी थी, लेकिन वहां की सरकार ने इस मांग को खारिज कर दिया था.
एसडीपाआई को जानिए...
सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया यानी एसडीपाआई पीएफआई की रानीतिक शाखा है. एसडीपाआई का मुख्यालय दिल्ली निजामुद्दीन में है. हाल ही में बेंगलुरू में हुई हिंसा को लेकर भी एसडीपीआई पर आरोप लगे थे. संगठन की वेबसाइट के मुताबिक देश के विभिन्न राज्यों से लोग इसके सदस्य बने हैं. एसडीपीआई अपना उद्देश्य मुस्लिम, दलित, पिछड़ा वर्ग और आदिवासी समुदाय के हितों के लिए कम करना बताती है.
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